59 वर्ष पूर्व हुई इस्कॉन की स्थापना*

*संवाददाता रेनू गौड़*
लखनऊ। 13 अगस्त 1965 को प्रभुपाद मात्र 40/- रूपये लेकर अपने गुरु श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर महाराज के निर्देशानुसार चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करने हेतु एक समुद्री कार्गो जहाज से अमेरिका जा रहे थे, जहाँ उन्होंने यात्रा में ही 2 बार हृदय घात होने के  कठिन संघर्ष के बाद बावड़ी नामक स्थान पर अपने रहने की व्यवस्था की, जहाँ अत्यन्त निम्न श्रेणी के लोग रहा करते थे। अमेरिका का युवा उस समय अत्यधिक व्यसनों से ग्रसित था, ऐसे समय में श्रील प्रभुपाद ने वहां के भटके हुए युवाओं को  भगवत गीता एवं श्रीमद भागवत से आध्यात्मिक ज्ञान देकर उनके जीवन को सही दिशा दिखाई श्रील प्रभुपाद ने 11 माह के कठिन संघर्ष के उपरांत श्रावण मास कृष्ण पक्ष नवमी को अमेरिका मे इस्कॉन अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ की स्थापना की गयी।



प्रभुपाद ने अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ की स्थापना करके सम्पूर्ण विश्व मे भगवान कृष्ण की सर्वोच्चता को प्रमाणित किया, इनका उद्देश्य भगवान कृष्ण की भक्तिमयी सेवा का आस्वादन कराना था। श्रील प्रभुपाद के संघर्ष के कारण आज सम्पूर्ण विश्व मे भगवत भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हो रही हैं l श्रील प्रभुपाद ने भक्ति योग द्वारा भगवान कृष्ण से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त किया और 10 वर्षो  में ही उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के विश्व भर में 108 मंदिरों का निर्माण कराया।