इलाज की जगह झाड़फूंक में लगे थे परिजन
दैनिक समाज जागरण
गौरव द्विवेदी
कोतमा। कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खंड के रेऊला ग्राम के देवरी टोला में परिजन की लापरवाही और जागरूकता ना होने के कारण डेढ़ महीने का नवजात कुपोषण का शिकार हो गया, परिजनों द्वारा इलाज की जगह झाड़फूंक में अधिकतम समय बिता दिया जिसके कारण बच्चों की हालत गंभीर होती चली गई बच्चा अतिकुपोषण हो गया, बुधवार को जैसा मामला कोतमा के खंड चिकित्सा अधिकारी के सामने आया तो खंड चिकित्सा अधिकारी आरके वर्मा द्वारा मामले को संज्ञान में लेते हुए गुरुवार की सुबह 9:00 बजे ही परिजनों को समझकर और ग्रामीणों को जागरुक कर कुपोषित बच्चों को जिला अस्पताल के एनआरसी केंद्र में भर्ती कराया गया है। पिता द्वारा प्राइवेट अस्पतालों में बच्चे का इलाज कराने गंभीर स्थिति में ले जाया गया था जहां से मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उक्त बालक की जानकारी प्राप्त हुई थी वही रेउला ग्राम के एनम और आशा कार्यकर्ता को
उक्त जानकारी और बच्चे की हालत जानने के लिए भेजा गया था जहां पिता ने कोतमा में भर्ती करने के लिए मना कर दिया गया था।
झाड़फूंक के चक्कर में पड़े परिजन, आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विभाग से छुपाई जानकारी
रेऊला ग्राम में रहने वाले त्रिलोकी का डेढ़ माह का पुत्र कुपोषित नामक बीमारी से ग्रसित था, कुछ ग्रामीणों और झाड़ फूंक करने वाले व्यक्तियों के संपर्क में आने के कारण इलाज की जगह झाड़ फूंक को प्राथमिकता दी जिसके कारण बच्चा अतिकुपोषित हो गया, वहीं स्वास्थ्य विभाग और अन्य विभागों से जानकारी छुपा कर गरीबी और इलाज न करने की रकम होने के डर से डॉक्टर को दिखाने से बचता रहा। उक्त स्थिति उत्पन्न होने का कारण भी ग्रामीणों को उक्त बीमारी और फ्री इलाज की जागरूकता कम होने भी एक कारण है। वहीं उक्त मामले को लेकर खंड चिकित्सा अधिकारी आरके वर्मा द्वारा त्वरित कार्यकर्ताओं और एनम को लोगों को जागरूक करने के आदेश भी दिए हैं।
कुपोषण के लक्षण दिखते ही पोषण पुनर्वास केंद्र में कराएं नवजात को भर्ती : डॉ. आरके वर्मा
क्षेत्र में कुपोषित बच्चों का दिखना और माता-पिता द्वारा लगातार जानकारी स्वास्थ्य विभाग से छुपाना बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक है। कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आरके वर्मा ने कहा कि अगर बच्चे में किसी भी प्रकार की कुपोषण के लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत पास के आंगनबाड़ी संस्था या एनम को इसकी जानकारी दें और देर ना करते हुए बच्चों को पास के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती करवाये, बच्चों को कुपोषण के लक्षण दिखते ही ज्यादा दिनों तक घर में रखने से बच्चे की स्थिति और गंभीर हो जाती है जैसे ही कुपोषण के लक्षण दिखाई दे उन्हें त्वरित डॉक्टर से सलाह लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र में इलाज के लिए आ जाना चाहिए। झाड़फूंक के माध्यम से कुपोषण का इलाज नहीं हो सकता है किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा ना देते हुए त्वरित इलाज के लिए पास के किसी भी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क कर लेना चाहिए, जागरूकता ही कुपोषण का प्रथम इलाज है इसलिए शासकीय योजना और शासकीय सुविधाओं का लाभ लेते हुए कुपोषण से जंग हमारा पहला कर्तव्य है डॉक्टर आरके वर्मा द्वारा जनता से अपील की गई है कि सरकार द्वारा चलाई गई कुपोषण के खिलाफ जंग में सहभागिता निभाते हुए आसपास के क्षेत्र में लोगों को जागरुक कर क्षेत्र को कुपोषण रहित बनाने के लिए प्रशासन का सहयोग करें।