घर रजिस्ट्री होगा या बिल्डर जायेंगे जेल ? लेकिन यह समाधान नही है : अनिल के. गर्ग

समाज जागरण नोएडा

नोएडा/ग्रेटर नोएडा : सरकार भले ही घर खरीदारों के समस्या को सुलझाने की कोशिश करे लेकिन सच तो यह है कि क्या घर खरीदारों को उनका हक मिल पाएगा? अब गौतमबुद्धनगर स्टांप और पंजीकरण विभाग ने नोटिस जारी कर फ्लैटो के रजिस्ट्री करवाने का निर्देश दिया है। अगर बिल्डर ऐसा नही करता है तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जायेगा। मंगलवार को सभी रियल्टर्स को जारी नोटिस में कहा गया है, ‘अगर रियल्टर एक महीने के भीतर रजिस्ट्री नहीं करता है, तो रियल्टी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।’

बताते चले कि जितने खरीदार रजिस्ट्री के मांग कर रहे है उससे कही ज्यादा घर खरीदार पोजिशन की मांग कर रहे है। भला हो बिल्डर का जिसने पोजीशन तो दे दिया नही तो रजिस्ट्री के लिए मांग करने वाले घर खरीदारों को भी सर्द रातों में बिल्डर के खिलाफा धरना पर बैठता पड़ता है। खेल भी अजीब है सरकार कहती है रजिस्ट्री करो, प्रशासन कहती है रजि्सट्री करवाओं नही तो जेल भिजवा देंगे। नोएडा प्राधिकरण की तो बात ही अलग है पहले पैसे फिर रजिस्ट्री। एक बार फिर से प्रशासन और प्राधिकरण के बीच में बेचारे घर खरीदार है।

अधिकारियों ने कहा कि कम से कम 1 लाख अपार्टमेंट हैं, जिनकी रजिस्ट्री रियलटर्स द्वारा नहीं की गई है, जिससे 200 से अधिक परियोजनाओं में राजस्व का नुकसान हुआ है। अधिकारियों ने कहा कि रीयलटर्स ने इन फ्लैटों में अवैध रूप से रजिस्ट्री के निष्पादन के बिना कब्जा करने की पेशकश की है, क्योंकि वे नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों को 50,000 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करके डिफॉल्टर बन गए हैं।

“विभाग ने उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुसार रीयलटर्स को नोटिस जारी किया है। गौतम बुद्ध नगर प्रशासन के जिला मजिस्ट्रेट सुहास एलवाई ने कहा, अगर रियाल्टार निर्देशों का पालन नहीं करेगा तो हमें राजस्व वसूली के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे।

लेकिन सवाल उठता है कि क्या बिल्डर के खिलाफ एफआईआर करना घर खरीदारों के समस्या का समाधान है।

नोएडा के वरिष्ठ नागरिक व अधिवक्ता श्री अनिल के गर्ग ने कहा है कि इस मामले मे बिल्डर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से घर खरीदारों को तो कोई राहत नही मिलेगा क्योंकि बिल्डरों नें बड़े पैमाने पर पैसे की फेराफेरी की है जिसके कारण 50% से ज्यादा बिल्डर एनपीए में चला गया है। अगर बिल्डर पर केस दर्ज होगा तो वह कोर्ट चले जायेंगे। इससे न तो सरकार को राजस्व मिलेगा नही ही घर खरीदारों को धर।

बेहतर यही होगा कि अगर बिल्डरों नें बिना सब लीज डीड बनाये घर खरीदारों को अवैध रूप से कब्जा दे दिया है । बिना जमीन के बकाया भुगतान किये और बिना कम्पलीशन सर्टिफिकेट तो यह अवैध जरूर है लेकिन बिल्डरों पर केस दर्ज करना बिल्डर के पक्ष में ही होगा। जैसा कि अभी तक होता आया है। घर मिले न मिले लेकिन प्रशासन, प्राधिकरण और बिल्डर तारीख पर तारीख खेलते रहेंगे और घर खरीदार सड़कों पर सरकार से न्याय मांगते रहेंगे।

उनका कहना है कि क्यों नही बिल्डर और बायर्स के बीच एग्रीमेंट बना दिया जाता है। मकान के कुल कीमत की 1 प्रतिशत के साथ यह एग्रीमेंट बना देना चाहिए जिससे घर के खरीदार को भरोसा मिलेगा की उसके पास भी कोई डाक्यूमेंट है। अभी बिल्डर अपने मन मर्जी के हिसाब से लोगों से बेच रहा है खरीद रहा है और किसी को पता भी नही चलता। अगर इनका एग्रीमेंट हो तो बेचारे भोले-भाले जनता जिन्होने घर खरीदने के लिए अपने जीवन के खुन-पसीने की गाढ़ी कमाई बिल्डर के हवाले कर दिया है उसके बाद भी उसके पास कोई भी कागज नही है।

हाल ही में शहर के प्रमुख अखबार में छपे खबरों के हवाला देते हुए श्री गर्ग ने मांग किया है कि हम समय समय पर मांग करते रहे है कि घर खरीदारों के अधिकारों के रक्षा होना चाहिए। इसलिए जरूरी है कि बायर्स बिल्डर एग्रीमेंट करवाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इससे बायर्स के पास कुछ तो कागज होगा की बिल्डर को पैसा दिया हुआ है जैसा कि रेरा के अन्दर भी प्राधवान किया गया है।

ऐसे मे जरूरी है कि बिल्डर बायर्य एग्रीमेंट करवाया जाय। । सिर्फ 1% स्टाम्प शुल्क लेकर बिल्डर बायर्स एग्रीमेंट कराये जाय। बांकि के पैमेट पूरी तरह से कंंप्लीशन सर्टिफिकेट मिलने के बाद लिया जाय। इससे बहुत सारे घर खरीदार आगे बढ़कर आयेंगे जैसा की एआईजी स्टाम्प ने भी साक्षात्कार मे कहा था।

इसलिए जरूरी है कि इस समय 1 % स्टाम्प शुल्क + 1000 लेकर घर खरीदार और बिल्डर के बीच सब लीज डीड बनवाया जाना चाहिए। जिससे मकान खरीदारों मे मन मे विश्वास जगे और रियल्टी सेक्टर में फिर से उछाल आये। अब जबकि 50% से बिल्डर डिफाल्टर हो चुका है और सरकारी विभाग उनसे पैसे लेने में नाकाम रही है। घर खरीदारों से बिल्डर ने पैसे लिया हुआ है लेकिन प्राधिकरण को उसका बकाया नही दिया है। ऐसे मे घर खरीदारों के हितों की रक्षा अनिवार्य है क्योंकि सरकार और बिल्डर के बीच मे होम बायर्स ही पीस रहा है।