अद्भुत गुफाओं की अनोखी कहानी .।…..शहडोल ‘लखबरिया गुफ़ा’

दैनिक समाज जागरण
शहडोल
मध्य प्रदेश का शहडोल जिला ना सिर्फ हरियाली और शांति के लिए। प्रसिद्ध है बल्कि जिले में मौजूद पुरातत्व, प्राकृतिक, ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक इन सबके अलावा ऐसे कई चमत्कारी अद्भुत स्थल अनायास ही है, जिनके बारे में कम ही लोग जानकारी रखते हैं, किंतु यहां के स्थानीय निवासी इन सब से बहुत ही ज्यादा लगाव रखते हैं। साथ ही ऐसे सभी स्थल मन को मोह लेने वाले हैं।
आज हम एक ऐसे ही अद्भुत जगह के बारे में आपको बता रहे हैं। जहां एक साथ एक लाख गुफाएं मौजूद हैं। इस गुफा को “लखबरिया की गुफाओं” के नाम से जाना जाता है। वैसे इनको गुफाओं के बारे में कहा जाता है, कि अज्ञातवास के दौरान यह सभी गुफाओं का निर्माण पांडवों ने किया था।

पांडवों ने कराया है इन गुफाओं का निर्माण

लखबरिया की गुफाएं द्वापर युग के अंत में जब पांडव को 13 वर्ष का वनवास हुआ था। उसमें 1 वर्ष का अज्ञातवास भी था। जब पांडवों का अज्ञातवास राजा विराट की नगरी में कटा। राजा विराट की नगरी को पहले विराटनगर और अब शहडोल के नाम से जाना जाता है।
शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 40-45 किलोमीटर दूर बुढ़ार तहसील से दक्षिण दिशा की तरफ एक गांव है लखबरिया। जहां पांडवों की ऐतिहासिक और अद्भुत प्राचीन गुफाएं आज भी मौजूद है।

अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव ने अपना कुछ समय यहां गुजारा था। लखबरिया की गुफाएं अपने ऐतिहासिकता के लिए बहुत प्रसिद्ध है। महाभारत में पांडवों के अज्ञातवास को भी इससे जोड़ा गया है। इसीलिए कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास में राजा विराट के क्षेत्र में थे।उसी अंतराल में उन्होंने लखबरिया में एक लाख गुफाओं का निर्माण किया। जिससे उसका नाम लखबरिया पड़ा।

संरक्षण के अभाव में है लखबरिया गुफा

कई सदी बीत जाने के बावजूद लखबरिया की गुफाएं अपनी ख्याति और प्रसिद्धि आज भी बनाई हुई है, हालांकि यह गुफा आज संरक्षण के अभाव में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। यह गुफाएं धीरे-धीरे संरक्षण ना होने की वजह से जर्जर नजर आ रही है। लाल बलुआ पत्थर से यह गुफा निर्मित है। आज देखरेख के अभाव में यह चट्टान झड़ रही है।
यहां के स्थानीय जानकारों का कहना है कि अगर इसकी खुदाई कराई जाएगी तो आसपास के क्षेत्र में कई और गुफाएं निकलने की संभावना है। वैसे आज देश 21वीं सदी में अवश्य पहुंच गया है, किंतु लखबरिया की गुफाएं आज भी अपने आप में अपने अस्तित्व को बयां कर रही है।
किंतु यदि समय रहते इसका संरक्षण नहीं किया गया तो यह इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएगी या यहां के स्थानीय निवासियों के यादों और कथाओं तक ही सीमित रह जाएगी ।
लखबरिया में पर्यटन की अपार संभावनाएं है, यदि इसकी सही तरीके से संरक्षण और देखरेख की जाए तो यहां पर ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक, और पुरातात्विक हर नजरिए से लोगों की दिलचस्पी लगाई जा सकती है। लोगों को लखबरिया के प्रति आकर्षित किया जा सकता है। यहां पर्यटकों को कई चीजों के दर्शन करने को मिलेंगे। साथ ही इतिहास से जुड़ने का मौका भी प्राप्त होगा। दर्शनीय स्थल होने के साथ-साथ लोगों में प्राकृतिक के प्रति प्रेम भी उत्पन्न होगा और वह अपने इतिहास से जुड़ाव महसूस करेंगे। उन्हें साक्षात दर्शन करने का लाभ मिलेगा। यह स्थल धार्मिक महत्त्व से भी बहुत ही खास है। इस की गुफाएं ऐतिहासिक तो है ही साथ ही कई मंदिरों और कई सारी कथाएं को भी अपने अंदर समेटे हुई है। अगर इस धरोहर की पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाए तो यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि, लखबरिया की वजह से शहडोल का नाम भी दूर दूर तक जाना जाएगा। यह शहडोल के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

