शहडोल।
मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के मार्गदर्शन तथा माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश / अध्यक्ष महोदय श्री काशीनाथ सिंह एवं श्री श्रीकृष्णन बुखारिया, संचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, शहडोल के निर्देशानुसार एवं श्री सुशील कुमार अग्रवाल जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष तहसील विधिक सेवा समिति, बुढ़ार की अध्यक्षता में दिनांक 10.05. 2025 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
उक्त लोक अदालत में लंबित रेगुलर प्रकरणों में से 189 प्रकरण का निपटारा किया गया तथा इसी प्रकार लगभग 924 प्रिलिटिगेशन प्रकरणों में 125 प्रकरणों का निपटारा किया गया तथा लगभग रूपये 245686 (शब्दों में दो लाख पैतालीस हजार छः सौ छियासी रूपये मात्र) की वसूली की गई।
लोक अदालत में 05 खंडपीठ श्री सुशील कुमार अग्रवाल जिला न्यायाधीश, श्री विजेंद्र सिंह रावत, श्रीमती आकांक्षा तेकाम, श्री ऋषव दीक्षित, श्री लक्ष्मण रोहित न्यायिक मजिस्ट्रेट संचालित रही।
उक्त न्यायालयीन प्रकरणों से खण्डपीठ सदस्य अधिवक्ता, श्री अरविन्द्र साहनी, अनीता सहोताअधिवक्ता, श्री नीतेश सिंह, श्री उमेश प्रसाद नामदेव, एड० श्री आजाद सिंह अधिवक्ता तथा सामाजिक कार्यकर्ता श्री अखिलेश सिंह सामा कार्य०, उपस्थित हुए।
सफलता की कहानीः
अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, शहडोल के निर्देशन में तथा अध्यक्ष तहसील विधिक सेवा समिति बुढ़ार के अध्यक्षता में आयोजित लोक अदालत में 01 दम्पितियों का
लोक अदालत में राजीनामा हो गया है। जो कि निस्नानुसार है-
01 यह कि न्यायालय श्री सुशील कुमार अग्रवाल जिला न्यायाधीश के यहां लंबित प्रकरण (आर सी एसएचएम 28/2025) (नेहा बनाम विकास चौधरी) प्रकरण में तथ्य यह है कि उभयपक्ष का विवाह हिन्दू विधि से 26.10.2013 को सम्पन्न हुआ परन्तु विवाह उपरान्त उभयपक्ष के मध्य वैचारिक सतभेद होने से उभयपक्ष का एकसाथ रहना कठिन हो गया है। उभयपक्ष के मध्य कई बार नाते रिश्तेदारों द्वारा समझाईश का भी प्रयास किया गया, किन्तु उभयपक्ष का आपस में रहना संभव नहीं हो पाया। उसके पश्चात उत्तरवादी का व्यवहार बिगड़ता चला गया, दोनों पक्षों के मध्य दाम्पत्य जीवन निर्वहन करना मुश्किल हो गया है। तदनुसार याचिकाकर्ता द्वारा उत्तरवादी से वैवाहिक जीवन के न्यायिक प्रथक्करण की आज्ञापित चाही गई। प्रकरण को आज नेशनल लोक अदालत की खण्डपीठ कनाक 15 (श्री सुशील कुमार अग्रवाल जिला एवं ‘अपर सत्र न्यायाधीश) के समक्ष रखा गया तत्सबंध से उपरिभत पक्षों को सुना गया। दोनों पक्षों को समझाईश दी गई जिससे दोनों पक्ष ने खुशी-खुशी राजीनामा कर लिया। एवं आगे कोई भी विवाद न होने की संभावना के साथ साक्ष्य लिया जाकर प्रकरण समाप्त किया गया।