उलार्क सूर्य मंदिर में जुटे पांच लाख छठ ब्रतीयो ने दिया तालाब में अर्घ्य


ड्रोन कैमरे से की गई निगरानी, पालीगंज अनुमंडल प्रशासन रही ब्यस्त

समाज जागरण संवाददाता:- वेद प्रकाश पालीगंज अनुमंडल

पालीगंज/ लोक आस्था का चार दिवसीय कार्तिक छठ पर्व सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य के बाद समाप्त हो गयी। इस दौरान पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के उलार गांव स्थित विश्व प्रसिद्ध तथा ऐतिहासिक सूर्य मंदिर परिसर में पांच लाख की संख्या में पहुंचे छठ ब्रतीयो ने तालाब में अर्घ्य दिया। जिसकी निगरानी ड्रोन कैमरे से किया गया। इस दौरान भीड़ को नियंत्रण करने में पालीगंज अनुमंडल प्रशासन ब्यस्त रही। वही इलाके के विभिन्न घाटों पर छठ ब्रतीयो ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन किया।
जानकारी के अनुसार छठ ब्रतीयो की सुविधाओं को लेकर पालीगंज अनुमण्डल प्रशासन की ओर से मन्दिर परिसर में टेन्ट हाउस, शौचालयों, पेयजल, चिकित्सीय ब्यवस्था, लाइटिंग का भरपूर प्रबन्ध किया गया था। वही शुरक्षा को लेकर चप्पे चप्पे ओर महिला तथा पुरुष शुरक्षा कर्मियों की तैनाती, सीसीटीवी कैमरे की ब्यवस्था व तालाब में एसडीआरएफ की टीमो की तैनाती किया गया था। साथ ही तालाब सहित सड़को पर भी बेरिकेटिंग किया गया था। वही कंट्रोल रूम से भी ब्रतीयो को दिशानिर्देश दी जा रही थी। जबकि पर्व के दौरान खुद पालीगंज एसडीओ जयचन्द्र यादव तथा डीएसपी प्रीतम कुमार सहित अन्य पदाधिकारी ब्यस्त रहे। साथ ही पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र समदा गांव स्थित पुनपुन नदी घाट, महाबलीपुर गांव स्थित सोन नदी घाट, रानितलाब लख स्थित नहर घाट, निरखपुर गांव स्थित लोआई नदी घाट, मिल्की नहर घाट, मसौढ़ी गांव स्थित आहार, सदावह गांव स्थित तालाब, काब गांव स्थित तालाब सहित अन्य छठ घाटों पर छठ ब्रतीयो ने सूर्य को अर्घ्य दिया। साथ ही जगह जगह पर स्थापित छठी मईया तथा भगवान भाष्कर की प्रतिमा की पूजा अर्चना किया। वही मन्नते उतारने उलार्क सूर्य मंदिर पहुंचे छठ ब्रतीयो ने नेटुये का नाच करवाया।
ज्ञात हो कि नहाय खाय के दिन से ही छठ ब्रतीयो की भीड़ उलार्क सूर्य मंदिर परिसर में जुटने लगी थी। लेकिन रविवार की शाम अस्तलगामी सूर्य को अर्घ्य व सोमवार की सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए भारी संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी। इस प्रकार सोमवार की सुबह अर्घ्य देने के बाद छठ ब्रतीयो ने मन्दिर में स्थापित भगवान भाष्कर की प्रतिमास का पूजा अर्चना कर प्रसाद ग्रहण किया तथा लोहड़ के दिन से खरना का प्रसाद ग्रहण के पश्चात शुरू किया गया 36 घण्टे का उपवास तोड़ा।