लखवारिया में देवी स्थल और आश्रम

लख बरिया की गुफाएं पांडव कालीन होने के साथ-साथ इन गुफाओं में कई देवी स्थल भी मौजूद है। यहां अर्धनारेश्वर शिवलिंग जी हैं। यह शिवलिंग गुफाओं के अंदर खुदाई के दौरान निकली थी। इसके अलावा यहां रामलला का दर्शन भी होता है क्योंकि यहां एक रामलला का मंदिर है। कहा जाता है कि भगवान राम वनवास के दौरान उन्होंने भी अपना कुछ समय यहां गुजारा था। इसके अलावा माता सीता की रसोई भी यहां देखने को मिलती है। साथ ही राधा कृष्ण मंदिर, शनि देव मंदिर समेत अन्य कई मंदिर हैं। यहां पर रामलला के मंदिर में भगवान राम माता जानकी के साथ विराजमान है। यह एक अद्भुत संयोग है और सबको स्वयं अपने आंखों से दर्शन करने के लिए वहां जाना चाहिए।

गुफाओं का निर्माण

यह तो आपको पता ही चल गया है की गुफाओं का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया। करीब 300 मीटर लंबी और 200 मीटर चौड़ी इन गुफाओं में भारी ठोस चटाने हैं। वह सभी चट्टानें लाल बलुआ पत्थर की है। जिससे यह गुफा का निर्माण कार्य हुआ। पांडू वंशी राजाओं ने दूसरी सदी में इसका निर्माण कार्य पुनः शुरू किया तथा छठी सदी तक यह निर्माण कार्य निरंतर जारी रहा। उत्तर की ओर तीन गुफाएं हैं।
पश्चिम की ओर भी लगभग 7 गुफाएं मौजूद हैं। जिनमें मंदिर भी है। वहां एक आश्रम भी है, जहां बैठकर गुरु प्रवचन करते थे, और अपने शिष्यों को शिक्षा देते थे। दक्षिण की ओर भी लगभग 3 गुफाएं हैं, और पूर्व की ओर अन्य कुछ गुफाएं आज भी मौजूद हैं। जो कि आज आधी अधूरी दिखाई देती है। इन गुफाओं के पास एक तालाब मौजूद है ।
लखवारिया की गुफाओं या लखवारिया केव्स के नाम से मशहूर हैं।
यह गुफा मैकाल पर्वत की तराई क्षेत्र में लाल बलुआ पत्थर की विस्तृत चट्टान पूर्व से पश्चिम करीब 300 मीटर और उत्तर से दक्षिण करीब 200 मीटर में विद्यमान है।
कठोर लाल रेत और मजबूत चट्टानों से बनी इस गुफाओं में अब कुछ ही कमरे शेष हैं।

महाभारत काल में पांडवों द्वारा निर्मित इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में जनश्रुति है कि मैकाल पर्वत श्रृंखला की तराई में स्थित इस गुफा में एक लाख कमरे हैं, जिससे इसी के कारण लखबरिया नाम पड़ा। हालांकि वर्तमान समय में लगभग 13 गुफाएं ही सुरक्षित है, बाकी सभी मिट्टी से दब गई है।
पुरातत्व विभाग द्वारा लखबरिया के आसपास खुदाई के दौरान गुफाओं की श्रृंखला मिली है। आसपास के तालाबों से ऐसी कई प्रतिमाएं आज भी निकलती है, जो अपने समय की कहानी को बयां करती है। वह बार-बार यह याद दिलाती है कि पांडव कालीन समय में यहां उनकी कई गतिविधियां रही होंगी। लखबरिया की गुफाओं का रहस्य जानने के लिए आज भी लोग दूर-दूर से शहडोल पहुंचते हैं।

हम अपने इस पोस्ट के माध्यम से स्थानीय प्रशासन का ध्यान इतिहास के पन्नों में सिमट रहे अपने अस्तित्व को बचाने की आस लगाए ये महाभारत कालीन पांडव निर्मित लखबरिया गुफा की तरफ आकर्षित करना चाहते हैं। साथ ही इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित देखना चाहते है।

हमारे देश के गौरवशाली धरोहर को हमें इन सांस्कृतिक सम्पदाओं को बचाना, संरक्षित करना बेहद ज़रूरी है। यह यहां के स्थानीय निवासियों की भावना से जुडी धरोहर हैं। ऐसे स्थलों की जानकारी देकर उन्हें विरासत के प्रति आकर्षित किया जा सके ताकि सांस्कृतिक संपत्तियों को संरक्षित करने का हमारा ये प्रयास सफल हो सके। साथ ही यहां के स्थानीय निवासियों की आजीविका का साधन भी बने। यदि प्रशासन इस पर ध्यान देगा तो हम ऐतिहासिक सांस्कृतिक महत्व के इस स्थल को भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित बचाकर रख सकेंगे।