समाज जागरण अनिल कुमार
हरहुआ वाराणसी।* हरहुआ ब्लाक अंतर्गत जन विकास समिति मुर्दहा द्वारा एक दिवसीय स्टेकहोल्डर परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें दिव्यांगजन की रोजगार क्षमता पर विचार-विमर्श किया गया। जिसमें विभिन्न राज्यों के दिव्यांगजन के लिए काम कर रहे प्रमुख हितधारकों, विशेषज्ञों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ जन विकास समिति के निदेशक चंदन रेमंड ने अतिथियों का स्वागत करते हुए किया।
कार्यक्रम में सुश्री अलोका गुहा, पूर्व चेयरपर्सन, नेशनल ट्रस्ट, नई दिल्ली,राहुल मेहता, स्वतंत्र सलाहकार एवं शोध विशेषज्ञ,
शटी. धारियाल, पूर्व दिव्यांग आयुक्त, नई दिल्ली,
अरमान अली, कार्यकारी निदेशक, राष्ट्रीय दिव्यांगजन रोजगार प्रोत्साहन केंद्र, नई दिल्ली,डॉ. उत्तम ओझा, सदस्य, राज्य सलाहकार बोर्ड, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, उत्तर प्रदेश शामिल रहे।
सुश्री अलोका गुहा ने दिव्यांगजनों की बेरोजगारी की स्थिति पर एक व्यापक प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने दिव्यांगजनो के रोजगार के अवसरों में मौजूद चुनौतियों और खामियों पर प्रकाश डाला।
राहुल मेहता ने भारत के आठ राज्यों में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के क्रियान्वयन पर किए गए शोध अध्ययन के निष्कर्ष और सिफारिशें प्रस्तुत कीं। उनके विश्लेषण ने दिव्यांगजनों के अधिकारों और समावेशिता को बढ़ावा देने में अधिनियम की प्रभावशीलता पर गहन जानकारी प्रदान की।
आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 की धारा 14 के अनुसार “प्रत्येक उपयुक्त आयोग सरकारी प्रतिष्ठान जो कैडर शक्ति में कुल रिक्तियों का 5 प्रतिशत है” केंद्र सरकार के लेखा परीक्षा और वित्त विभागों ने विभिन्न पीडब्ल्यू के लिए रिक्त पदों की पहचान की है। सभी राज्यों ने इसके लिए अधिसूचना जारी की है| लेकिन किसी भी राज्य ने अंकों की संख्या की पहचान नहीं की है।
अनुमान है कि केंद्र और चुनिंदा राज्यों में 2021 में कैडर की संख्या के अनुसार दिव्यांग और दिव्यांगजनों के लिए 89330 पद आरक्षित होने चाहिए। हालांकि, दिसंबर 2022 तक आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम की धारा 34 के तहत केवल 164 दिव्यांगजन-दिव्यांगजनों को ही रोजगार मिला है। यह दिव्यांगजनों और दिव्यांगजनों के लिए अनुमानित रिक्त पदों का केवल 0.18% प्रतिशत है।
पैनलिस्टों में शामिल टी.धारियाल, अरमान अली और डॉ. उत्तम ओझा ने शोध अध्ययन के निष्कर्षों पर अपने विचार और सुझाव साझा किए। उन्होंने दिव्यांगजनों की रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए नीति को सख्ती से लागू करने, कौशल विकास और समावेशी कार्य वातावरण तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस स्टेकहोल्डर परामर्श कार्यशाला में आठ राज्यों से 40 से अधिक संगठनों के प्रतिनिधियों और प्रमुखों ने भाग लिया, जो दिव्यांगजनों के अधिकारों और उनके समर्थन में काम कर रहे हैं। इस चर्चा ने एक समावेशी और स्थायी कार्यबल के निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित किया | जो दिव्यांगजनों के अधिकारों और गरिमा का समर्थन करता हो।
कार्यक्रम के समापन सत्र पर प्रतिभागियों द्वारा दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुपल सुनुश्चित करने के लिए अनेक सुझाव दिए गए।
कार्यक्रम के अंत में रंजित सिंह मुख्य कार्यक्रम अधिकारी जन विकास समिति ने सभी आये हुए अतिथियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया | निलाद्री, संतोष, अनूप कुमार सिंह और मोहम्मद मूसा आज़मी ने इस कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सहयोग दिया।
जन विकास समिति वाराणसी स्थित एक सामुदायिक विकास संगठन है, जो हाशिए पर खड़े समुदायों, विशेष रूप से दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। संगठन समावेशी समाज बनाने के लिए जागरूकता, क्षमता निर्माण, और पुनर्वास सेवाओं के माध्यम से समान अवसर प्रदान करने का प्रयास करता है।