गाजीपुर जनपद के कण कण में व्याप्त है शिवत्व

बिकास राय
ब्यूरो चीफ
दैनिक समाज जागरण

गाजीपुर जनपद मुख्यालय से 50 किमी एवम करीमुद्दीनपुर रेलवे स्टेशन से दुबिहां मोड से रसडा मार्ग पर हरदास पुर से होकर असावर गांव के पश्चिम छोर पर स्थित बुढवा महादेव मंदिर भी पूरे क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था का केन्द्र है।
मंदिर के पुजारी बालेश्वर दास से प्रकार जानकारी के अनुसार लगभग 16 वी सदी में यह स्थान भी घने जंगल का हिस्सा था।जंगल के मध्य एक पतली पानी की धारा बहती थी।गाय चराने के लिए नित्य चरवाहे वहां अपनी गायों को पानी पिलाते थे।


संयोग से एक दिन एक ग्वाले ने देखा की पानी पीने के बाद एक गाय उंचे टीले पर खडी हो गयी और उसके थन से खुद दूध गिर रहा है।ग्वाला जब उस स्थान के पास गया तो देखा की वहां पर एक शिवलिंग है।तभी से वहां भगवान शंकर की पूजा होने लगी।एक समय एक भुमिहार बंश के एक ब्यक्ति उस स्थान से होकर जा रहे थे तो वहां रूक कर दर्शन पूजन किये और वहां रहने के लिए विनती किये।बाबा ने आदेश दे दिया जो आज दुबिहां. नवादा. हरदास पुर.कमसडी और असावर . पचगांवा के नाम से जाना जाता है।पांचों गांव के लोग बहुत ही श्रद्धा और आस्था से पूजन करते है।एक बार कुछ लोग बुढवा महादेव के शिव लिंग को वहां से ले जाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन असफल होने पर तलवार से शिव लिंग पर प्रहार कर दिये थे।शिव लिंग से खून की धार बह गयी थी।


लोगों की मान्यता है की बुढवा महादेव सभी का कल्याण करते है।श्रद्धा पूर्वक जो भी इनके शरण में आता है आप उसकी मनोकामना पूरी करते है।यहां पर कुछ वर्ष पूर्व अयोध्या से पधारे महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 श्री शिव राम दास जी फलहारी बाबा के द्वारा रूद्र महायज्ञ का भी आयोजन किया गया था। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भींड उमड़ती है।