कुरुर ,कट्टरपंथी ,राष्ट्रवादी, साम्राज्यवादी, विस्तारवादी नीतियों का मनोरोगी है चीन

चीन अपनी पॉलिसी तहत इंडिया को हड़प ते हुए अब तक 38,000 वर्ग किलोमीटर की जमीन हड़प चुकी है ।


विश्व की ऐसी हकीकत है तभी तो
हर प्रयास शांति के भी
रण क्षेत्र की मानव मानवता लीलती गुंजो को पूर्ण
नहीं मिटा पा रहे हैं।

मध्यकालीन इतिहास के पन्ने अगर पलटी जाए । चीन की पूरी पोल खुल जाएगी । दोस्तों मध्यकाल में विश्व की घटना क्रम में मंगोल शासक अंग्रेज खान का जिक्र प्रमुख है। इतिहास में सबसे क्रूर शासक के रूप में चंगेज खान मशहूर है चंगेज खान मूलत मंगोलिया का रहने वाला था। देखिए यह इतिहास तो लगभग सभी जानते हैं मगर अब बात आती है इंडिया की पड़ोसी चीन का। चीन हिटलर से भी ज्यादा लोमड़ी की तरह चालक था। चीनी द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रारंभ 1939 से ही अपनी विस्तार वादी तुष्टीकरण की नीतियों को राष्ट्रवाद की चासनी में लपेटकर बड़े आराम से अंजाम दे रहा है। चीन विस्तार वाद का ऐसा प्लेटफार्म है की खुद चीन का प्लेटफॉर्म 5 जिंदा मुल्कों को निगल कर तैयार की है। द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की कुरूरता चीन की तुष्टीकरण की नीतियों को जमीन दे दी। चीन एक स्वतंत्र राष्ट्र मंगोलिया पर हमला कर उसे अपने एकाधिकार में ले लिया। मंगोलिया का कुल क्षेत्रफल 1566000 वर्ग किलोमीटर है। मंगोलिया में अधिकांश बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं। दुनिया चुप थी चीन शातिर चाल चलता रहा। पूरे आत्मविश्वास के साथ राष्ट्रवाद का ऐसा चासनी परोस रखा था कि लोकतंत्र के आका नजर अंदाज करने लगे। मंगोलिया की आवाम ने जब इसका विरोध किया। दमन का नंगा नाच आधुनिक विश्व में भी देखने को मिला। मगर विश्व खामोश रही चीन ताकतवर होता चला गया । राष्ट्रवाद को परोसते परोसते चीन कट्टरपंथी विस्तारवादी राष्ट्रवाद की मनोरोग का मरीज बन गया । आनन-फानन में कई और राष्ट्रों को हड़पने की लालच झलकती वन मैन चाइना पॉलिसी तैयार कर ली फिर बारी आती है। उइगर मुसलमानों की । इस्लामिक बहुल आजाद मुल्क पूर्वी तुर्किस्तान की । पूर्वी तुर्किस्तान की कुल क्षेत्रफल 18,28,418 वर्ग किलोमीटर थी इसे पूर्ण कब्जा कर चीन उसे अपना अभिन्न अंग बना लिया। मुस्लिमों पर की गई नरसंहार दमन पूर्वी तुर्किस्तान से ज्यादा कहीं नहीं हुई । मगर इंडिया की आज आजाद इस्लाम को खतरे में बताने वाले हर कोई खड़ा हो जाते हैं । यह घटना ज्यादा पुरानी भी नहीं यह 1960 ईस्वी के दशक की घटना है। अब बारी आती है तिब्बत की । तिब्बत की क्षेत्रफल करीब 12,00000 वर्ग किलोमीटर है 1962 के पहले तिब्बत भी एक आजाद मुल्क हुआ करती थी। चीन तिब्बत पर भी अपना दावा करते हुए सैनिक कार्रवाई कर दी। दुनिया देखती रह गई और ईरान इतनी बड़ी मुल्क तिब्बत को चीन निकल गया। तिब्बत की शासन व्यवस्था चुकी दलाई लामा के हाथों में होती है । चीन उनकी हत्या करना चाही । मगर भारत की मदद से वह तिब्बत से सुरक्षित निकल कर इंडिया में शरण ले ली । बिना शर्त चुकी चीन के वन चाइना पॉलिसी तहत अरुणाचल पर नजर थी कि यह घटना चीन को बर्दाश्त नहीं हुआ। उसे लगा एशिया में चीन की विस्तारवादी नीतियों को चैलेंज कौन देगा। मगर इंडिया का मानवतावाद वाली यह कदम हजम नहीं हुई । उसके विस्तारबाद में इंडिया का नंबर तो था ही मगर यह घटना पहले आ गई। चीन 1962 में इंडिया पर हमला बोल दिया तथा 38000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल इंडिया विभाग धड़ा हड़प ली । हिंदी चीनी भाई भाई बोल कर पीठ पर चाकू मारा। सीने में गोली खाने वाला इंडिया पीठ को शाबाशी के लिए बना रखी थी । क्या पता था कि खंजर घोंप दी जाएगी बाहों में भर कर । इस चोट से इंडिया टूट चुकी थी। इंडिया को लगा था कि चीन कुरुरता से लड़कर आजादी पाई है । स्वतंत्र राष्ट्र की मानवता को समझेगी। इंडिया की इमानदारी, मानवतावाद पर गर्व करेगी । उसे एक पड़ोसी के रूप में ऐसा राष्ट्र मिला है जो हर परिस्थिति में चीन की संप्रभुता का सम्मान करेगी। चीन के हर सुख दुख में बराबर का साथ देगी। विश्वासघात तो इंडिया के जहरीले हवा में भी नहीं। कहां चीन की यह सब पसंद । वह तो था ही क्रूर लुटेरा । तभी जापानियों ने उसे उसकी औकात दिखाई । वरना चीन तो चंगेज के वंशज मंगोलिया वासी को भी लूट चुका है । यहां इंडिया की चुप्पी चीन की खतरनाक चलो को आजादी दे दी। इंडिया यह भूल गया कि आज से मुंह मोड़कर चुप्पी साधना कल इंडिया को खूनी चुनौती दे देगा। खुली चुनौती दे देगा ।