प्रतापगढ़ में व्याप्त भ्रष्टाचार असाध्य रोग बन चुका है ।

समाज जागरण दैनिक
विश्व नाथ त्रिपाठी
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ एक ऐसा जनपद है जहां भ्रष्टाचार से रोक टोक असाध्य रोग की तरह बढ़ता हुआ लाइलाज होता जा रहा है ।ग्राम पंचायत से लेकर जिले तक का हाल बेहाल दिख रहा है ।अगर हम हम ध्यान से देखें तो जनपद की सभी तहसीलें कमोबेश एक जैसे ही हैं लेकिन कुंडा का नाम आगे है जहां छोटभैय्या भी अधिकारियों पर रौब गांठते देखें जा सकते हैं। पूरे जनपद में सबसे अधिक भ्रष्टाचार ग्राम पंचायतों में है जिसका सीधा संबंध ग्रामीड़ो से है ।ग्राम प्रधान,ग्रामविकास अधिकारी आपस में मिलकर सरकारी योजनाओं में धांधली कर खूब धन लूट रहे हैं ।चाहे वह राशन की दूकान में फर्जीवाड़ा ,घटतौली या फिर राशन की सीधे कालाबाजारी हो ,मनरेगा का मनमानापन , अमृत सरोवर का घोटाला।सामूहिक शौचालय का घटिया निर्माण,चकरोडों पर बिना मरम्मत करायें ही रकम का भुगतान, सहकारी समितियों में खाद की काला बाजारी ,अपात्रों को आवास,अपने चहेतों के प्रत्येक सदस्यों को कोई न कोई लाभ ,आयषमा योजना व किसान सम्मान निधि में हेरा फेरी,लेख पालों द्वारा काम का खुद न किया जाना,कानूनगो द्वारा नाप में मनचाही रिपोर्ट लगाना, स्वस्थ्य केंद्रों पर समय से न आना ,बिना पैसा लिए डिलेवरी जैसे कामों में हाथ न लगाना,पक्की निर्मित सड़कों का शीघ्र ही उखड़ जाना , पुलिस द्वरा फरियादी को ही थाने पर बेइज्जत किया जाना, बिना कुछ लिए रपट न लिखना,समय से विद्यालयों में अध्यापकों का न पहुंचना,सरकारी योजनाओं की विधिवत जानकारी न देना।
कितनी विसंगतियां हैं इस जिले में जिससे जनता हमेशा परेशान रहा करती है शिकायत का यह आलम है कि शिकायती की बात न सुनना बल्कि उसी को इतना प्रताड़ित कर द़ो की दूसरे शिकायत कर्ता की हिम्मत ही छूट जाय। पूरा जिला अराजकता का शिकार बनता जा रहा है ।