समलैंगिक विवाह समाज विरोधी,भारत की सभ्यता के विरुद्ध : मुन्ना कुमार शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारत हिन्दू महासभा

नोएडा,२४ अप्रैल २०२३
अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुन्ना कुमार शर्मा ने कहा है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका को निपटाने के लिए जिस प्रकार की जल्दबाजी माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की जा रही है, वह किसी भी तरह से उचित नहीं है। यह नए विवादों को जन्म देगी और भारत की सभ्यता और संस्कृति के लिए नुकसानदेह सिद्ध होगी। इसलिए इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले माननीय सर्वोच्च न्यायालय को धर्मगुरुओं, चिकित्सा क्षेत्र, समाज विज्ञानियों और शिक्षाविदों की समितियां बनाकर उनकी राय लेनी चाहिए। इस विषय में जल्दबाजी भारतीय समाज के लिए घातक साबित होगा।
उन्होंने कहा कि एक ओर तो समलैंगिक संबंधों को प्रकट करने के लिए मना किया गया, वहीं दूसरी ओर उनके विवाह की अनुमति पर विचार किया जा रहा है। क्या इससे निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा? विवाह का विषय विभिन्न आचार सहिताओं द्वारा संचालित होता है। भारत में प्रचलित कोई भी आचार
संहिता इनकी अनुमति नहीं देती। क्या सर्वोच्च न्यायालय इन सब में परिवर्तन लाएगा?
उच्चतम न्यायालय को स्मरण रखना चाहिए कि हिंदू धर्म में शादी केवल यौन सुख भोगने का एक अवसर नहीं है। इसके द्वारा शारीरिक संबंधों को संयमित रखना, संतति निर्माण करना, उनका उचित पोषण करना, वंश परंपरा को आगे बढ़ाना और अपनी संतति को समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनाना भी है। समलैंगिक विवाहों में ये संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं। यदि इसकी अनुमति दी गई, तो कई प्रकार के विवादों को जन्म दिया जाएगा। दत्तक देने के नियम, उत्तराधिकार के नियम, तलाक संबंधी नियम आदि को विवाद के अंतर्गत लाया जाएगा। समलैंगिक संबंध वाले अपने आप को लैंगिक अल्पसंख्यक घोषित कर अपने लिए विभिन्न प्रकार के आरक्षण की मांग भी कर सकते हैं।
यह ऐसे अंतहीन विवादों को जन्म देगा, जो स्वयं सर्वोच्च न्यायालय के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन सकता है।
अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुन्ना कुमार शर्मा ने उच्चतम न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि इस विषय में भारतीय सभ्यता और संस्कृति के अनुसार ही निर्णय लिए जाएं।

मुन्ना कुमार शर्मा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिल भारत हिन्दू महासभा