और ऐसा हुआ। अर्थव्यवस्था का जीता जागता मुल्क हांगकांग जो 1743 से अंग्रेजो के कब्जे में थी सन 1790 में चीन अंग्रेजों के बीच समझौता तहत चीन की स्वायत्त राज्यों की तरह शामिल हो गई। जम्मू कश्मीर से भी ज्यादा अधिकार चीन के नागरिकों के अपेक्षा हांगकांग की आवाम को मिली थी। उसे कैसे निगली दुनिया जानती है। जबकि 1947 ईस्वी में स्वतंत्र आजाद मुल्क जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह स्वेच्छा से इंडिया में विलय की थी। अंतरराष्ट्रीय नियम तहत स्वेच्छा से विलय की गई राष्ट्रों को विशेषाधिकार नहीं मिलती । जब वह राष्ट्रीय युद्ध में फंसा हो । मगर जम्मू कश्मीर की आवाम को इंडिया का दिल बताते हुए विश्वास जीतने के लिए धारा 370 तहत विशेषाधिकार भी दिए गए। इसका यह कयास नहीं लगाना चाहिए कि इंडिया बेवकूफ है। इंडिया लोकतंत्र का खूबसूरत न्याय प्रस्तुत की । इंडिया ऐसा करके साबित किया कि जब जम्मू कश्मीर के लोग इंडिया इंडियन हैं तो हम उनको या अपने लोगों की उत्थान के लिए विशेष कानून तो बना सकते हैं। क्या आरक्षण बिल योजना, अंत्योदय योजना विशेष वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं जा रही है । जब चीन अनुसार जम्मू-कश्मीर इंडिया का हिस्सा नहीं तब जबरन 5 मुल्कों पर कब्जा कैसे जायज हुआ । इस तरह चीन जिसका कुल क्षेत्रफल 95,96,960 वर्ग किलोमीटर है वह इन राष्टो को ही निगल कर ,खड़पकर तकरीबन 43 परसेंट क्षेत्रफल बढ़ा ली है । यानी आधी चीन,
चीन नहीं दूसरे मुल्क हैं । जो चीन की विस्तार वादी कुरूरता के चंगुल में फंस चुके हैं । चीन में मीडिया ,सोशल मीडिया दोनों सरकारी हैं। चीन के इन प्रांतों में विरोध आज भी होती रहती है। मगर विस्तार नहीं ले पाती । राष्ट्रवादी सोच को हवा देकर बड़े आराम से चीन सिर कुचल देता है। और बात बाहर नहीं आ पाती । लगता है सब कुछ ठीक है । अब चीन की नजर साउथ चाइना सी पर है। ऐसे तो पूरी साउथ चाइना सी को अपनी जागीर बताता है। अर्थव्यवस्था से मजबूत तथा चारों और समुद्री होने के कारण चीन की नजर ताइवान पर है। स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश ताईवान चीन को आजाद मुल्क नहीं दिख रही। बस तुष्टीकरण की हवस में निगल लो। चीन का ऐसा चरित्र प्रमाणित करता है कि महज लोकतंत्र की आड़ में अपने विस्तार वादी नीतियों को राष्ट्रवाद का हवा देकर बड़े आराम से पूरा करते आ रहा है । चीन अपने सारे नाजायज नीतियों को लोकतंत्र के संप्रभुता का वास्ता देकर जायज बनाता जा रहा है। तब तो एशिया में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति का इंसाफ नहीं हुआ। बड़े-बड़े मुल्क अपना अपना हिस्सा लेकर अपने मित्रो को भूल गए तब मंगोलिया , पूर्वी तुर्किस्तान, इंडिया, तिब्बत, ताइवान , माऊ के साथ इंसाफ नहीं हुआ । इससे एशिया के ऐसे या विश्व के ऐसे देश जो द्वितीय विश्व युद्ध में शोषित हुई हैं । मगर उनका इंसाफ युद्ध समाप्ति उपरांत भी नहीं हुआ है। तब क्या उन राष्ट को अपनी आजादी के लिए यह सोचना चाहिए कि द्वितीय विश्व तो खत्म हुआ ही नहीं । आज भी इंसाफ, संप्रभुता जिसकी लाठी उसकी भैंस की हो गई है ।वह राष्ट्र अपनी आजादी अपनी संप्रभुता के लिए हर हद तक जाने को आजाद तथा जायज है । चाहे मानव मानवता विश्व में रहे या भाड़ में चला जाए ।
जय हिंद
कुमार गौरव
ग्राम पंडरिया
पोस्ट थाना इमामगंज
जिला गया बिहार