न्यूज़ लिखने के बाद जिन पत्रकारों को पोस्ट हटाना पड़े ,ऐसे पत्रकार महोदय को पत्रकारिता छोड़ देंना चाहिए

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*अथवा तथाकथित संपादक महोदय पोष्ट जारी करने के बाद संवाद को छुपा देते हो तो वैसे बैनर के पत्रकार महोदय को उस बैनर को छोड़ देना चाहिए*

सोशल एक्टिविस्ट सह औरंंगाबाद जिले के वरिष्ठ पत्रकार अनिल कुमार मिश्र नें संदेश में कहा– पत्रकारिता में भूल सुधार की प्रथा पहले से है और प्रचलित भी हैं, प्रकाश अथवा संवाद प्रेषण में तथ्यों की भूल में सुधार होते आ रहे हैं किंतु आज जितनी रफ्तार में सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी हो रहे हैं उतने ही रफ्तार में पोस्ट हटाने का प्रचलन भी बढ़ते जा रहे हैं ,जिसके कारण असामाजिक तत्व पत्रकारों पर हावी दिख रहे हैं। पत्रकारिता को बदनाम करने की जगह पत्रकारों को सोच समझ कर और दो चार बार अपने पोस्ट को पढ़कर संवाद का पोस्ट जारी करना चाहिए ताकि असमाजिक तत्व पत्रकारिता जगत पर हावी न हो सके ।

कृपया समझ में कुछ सुझाव हों तो पत्रकार बंधू वैसे पत्रकारों को सुझाव देने का कृपया कष्ट प्रदान करेंगे ताकि इनके कमिनो एवं खामियों के कारण हटाये गये पोष्ट का ख़म्याज़ा अन्य पत्रकारों को भुगतना न पड़े।
मैं मानता हूं कि बहुत पढ़े-लिखे हिंदी ब्याकरण का जानकार लोग होंगे ,किंतु पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य समाज,.सरकार और जनमानस को आइना दिखाना हैं,वहां की भाषा, पीड़ितों के शब्द को उनके समाज, जनमानस,प्रशासन व सरकार के बीच पूर्ण रूप से रखना है । पत्रकारित से जुड़े पत्रकार बंधू (हम और आप) इस बात को नहीं भूल सकते , अगर भुलते हैं तो इसकी ख़म्याज़ा हमारे समाज यानी पत्रकार ” पत्रकारों ” को ही भुगतने पड़ेंगे । त्रुटिपूर्ण शब्दों के लिए इस समाज के विद्वजनों से क्षमा प्रार्थी हूँ ,कृप्या फिलॉसफी की जगह सुझाव दें धन्यवाद/ प्रणाम।