

*ब्रह्माकुमारीज के संस्थापक पिता श्री ब्रह्मा बाबा की जीवन कहानी पर लोग हुए मंत्रमुग्ध l*
*पिता श्री ब्रह्मा बाबा के जीवन चरित्र से कठिनाइयों को सहजता से पार करने की प्रेरणा मिलती हैl*
समाज जागरण ब्यूरो विवेक देशमुख
बिलासपुर। टिकरापारा, प्रभु दर्शन भवन, हार्मनी हॉल में चल रहे खुशी हर पल राजयोग अनुभूति शिविर का आठवां दिन आज से एडवांस कोर्स की शुरुआत हो गई है lटिकरापारा सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी के सानिध्य में चल रहे एडवांस कोर्स को संबोधित करते हुए राजयोग शिक्षिका ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा ने पिता श्री ब्रह्मा बाबा की जीवन कहानी का वर्णन करते हुए कहा कि पिता श्री ब्रह्मा बाबा का व्यक्तित्वआदर्श और आकर्षक था lजो बहुत साधारणता में भी बहुत महान गुणों के साथ लोगों के साथ संपर्क में आते थे, जो सभी को आकर्षित करता था l बाबा सभी के लिए हमेशा दया की भावना,सेवा की भावना रखते थेl वह कभी किसी को दुखी नहीं देख सकते थे बचपन से ही उन्होंने गीता अध्ययन शुरू कर दिया था, तत्पश्चात जीवन में कभी भी उन्होंने गीता को छोड़ा नहीं है, इन्हें परमात्मा की खोज थी, बाबा ईश्वर को पाना चाहते थेl इसलिए उन्होंने 12 गुरु किए थे,बाबा के द्वारा अनेक आत्माओं को श्रीकृष्ण का साक्षात्कार होता था सिंध हैदराबाद में 1936 में परमपिता परमात्मा शिव ने इनके तन का आधार लेकर सत्य गीता ज्ञान प्रदान कियाl पिताश्री ब्रह्मा बाबा को सृष्टि का परिवर्तन किस प्रकार होगा, विनाश का साक्षात्कार हुआ व विष्णु चतुर्भुज का साक्षात्कार हुआ और अंत में इन्हें स्वयं उस महाज्योति परमात्मा की प्रवेश काअनुभव हुआ lकिस प्रकार सारी धरती फट रही है,प्यास से लोग मर रहे हैं,खून की नदियां बह रही है, बड़े-बड़े टावर धराशाई हो रहे हैं, चारों ओर अग्नि है,लोग दर्द से चिल्ला रहे हैं, पुकार रहे हैं, सारी दुनिया में हलचल मची हुई है, इस प्रकार दर्दनाक दृश्य का साक्षात्कार हुआ दादा लेखराज हीरे-जवाहरत के व्यापारी थे l इस साक्षात्कार के पश्चात उन्हें हीरे पत्थर समान लगने लगा और वह संपूर्ण रीति से परमात्मा के आदेशों पर चलने लगे l परमपिता परमात्मा शिव ने समय प्रति समय इनके तन का आधार लेकर इनके द्वारा जो कार्य कराया वह करते चले गएl आज वर्तमान में यह संस्थान एक 140 से भी अधिक देशों में चल रहा है l
ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा ने आगे कहा कि ब्रह्मा बाबा का लौकिक नाम लेखराज था परमपिता परमात्मा ने इनका अलौकिक नाम पिता श्री ब्रह्मा रखा हैं lकलयुग के साधारण मानव होने के कारण उनकी पूजा नहीं के माफीक है, बहुत कम स्थानों पर ही ब्रह्मा जी की भक्ति,पूजा की जाती हैl
ब्रह्माकुमारी संस्था की स्थापना 1936 में पिता श्री ब्रह्मा के द्वारा परमपिता परमात्मा शिव ने करायाl
पिता श्री ब्रह्मा बाबा बहुत ही दयालु थे बाबा अपने जीवन के अनेक संघर्षों को बहुत युक्ति और सहजता से सुलझाया करते थे l ब्रह्माकुमारीज के संस्थापक पिता श्री ब्रह्मा बाबा के जीवन चरित्र को सुनकर सभी शिविरार्थी भाव-विभोर हो गए व जीवन की कठिनाइयों को सहजता से पार करने की प्रेरणा ग्रहण की l