ब्यूरो चीफ़ सोनभद्र। दैनिक समाज जागरण
सोनभद्र। चोपन थाना क्षेत्र अंतर्गत तेलगुड़वा में स्टेट हाइवे के किनारे मानक के विपरीत बालू का भंडारण और ढुलाई स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया। यह क्षेत्र पहले से ही दुर्घटना संभावित माना जाता है, और अब अनियमित बालू ढुलाई के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। स्थानीय निवासियों और राहगीरों की शिकायत है कि बालू ढोने वाले वाहन न तो तिरपाल से ढके होते हैं और न ही भंडारण स्थल पर धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव किया जाता है। इसके अलावा, कुछ वाहनों से बालू के पानी रिसने के कारण सड़क गीली और फिसलन भरी हो रही है, जिससे मोटरसाइकिल सवार और अन्य वाहन चालको के चोटिल होने का खतरा बढ़ता जा रहा हैं। और कई बाइक सवार गिर कर घायल भी हो चुके है
धूल और फिसलन से बिगड़ते हालात
तेलगुड़वा में स्टेट हाइवे के किनारे स्थित बालू भंडारण स्थल से सड़क पर धूल और बालू बिखर रहा है। तेज हवाओं के कारण यह धूल हवा में उड़कर राहगीरों की आंखों में पड़ रही है, जिससे दृश्यता कम हो रही है और मोटरसाइकिल सवारों के लिए वाहन नियंत्रण करना मुश्किल हो रहा है। स्थानीय निवासी ने बताया कि बच्चे और बुजुर्ग विशेष रूप से परेशान हैं। मोटरसाइकिल चलाते समय कई बार धूल के कारण संतुलन बिगड़ जाता है।
वहीं कुछ वाहनों से रिसने वाला पानी सड़क को कीचड़मय और फिसलन भरा बना रहा है। ये वाहन बिना तिरपाल के बालू ढोते हैं,और पानी रिसने से सड़क खतरनाक हो गई है। प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
एनजीटी और खनन नियमों की अनदेखी
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के दिशा निर्देशों के अनुसार, बालू भंडारण स्थल नदियों, जल स्रोतों, और स्टेट हाइवे जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से कम से कम 500 मीटर दूर होना चाहिए। साथ ही, परिवहन के दौरान वाहनों को तिरपाल से ढकना और भंडारण स्थल पर नियमित पानी का छिड़काव करना अनिवार्य है। इसके बावजूद, तेलगुड़वा में इन नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है।
उत्तर प्रदेश खनिज (समानुदान, अवैध खनन, परिवहन और भंडारण निवारण) नियमावली, 2017 के तहत, बिना तिरपाल के परिवहन पर 5,000 से 25,000 रुपये का जुर्माना और भंडारण स्थल पर धूल नियंत्रण न करने पर भारी जुर्माना या लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि खनन माफिया और कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में प्रशासन इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। कुछ लोगों ने बताया कि यहां सिर्फ पर्यावरण का सवाल नहीं, बल्कि लोगों की जान का भी सवाल है। स्टेट हाइवे पर हर दिन सैकड़ों, हजारों लोग गुजरते हैं, और इस लापरवाही के कारण कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर खतरा
बालू भंडारण और ढुलाई से उठने वाली धूल न केवल सड़क सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रही है। धूल के कणों के कारण सांस संबंधी बीमारियां, आंखों में जलन, और एलर्जी की शिकायतें बढ़ रही हैं। एनजीटी के दिशानिर्देशों में स्पष्ट है कि भंडारण स्थल पर धूल नियंत्रण के लिए नियमित पानी का छिड़काव और तिरपाल से ढकना अनिवार्य है, लेकिन तेलगुड़वा में ये उपाय पूरी तरह अनुपस्थित हैं।
प्रशासन की चुप्पी और अपेक्षित कार्रवाई
जिला खनन विभाग और चोपन थाना पुलिस को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 21 के तहत अवैध भंडारण और परिवहन पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और 5 साल तक की जेल का प्रावधान है। इसके अलावा, एनजीटी के आदेशों के उल्लंघन पर पर्यावरण मुआवजा भी लगाया जा सकता है।
