ठेली पटरी पर खाना, सस्ता और स्वादिष्ट है लेकिन सुरक्षित है ?

नोए़डा समाज जागरण डेस्क

नोएडा के आस पास आप रहते है ठेली पटरी पर खाना खाते है तो ये समझ लिजिए की यह आपके लिए सस्ता तथा स्वादिष्ट जरूर है लेकिन सुरक्षित नही है। यह भी नही भी नही कहा जा सकता है कि यह आपके लिए बिल्कुल असुरक्षित है लेकिन इतना तय मानिये की इनके पास मे कोई निर्धारित मानक नही है। जिला खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इनको फूड सेफ्टि लाइसेंस जारी करने का काम बिल्कुल आनलाइन है और लाइसेंस देने से पहले किसी भी प्रकार से न तो निरीक्षण किया जाता है नही तो इनके लिए कोई मानक तय है। यह एक बड़ा क्षेत्र है और बड़ी संख्या मे श्रमिक वर्ग इन पर निर्भर है।

खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पंजीकरण करने के लिए एड्रेस प्रुव और आई प्रुव अपलोड करना जरूरी होता है लेकिन यह जरूरी नही है कि जिस काम को करने लिए लाइसेंस दिया जा रहा है उसमे हाँकर के पास मे कोई अनुभव है या नही। नही तो इनको किसी भी प्रकार से प्रशिक्षण दिए जाते है न तो इनके लिए कोई मानक तय है।

आखिर जब बीएएमएस, बीयूएमएस या कई दूसरे प्रकार के मेडिकल प्रैक्टिशनर्स को झोला छाप कह कर कार्यवाही की जाती है तो ऐसे ही किसी को भी फूड लाइसेंस जारी करने का औचित्य क्या है ? जब गाड़ी चलाने के लिए फिजिकल वेरिफिकेशन जरूरी है, फूड सेफ्टि लाइसेंस जारी करने से पहले भी सेफ्टि आफिसर के द्वारा वेरिफिकेशन नही किया जाना आम आदमी जो कि सस्ते भोजन प्राप्त करने के लिए ठेली पटरी पर जाते है या कहे कि उनका बजट ही उतना है उनके सेहत के साथ खिलवाड़ क्यो ?

खाद्य विभाग जिला गौतमबुद्धनगर के अनुसार सन 2018 से 2023 तक 5292 फूड सेफ्टि लाइसेंस हाँकर के श्रेणी मे जारी किए गए है। समय पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी के द्वारा इनका निरीक्षण किया जाता है, इनको जागरुक किया जाता है। पिछले 5 सालों मे सिर्फ 13 हाॅकर के खिलाफ कार्यवाही की गई और मात्र 25 हाॅकर के नमूने जाँच के लिए गए है। खाद्य पदार्थ सुरक्षित नही पाये जाने पर 84 हजार 240 रुपये मूल्य के खाद्य नष्ट कराये गए। यह जानकारी आईजी आर एस से प्राप्त की गई है।

ऊपर दिए गए जानकारी के मुताबिक ही आप स्वयं अनुमान लगा सकते है कि खाद्य विभाग आम आदमी तथा कम बजट मे भोजन करने वालों के साथ कितने उदासीन रवैया अपनाती है। जबकि हर त्योहारी सीजन मे सैकड़ों दुकानों पर छापा मार कर उनका सामान नष्ट किया जाता है। बड़े बड़े जुर्माने लगाए जाते है।

बताते चले कि फूड लाइसेंस लेकर दावा यह किया जाता है कि असल मे वह वेंडर है जबकि बहुत सारे ऐसे लोगों ने फूड लाइसेंस लिया हुआ है जिनका इससे कारोबार से कोई लेना देना नही है। ऐसे मे फूड सेफ्टि विभाग को चाहिए कि लाइसेंस जारी करने के पहले वेरिफिकेशन करे तथा मानक भी तय करें। ताकि सही वेंडर का पहचान हो सके तथा उसे उचित स्थान मिले।