अनूपपुर। राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया और हाल ही में प्रकाशित विज्ञापन में हुई अनियमितताओं तथा विज्ञापन रद्द कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के अनुरूप पुनः विज्ञापन प्रकाशित करने मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ छात्र कल्याण समिति के अध्यक्ष रोहित श्रीवास ने प्रो ब्योमकेश त्रिपाठी, कुलपति (प्रभारी) तथा शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो भुमिनाथ त्रिपाठी को डीन प्रो विकास सिंह की उपस्थिति में ज्ञापन सौंपा गया है। विश्वविद्यालय में केवल दिखावा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया गया है जबकि धरातल पर शून्य कार्य हुए हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नाम पर करोड़ों का गबन तथा राष्ट्र के साथ धोखा करने के मामले में ज्ञापन की एक विशेष प्रति माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजकर मामले में तत्काल हस्तक्षेप की अपील की गई है। इस मामले में छात्रों का एक दल राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू तथा शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान से भेंटकर विश्वविद्यालय में व्याप्त गंभीर अनियमितताओं पर कार्यवाही की मांग करेगा।
भगवान बिरसा मुंडा तथा डॉ बीआर अंबेडकर का घोर अपमान
रोहित श्रीवास ने बताया कि विश्वविद्यालय में जनजाति कार्य मंत्रालय से भगवान बिरसा मुंडा शोधपीठ एवं सामाजिक न्याय मंत्रालय से डॉ बी आर अंबेडकर चेयर के लिए करोड़ों रुपए का फंड विश्वविद्यालय में आता है। भगवान बिरसा मुंडा शोधपीठ में जनजातीय विषयों तथा भगवान बिरसा मुंडा के कार्यों पर शोध किया जाना है, लेकिन पीएचडी के विज्ञापन में इन शोधपीठ के लिए किसी भी प्रकार की पीएचडी के प्रवेश देने का उल्लेख नहीं किया गया है। प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी और रिटायर्ड प्रोफेसर प्रसन्ना सामल जनजातिया कार्य मंत्रालय के पहले के प्रोजेक्ट तथा बिरसा मुंडा चेयर के करोड़ों रुपए का गबन कर दिए हैं, इसकी बड़ी जांच जरूरी है तथा प्रो सामल को तत्काल शोध पीठ से बर्खास्त किया जाना राष्ट्रहित में आवश्यक है।
इंटर्नशिप के नाम पर एनईपी तथा हजारों छात्रों के साथ धोखा कर बाँटा गया फर्जी डिग्री
रोहित श्रीवास ने आगे बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इंटर्नशिप कराया जाना अनिवार्य प्रावधान है लेकिन पिछले 5 वर्षों में इंटर्नशिप नहीं कराया गया बल्कि सीधे छात्रों को मार्क्स देकर पास कर दिया गया है। इंटर्नशिप और व्यावसायिक कौशल विकास की उपेक्षा करते हुए सिर्फ डिग्रियां बांटी जा रही हैं। यह सरासर छात्रों एवं राष्ट्र के साथ धोखा है, इस मामले में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही करने हेतु राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से अपील की गई है। पिछले 7–8 वर्षों में विश्वविद्यालय में जनजातीय कल्याण, स्वरोज़गार, और “वोकल फॉर लोकल” जैसे मुद्दों पर ठोस शोध कार्य नहीं हुआ है। जो थोड़े-बहुत शोध राष्ट्रीय हित से जुड़े हुए थे, उन्हें भी अनावश्यक अड़चनें डालकर रोका गया। हाल ही में प्रकाशित पीएचडी प्रवेश विज्ञापन में सामाजिक न्याय और समावेशन की उपेक्षा करते हुए आरक्षित वर्ग के लिए रोस्टर प्रणाली का पालन नहीं किया गया। यह स्थानीय और जनजातीय युवाओं के साथ बड़ा अन्याय है।
आईजीएनटीयु में नेट/जेआरएफ परीक्षा केंद्र की अनुपलब्धता
रोहित श्रीवास ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बताया कि विगत कई वर्षों से विश्वविद्यालय में नेट/जेआरएफ परीक्षा केंद्र नहीं होने के कारण स्थानीय छात्रों को अवसरों से वंचित किया जा रहा है, इसके लिए विवि प्रशासन ने कोई ठोस पहल नहीं किया बल्कि भ्रष्टाचार करके कमाने में व्यस्त रहे। पीएचडी कार्यक्रम में स्लीपर सेल की घुसपैठ और इसे ड्रग तस्करी व अन्य अवैध गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने की शिकायतें हैं। पिछले 5 वर्षों में एनईपी-2020 के उद्देश्यों को लागू करने में विश्वविद्यालय पूरी तरह विफल रहा है।
इनक्यूबेशन सेंटर बन गया है भ्रष्टाचार सेंटर
रोहित श्रीवास ने आगे बताया कि पीएचडी का वर्तमान विज्ञापन राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विरोधी है, एनईपी 2020 में बहुविषयी और लचीली शोध प्रणाली का प्रावधान है, लेकिन वर्तमान पीएचडी प्रक्रिया इन दिशानिर्देशों को नज़रअंदाज करती है। स्टार्टअप प्रोत्साहन के लिए बनाए गए लिवलीहुड बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं। बहुविषयी और समग्र शोध का उल्लेख नहीं है।
पीएचडी के विज्ञापन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोर उपेक्षा
रोहित श्रीवास ने आगे बताया कि पीएचडी के विज्ञापन में अंतरराष्ट्रीय सहयोग, विदेशी छात्रों की भागीदारी और एमओयु जैसी आवश्यकताओं की उपेक्षा की गई है। शोधकर्ताओं, सरकार और उद्योगों के बीच संबंध स्थापित करने में विश्वविद्यालय विफल रहा है। विश्वविद्यालयो में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए मजबूत ढांचा तैयार करने की दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए।
विज्ञापन को अवैध घोषित कर स्थानीय युवाओं के लिए अवसर देना जरुरी
रोहित श्रीनिवास ने आरोप लगाते हुए बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन जानबूझकर स्थानीय युवाओं और जनजातियों को शोध से वंचित करने के लिए ऐसा फर्जी विज्ञापन निकाला है, ऐसे में पीएचडी प्रवेश के हालिया विज्ञापन को रद्द किया जाना चाहिए तथा स्थानीय छात्रों को एचडी में प्रवेश देने के लिए शोध प्रवेश परीक्षा आयोजित कराया जाना जरूरी है, पीएचडी कार्यक्रम में बहुविषयी और बहुआयामी शोध को शामिल किया जाए तथा अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थानों से एमओयु करके गुणवत्तापूर्ण शोध प्रोत्साहित करना जरुरी है।