धनबाद. झारखंड राज्य की बुधनी मंझियाइन (80) एक बार फिर चर्चा में हैं. 1959 में जब वह केवल 16 साल की थीं और एक बांध परियोजना में मजदूर के तौर पर काम करती थीं, तब दामोदर वैली कॉरपोरेशन के पंचेत डैम और हाईडल पावर प्लांट का उद्घाटन करने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) पहुंचे थे. इस मौके पर नेहरू ने मजदूरों के सम्मान के रूप में बुधनी को माला पहना दी थी. तब से उसे ‘आदिवासी पत्नी’ कहा जाने लगा था.
17 नवंबर 2023 में बुधनी मंझियाइन की पंचेत में मृत्यु हो गई और वहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया. इसमें स्थानीय राजनेताओं और नागरिक मौजूद रहे. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, बुधनी उस दौरान पंचेत बांध- जो अब धनबाद के पास है- में मजदूरी कर रही थीं. जब उन्हें माला पहनाई गई तब किसी ने सोचा नहीं था कि इससे उनका पूरा जीवन बदल जाएगा. लेकिन इस घटना के बाद संथाली समुदाय ने उन्हें बहिष्कृत कर दिया था क्योंकि माला पहनाने को वह “विवाह” मानते हैं.
जीवन भर अपने गांव नहीं जा पाईं बुधनी, अब उनके स्मारक बनाने की मांग
गैर आदिवासी से माला पहनने पर उन्हें जीवन भर के लिए बहिष्कृत कर दिया गया था और अपने गांव में भी प्रवेश नहीं करने दिया गया. अब खबर में कहा गया है कि स्थानीय पार्क में नेहरू की मूर्ति के पास बुधनी मंझियाइन के सम्मान में एक स्मारक बनाने की मांग की गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता अशोक मंडल ने कहा कि पंचेत डैम के निर्माण में मंझियाइन का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार, पंचेत पंचायत के मुखिया भैरव मंडल और अन्य लोगों ने डीवीसी प्रबंधन को स्थानीय डीवीसी कॉलोनी में मंझियाइन के स्मारक और उनकी बेटी रत्ना के लिए एक घर की मांग करते हुए एक पत्र भेजा है.
राजीव गांधी से मिलकर सुनाई थी आपबीती
स्थानीय मान्यता है कि बुधनी ने बांध चालू करने के लिए बटन दबाया था. लेकिन बुधनी को 1962 में अन्य मजदूरों के साथ हटा दिया गया था. इस बांध के कारण उसकी जमीन भी डूब में आ गई थी और बुधनी पड़ोसी राज्य बंगाल के पुरुलिया में दिहाड़ी मजदूर बन गईं थीं. यहीं उन्होंने सुधीर दत्ता से शादी कर ली थी. इसके बाद 1985 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी से मिलकर बुधनी ने अपनी आपबीती सुनाई थी; इसके बाद उसे डीवीसी में नौकरी मिली और वह 2005 में रिटायर हुईं.