डॉ. वेद प्रकाश वर्मा के निधन पर बीएनएमयू, मधेपुरा के शिक्षकों ने व्यक्त किया गहरा शोक

डॉ. वेद प्रकाश वर्मा ने 9-10 माह की अल्पायु में नेत्र ज्योति से वंचित हो गए। इसके बावजूद इन्होंने 1960 में आगरा विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया और सन् 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की।

डॉ. वर्मा सन 1988 में प्रोफेसर बने। उन्हें सन् 1989 में यूजीसी ने शोध विज्ञानी के रूप में चुना तथा 2001 में ‘अमेरिटस फेलोशिप’ प्रदान की गई।

मधेपुरा /डा. रूद्र किंकर वर्मा।

सुप्रसिद्ध दार्शनिक तथा दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली में दर्शनशास्त्र विभाग के सेवानिवृत्त अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश वर्मा के निधन पर बीएनएमयू, मधेपुरा के शिक्षकों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी ने बताया कि
डॉ. वेद प्रकाश वर्मा ने 9-10 माह की अल्पायु में नेत्र ज्योति से वंचित हो गए। इसके बावजूद इन्होंने 1960 में आगरा विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया और सन् 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अनेक वर्षों तक दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में लगभग 40 वर्षों तक अध्यापन किया और इसके अध्यक्ष भी रहे।

विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष देव प्रकाश मिश्र ने बताया कि डॉ. वर्मा सन् 1988 में प्रोफेसर बने। उन्हें सन् 1989 में यूजीसी ने शोध विज्ञानी के रूप में चुना तथा 2001 में ‘अमेरिटस फेलोशिप’ प्रदान की गई।

दर्शनशास्त्र विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के अध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि डॉ. वर्मा ने हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं हैं।‌ इनमें पुस्तकों में नीतिशास्त्र के मूल सिद्धांत, महात्मा गाँधी का नैतिक दर्शन’, लुई ब्रेल :व्यक्तित्व और कृतित्व, समकालीन विश्लेषणात्मक धर्म-दर्शन, अधि- नीतिशास्त्र के मुख्य सिद्धांत, दर्शन-विवेचना’, भारतीय तथा पाश्चात्य दर्शन में निरीश्वरवाद, अरस्तू के नीति-दर्शन की समकालीन प्रासंगिकता और एक यात्रा स्मृतियों की प्रमुख हैं। डेविड हाम का दर्शन, सम कंटैम्परेरी मैटा-ऐथिकल थ्योरीज,
फ़िलॉसॉफ़िकल रिफ्लैक्शन्स उनकी प्रमुख अंग्रेजी पुस्तकें हैं।

उन्होंने बताया कि डॉ. वर्मा का 30 अगस्त, 2024 को निधन हो गया। उनके निधन से बीएनएमयू सहित पूरे बिहार एवं देश का दर्शन परिवार मर्माहत है।