यूसील का पूर्व कामरेड मजदूर नेता अनिल चंद्र कुमार(72 वर्ष)बीते सात सालों से पेंशन की उम्मीद में ..


दैनिक समाज जागरण
मोहम्मद कलीमुद्दीन,प्रखंड संवाददाता ,मुसाबनी
पूर्वी सिंहभूम (झारखंड),31मई 2023:-

पेंशन को लेकर पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय तक लगा रहा है चक्कर ,सुधि लेने वाला कोई नही

क्षेत्र के मुखिया व पंचायत सचिव से हस्ताक्षर युक्त आवेदन भेजे कारवाई होगी/सीमा कुमारी

पेंशन के जो भी आवेदन किये है उनका भेज चुके है जो छूट गया है वो पंचायत में जमा कर दे , /मंजीत सिंह

बीते साल सालो से यूसील का पूर्व कामरेड मजदूर नेता अनिल चंद्र कुमार(72 वर्ष ) अपने जिन्दगी के अंतिम पड़ाव में पेंशन को लेकर पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय तक चक्कर लगा रहा है लेकिन उसकी सुधि लेने वाला कोई नही है।आलम यह है यूसील से रिटायर्ड (2011 सितम्बर ) के बाद मिले पैसे (26 लाख रूपिया)भी खत्म हो गए है व गुजारा के लिए पेंशन ही एक मात्र सहारा बन गया है।आर्थिक स्थिति इतनी खराब है की 72 साल की उम्र में दवा खरीदने के भी पैसे नही बची है व जिंदगी घसीट कर चल रही है।इधर इस बाबत फोन पर मुसावनी प्रखंड की बी डी ओ सीमा कुमारी से जानकारी लेने पर उन्होंने मदद का भरोसा दिया है तथा कहा है कि क्षेत्र के मुखिया व पंचायत सचिव से हस्ताक्षर युक्त आवेदन भेजे तो सरकार के ओर से मिलने वाली वृद्धा पेंशन पर पहल की जायेगी।

जादूगोड़ा के उत्तरी इचड़ा पंचायत के तिलिरघुटु निवासी अनिल चंद्र कुमार (72 वर्ष) बताते कि मैं यूसिल से 2011 सितंबर को रिटायरमेंट हुए । मेरा तीन लड़का है जिसमे एक लड़का का बिजली विभाग की लापरवाही के कारण पूर्व में ही मौत हो गई । दूसरा बेटा का शादी हो गया वह अलग रहता है। तीसरा सबसे छोटा बेटा की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है वह माता – पिता का सहारा बन सके।जिंदगी के अंतिम पड़ाव में किसी तरह गुजारा कर रहे है।यूसील से रिटायरमेंट में मिली राशि(26 लाख) घर व बेटी की शादी में खर्च हो गया ।अन्य राशि (8 लाख)राज कॉम का चिट- फंड घोटाला में चला गया। अब हालत यह है कि खाने के लिए सोचना पडता है । ऐसे में मुझे पेंशन नही मिलेगा तो किसे मिलेगा ।जिसकी आस में बीते सात सालों से सरकार आपके द्वार कार्यक्रम समेत पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय तक चक्कर लगा चुके है।लेकिन कोई फायदा नही हुआ।फिलहाल अब देखना यह है बीते सात सालों से पेंशन लेकर सरकारी कार्यालय में चक्कर लगा रहे कामरेड अनिल चंद्र कुमार पर कब तक बाबुओं व क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों का नजर पड़ती है व जिन्दगी के अंतिम पड़ाव में पेंशन चालू हो पाता है।यह गौर करने वाली बात होगी।