काम पार्टी का और वेतन सरकार से……

देश मे पक्ष हो या विपक्ष सांसद से लेकर विधायक यहाँ तक की अब ग्राम पंचायत सदस्य तक को सरकारी वेतन मिलने लगे है। वही दूसरी तरफ यह लोग सालों भर समाज सेवा करने के बजाय चुनाव गोटी बिछाने मे लगे रहते है। विधायक सांसद मंत्री, प्रधानमंत्री भी सालों भर चुनाव मे व्यस्त रहते है। कई बार देखने को तो यह भी मिला है कि देश के राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति भी जिस पार्टी से होते है उनको लाभ पहुँचाने के लिए किसी न किसी प्रकार से चुनाव प्रचार करते है।

सवाल यह है कि जब यह लोग काम राजनीतिक पार्टियों के लिए करते है, जिस पार्टी से यह लोग सांसद विधायक बने है, लेकिन यह लोग तन्ख्वाह तो सरकारी खजाने से लेते है। क्या जो लोग सरकार से तन्ख्वाह लेते है यानि जो लोग नेता सांसद विधायक बन चुके है उनके चुनाव प्रचार पर रोक नही लगनी चाहिए। यहाँ भी जो एक बार मंत्री विधायक बन जाय उनको दुबारा मौका नही मिलनी चाहिए, ताकि हर बार किसी नये लोगों को मौका मिले। इसके साथ ही नियम यह भी लागू होनी चाहिए कि जो विधायक बन जाय वह किसी दूसरी पार्टी से भी विधायक सांसद न बन सके।

चुनावी मौसम मे जिस प्रकार से यह लोग सड़क से लेकर संसद तक अपशब्दों का उपयोग करते है, कही न कही संवैधानिक मर्यादा को ठोस पहुंचाते है। चुनावी रैली मे गाली गलौज और देष भाव की चलती ब्यार से जिस प्रकार देश का नुकसान किए जा रहे है क्या कोई भी सभ्य समाज उसका भरपाई कर पायेगा। ऊपर से काम पार्टी के और वेतन सरकार से…। एक बार विधायक सांसद बन जाओं पेंशन ता उम्र। आते तो है समाज सेवा करने लेकर समाज को ही अपना सेवक बना लेते है।