समाज जागरण
एक तरफ सरकार दावा करती है कि उसने जल जीवन के तहत सभी को स्वच्छ जल पहुँचा दिया है वही दूसरी तरफ महाराष्ट्रा के नासिक से यह विडियों आती है, जिसमे आप देख सकते है कि लोग कैसे दैनिक उपयोग के लिए पानी जुटाने मे लगे है। महिलाओं को रस्सी के सहारे कुएँ उतरना पड़ रहा है। ताकि वह अपने दैनिक जीवन मे उपयोग के लिए पानी भर सके। हाराष्ट्र | नासिक जिले के तालुका पेठ के बोरीचिवारी गांव से एएनआई ने इस विडियों को रिकार्ड किया है। ऐसा नही कि यह विडियों महाराष्ट्रा से पहली बार प्राप्त हुआ है। हर साल इस प्रकार के विडियों, फोटो मिलने के बाद भी केन्द्र और राज्य सरकारों ने सुध नही लिया है। मराठी अस्मिता के लिए लड़ने वाले उस नेता को भी थोड़ा ध्यान देना चाहिए। क्योंकि जान रहेगा तभी हम मराठी बोलकर हिंदी का विरोध करेंगे। फिलहाल इस विडियों को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए ताकि सरकार तक पहुँचे।

जल जीवन एक सरकारी योजना है, जिसका लक्ष्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल पहुंचाना है। यह योजना 2024 तक हर घर में नल कनेक्शन का लक्ष्य रखती है, जिसके लिए जल संसाधनों के संरक्षण और पुनर्भरण पर भी ध्यान दिया जाता है, लेकिन 2024 तो छोड़ियें 2025 के गर्मी की शुरुआत हो चुकी है और महाराष्ट्रा नासिक जिले के तालुका पेठ के बोरीचिवारी गांव में जल संकट ने त्राहिमान मचा दिया है। महिलाओं को खुद कुएँ मे उतरना पड़ रहा है वह भी 50 से 100 फिट तक।
सवाल उठता है कि क्या वाकई मे जल जीवन मिशन के तहत लोगों तक स्वच्छ जल पहुँचाए जा रहे है या फिर यह भी कागज पर गंगा बहाने और गंगा तो स्वच्छ करने जैसी योजना है। कम से कम इस विडियों को देखकर ऐसा तो नही लगता है कि लोगों तक स्वच्छ जल पहुँचाए जा रहे होंगे। दैनिक जीवन मे उपयोग के जल के लिए जुझती इन महिलाओं के तस्वीर भले ही आपको विचलित नही करते होंगे लेकिन एक सवाल तो आपके मन मे भी उठते ही होंगे कि आखिर सरकार जो दावे और वादे करती है वही धरातल पर कितने प्रतिशत है और कागज पर कितने प्रतिशत। आपके शहर मे भी जल संकट है तो आप भी कमेंट करके बता सकते है। इस विडियों को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए ताकि सरकार के संज्ञान मे पहुँचे और इस पर कोई कार्यवाही हो। गर्मी मे जल के बिना इंसान भी तड़ते मछली की होता है कृप्या आप मदद कीजिए।