जिस स्वामीनाथन की सिफारिश पर मचा है बवाल, उसे 2007 में ठुकरा चुकी है कांग्रेस, दी थी यह दलील

देश में एक बार फिर एमएसपी की गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग को लेकर किसान सड़क पर उतरे हैं. कांग्रेस भले ही 2024 में सत्ता पाने के लिए अब किसानों को एमएसपी देने का वादा कर रही है, मगर कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2007 में एमएस स्वामीनाथन आयोग के एमएसपी फॉर्मूले को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इससे बाजार खराब हो जाएगा और इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा.

दरअसल, स्वामीनाथन समिति के राष्ट्रीय किसान आयोग ने 2004-06 के बीच कई रिपोर्टों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अपनी सिफारिश की थी. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने काउंटर प्रोडक्टिविटी का हवाला देते हुए उस सिफारिश को स्वीकार नहीं किया था. इस बाबत संसद में साल 2010 में यूपीए सरकार ने लिखित में जवाब दिया था.

डॉ. स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग (एनसीएफ) ने सिफारिश की थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) उत्पादन की वेटेड औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की बात की गई थी ताकि छोटे किसानों को फसल का उचित मुआवजा मिल सके. किसानों की फसल के न्यूनतम सर्मथन मूल्य कुछ ही फसलों तक सीमित न रहें. गुणवत्ता वाले बीज किसानों को कम दामों पर मिले.

हालांकि, जब तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा किसानों के लिए राष्ट्रीय नीति 2007 को अंतिम रूप दिया गया था, तो इस सिफारिश को शामिल नहीं किया गया था. यह सिफारिश प्रदर्शनकारी किसानों की मांग बनी हुई है, जो अब एमएसपी की गारंटी वाला कानून भी चाहते हैं. समाचार एजेंसी एएनआई ने यूपीए सरकार के दौरान एमएसपी को लेकर की गई स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के संबंध में पूछे गए सवाल के गए जवाब की प्रति साझा की है. यूपीए 2 सरकार से पूछा गया था कि क्या सरकार ने किसानों को भुगतान किए जाने वाले लाभकारी मूल्यों की गणना के संबंध में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है?