सोन घड़ियाल अभ्यारण्य से चोरी छिपे रीवा पहुंच रही रेत की खेप
समाज जागरण
विजय तिवारी
भोपाल। प्रदेश के रीवा जिले में रेत माफिया जेसीबी से सोन नदी के सीने को छलनी करने में लगे हुए हैं। सोन घड़ियाल अभ्यारण्य में रेत उत्खनन प्रतिबंधित होने के बाद क्षेत्रीय माफिया रात भर एक दर्जन से ज्यादा नदी के घाटों से रेत के उत्खनन एवं परिवहन के कारोबार में लगे हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि अवैध उत्खनन की जानकारी अभ्यारण्य एवं पुलिस अधिकारियों को होने के बावजूद भी चोरी छिपे रेत की खेप रीवा तक पहुंचाई जा रही है।
रात भर चलता है सुनहरी रेत का कारोबार
गौरतलब है कि सोन नदी में रेत उत्खनन का टेंडर हो जाने के बाद ठेकेदार द्वारा नदी से रेत की निकासी का कार्य शुरू कर दिया गया है। वहीं ऐसे घाट जहां पर सोन घड़ियाल अभ्यारण्य के चलते बालू उत्खनन में प्रतिबंध लगाया गया है, वहां के रेत को क्षेत्रीय खनिज माफिया चोरी छिपे निकालकर रीवा एवं आसपास के ग्रामों में बिक्री कर रहे हैं। खास बात यह है कि अवैध रूप से रेत निकासी का सिलसिला वर्षों से फल फूल रहा है। इस कार्य के लिए जेसीबी तक ऐसे घाटों में लगाई गई है जो सोन अभ्यारण्य की परिधि में आते हैं। खास बात यह है कि इन घाटों मेंशाम ढलते ही रेत माफिया अपने वाहनों को लेकर घाटों में पहुंच जाते हैं। जेसीबी से रेत का उत्खनन कर आसपास के गांवों में पहुंचाया जाता है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिन क्षेत्रीय रेत माफियाओं द्वारा अवैध उत्खनन एवं परिवहन किया जा रहा है, उनका संबंध ऐसे अधिकारियों से है जिन पर अवैध उत्खनन को रोकने का जिम्मा है। बावजूद सांठगांठ से यह कारोबार पूरी तरह से फल फूल रहा है। सूत्रों की मानें तो सीधी जिले के रामपुर थाना क्षेत्र के एक दर्जन से ज्यादा सोन नदी के घाटों में अवैध रूप से उत्खनन कर दो दर्जन से ज्यादा ट्रैक्टर एवं छोटा हाथी से परिवहन किया जाता है। यहां खास बात यह है कि जिन रेत माफियाओं द्वारा अवैध उत्खनन किया जा रहा है उन्हें नदी से बाहर निकलने के अंदरूनी रास्ते पूरी तरह से मालूम हैं और वह अपने इस काम को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं।
माफियाओं का सूचनातंत्र मजबूत
सोन नदी से अवैध रूप से निकाली जाने वाली रेत की निगरानी के लिए क्षेत्रीय माफियाओं ने मुखबिर तक लगा रखे हैं। और इन माफियां का सूचना तंत्र बहुत मजबूत है ।बताया गया है कि मुख्य सड़क मार्ग से सोन नदी तक पहुंचने के रास्ते में कुछ-कुछ दूरी पर मुखबिर तैनात हैं जो पुलिस एवं अन्य अधिकारियों की आवाजाही एवं उनकी गतिविधियों पर नजर रखते हैं। माना यह जा रहा है कि नदी से निकलने वाली इस अवैध रेत को ठिकाने तक लगाने में माफिया को कोई परेशानी नहीं होती है। सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि जिन मुखबिरों को तैनात किया गया है उन्हें एक रात का 5 सौ से एक हजार रुपए तक दिया जाता है।
सुरक्षित स्थानों पर डम्प होता है रत
सोन नदी से निकलने वाली अवैध रेत को क्षेत्रीय माफिया सुरक्षित स्थानों पर नदी से निकालकर डंप किया जा रहा है। वहां से हाईवा द्वारा उन्हें रीवा जिले तक पहुंचाया जाता है। खास बात यह है कि बड़े वाहनों के पास पूर्व से ही अन्य खदानों की टीपी भी रहती है जिसकी वजह से जांच के बाद भी इन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। ज्यादातरगाड़ियां बगैर टीपी के निकलती हैं जो रास्ते में पड़ने वाला थाना एवं सीमावर्ती नाकों में उनकी सेटिंग है। सूत्रों की मानें तो सोन नदी से अवैध रूप से निकाली जाने वाली रेत रीवा ही नहीं उत्तरप्रदेश तक जा रही है।