गुमनामी की जिंदगी जी रहा स्वतंत्रता सेनानी जमील जट का परिवार
फारबिसगंज ।
आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर सांस्कृतिक स्रोत और प्रशिक्षण केंद्र की टीम द्वारा देश के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की तलाश करने का प्रयास अनवरत जारी है। इसी क्रम में टीम के सदस्य व शिक्षक रंजेश कुमार, शिक्षिका मधु प्रिया ने प्रखंड फारबिसगंज अंतर्गत मरहूम जमील जट पिता बाबूलाल माता बीबी झलिया के घर जाकर उनके परिवार से जमील जट के द्वारा किये गए आंदोलन औऱ साहसिक कार्यो की दास्तान को कलमबद्ध किया। जानकारी के अनुसार जमील जट काफी साहसी आंदोलन कर्ता थे,जिनके द्वारा कई बार रेल के पटरी को उखाड़ दिया गया था जिससे अंग्रेजी हुकूमत को आवागमन में दिक्कत हो। जमील जट जिनका ग्राम मदारगंज, अररहा ,पंचायत झिरवा पुरवारी ब्लॉक फारबिसगंज थाना सिमराहा मुख्य मार्ग से सटे अवस्थित है। इनको एक पुत्र और एक पुत्री है। नूरजहां जमील जट की बेटी जो अब भी जीवित है,उनके साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाले उनके भतीजे मोहम्मद हासिम उम्र 95 वर्ष अब भी जीवित है इन्होंने जमील जट की दास्तान को बताते हुए बताया कि जमील जट काफी साहसी थे,जमील जट आधा जीवन जेल की दिवारों के बीच हीं बिताया। कभी भागलपुर जेल,तो कभी पूर्णिया जेल ।जमील जट का नाम आज भी फारबिसगंज प्रखण्ड कैंपस के शिलापट पर पहले नंबर पर दर्ज है।जमील जट का पोता मोहम्मद फिरोज अपने दादा के विषय मे जो भी प्रमाण या साक्ष्य था उसे अभी तक दादा जी के बक्से को संभाल कर रखा है।परिवार काफी खश थे कि टीम उनके घर पहुंची है सभी खुश और खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे कि इस युग मे भी केंद्र सरकार द्वारा गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की खोज करना एक सराहनीय प्रयास है।