इलाज में लापरवाही बनाए टीबी को अधिक खतरनाक: नियमित दवाओं से बचें MDR और XDR टीबी से

सामान्य टीबी को एमडीआर/एक्सडीआर बनने से रोकें

टीबी मुक्त भारत: 2025 तक लक्ष्य,

वीरेंद्र चौहान, समाज जागरण ब्यूरो किशनगंज।
02 जनवरी। टीबी (क्षय रोग) एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलती है। यह मुख्यतः फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती है। भारत में टीबी एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती है। सरकार ने इसे 2025 तक पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैश्विक लक्ष्य 2030 से पांच वर्ष पहले है। यह लक्ष्य तभी संभव है, जब समाज में हर व्यक्ति टीबी को लेकर जागरूक हो और इलाज में लापरवाही न करे।वही टीबी (क्षय रोग) का सही और नियमित उपचार न करना मरीज को मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) और एक्सटेंसिव ड्रग रजिस्टेंट (एक्सडीआर) टीबी का शिकार बना सकता है। जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि एमडीआर और एक्सडीआर टीबी, सामान्य टीबी का बिगड़ा हुआ रूप है, जिसमें सामान्य दवाएं असर नहीं करतीं। किशनगंज जिले में वर्तमान में 19 मरीज एमडीआर श्रेणी में हैं |
एमडीआर और एक्सडीआर टीबी: क्या हैं कारण और समाधान?

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि एमडीआर टीबी तब होती है, जब मरीज टीबी की दवाओं का पूरा कोर्स नहीं करता। अगर एमडीआर मरीज की स्थिति छह माह में ठीक नहीं होती, तो वह एक्सडीआर श्रेणी में आ सकता है। हालांकि, आधुनिक दवा बेडाक्विलीन के उपयोग से अब एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज 9-11 माह में संभव हो गया है। यह पहले 24 माह तक चलता था।
टीबी मरीजों के लिए “निक्षय पोषण योजना” मददगार

डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण सहायता के लिए हर माह ₹1,000 दिए जाते हैं। यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से मरीज के खाते में जमा होती है। इसके
अलावा:

निजी चिकित्सकों को प्रोत्साहन: मरीज को नोटिफाई करने पर ₹500 और मरीज को ठीक करने पर ₹500।
ट्रीटमेंट सपोर्टर को प्रोत्साहन: मरीज को छह माह में ठीक करने पर ₹1,000 और एमडीआर मरीज को ठीक करने पर ₹5,000।
सामान्य व्यक्ति को प्रोत्साहन: किसी टीबी मरीज को अस्पताल लाने और पुष्टि होने पर ₹500।
टीबी मुक्त भारत हमारा लक्ष्य
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “टीबी जैसी गंभीर बीमारी को हराने के लिए दवाओं का नियमित सेवन और जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। मैं सभी से अपील करता हूं कि अपने आसपास किसी भी संभावित टीबी मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर भेजें। टीबी का इलाज मुफ्त और प्रभावी है। लापरवाही जानलेवा हो सकती है।”उन्होंने बताया की टीबी के खिलाफ लड़ाई कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। सही इलाज, जागरूकता और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर हम 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति का कर्तव्य है।
एमडीआर और एक्सडीआर टीबी से बचने के उपाय

दवा का नियमित सेवन: दवाओं का पूरा कोर्स डॉक्टर के निर्देशानुसार करें।
पोषण पर ध्यान दें: निक्षय पोषण योजना का लाभ उठाएं।

एमडीआर और एक्सडीआर टीबी की गंभीरता
एमडीआर टीबी तब होती है, जब मरीज टीबी की दवाओं का नियमित सेवन नहीं करता। एक्सडीआर टीबी एमडीआर का अधिक गंभीर रूप है, जिसमें सामान्य एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो जाती हैं। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि आधुनिक दवाएं जैसे बेडाक्विलीन और दवाओं के बेहतर प्रबंधन से अब एमडीआर/एक्सडीआर टीबी का इलाज 9-11 माह में संभव है।

टीबी से बचाव और उपचार
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि टीबी से बचाव के लिए नियमित दवाओं का सेवन और पोषण का ध्यान रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों को ₹1,000 प्रतिमाह की सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे मरीज पोषण सुधार के साथ इलाज जारी रख सकें।

जिला पदाधिकारी की अपील: टीबी के खिलाफ हर कदम उठाएं
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “टीबी को हराने के लिए समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर काम करना होगा। मैं सभी से अपील करता हूं कि कोई भी संभावित मरीज दिखे, तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजें। टीबी का इलाज पूरी तरह मुफ्त और प्रभावी है। 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने में हर व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है।”
टीबी मुक्त भारत के लिए कदम

  1. जागरूकता: लोगों को टीबी के लक्षण, इलाज और बचाव के प्रति जागरूक करना।
  2. नियमित दवा सेवन: दवाओं का पूरा कोर्स करना और डॉक्टर की सलाह का पालन करना।
  3. पोषण सुधार: निक्षय पोषण योजना का लाभ उठाना।
  4. सक्रिय समुदाय भागीदारी: संभावित मरीजों की पहचान कर उन्हें स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाना।

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