कुटूम्बा सीओ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का न्याय के साथ विकास की दावेदारी को चढ़ाया भ्रष्टाचार का भेंट।

कानून का रक्षक नहीं ,असामाजिक तत्वों के संरक्षक हैं कुटूम्बा सीओ -पीड़ित पक्ष।

रिश्वत के बिना वरीय पदाधिकारी के आदेश का भी नहीं होता है अनुपालन – हलात।

दैनिक समाज जागरण अनिल कुमार मिश्र ब्यूरो चीफ/ आलोक शर्मा, जिला संवाददात्ता औरंगाबाद (बिहार)

औरंगाबाद (बिहार) 26 नवंबर 2022:- अंचल अधिकारी कुटूम्बा अभय कुमार द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का न्याय के साथ विकास की दावेदारी को भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ दिया गया है और बिचौलियों के माध्यम से खुलेआम रिश्वत राशि की उगाही का खेल जारी है ,यहां तक कि चढ़ावे की राशि के बिना अंचल कार्यालय कुटुम्बा में वर्षो से लंबित वरीय पदाधिकारी के आदेशों का अनुपालन भी नहीं होता है ,जिसका सुधि लेने वाला कोई नहीं बचा हुआ है। काम की बात ही छोड़िए ,यहाँ के कर्मचारी भी रिश्वत राशि के बिना लोगों से बात करना भी मुनासिब नहीं समझते हैं।
बताते चलें की दाखिल खारीज हो या अंचल से जुड़े कोई भी काम हों, सभी जगह, सभी कर्मचारी बिना रिश्वत का कोई भी काम करना नहीं चाहते हैं और बिना रिश्वत दिए अंचलाधिकारी महोदय भी न्याय संगत कार्य को भी नहीं करते हैं। जब तक चढ़ावे की राशि सीओ को मिल नहीं जाता है तब तक वरीय पदाधिकारी के आदेशों का अनुपालन भी नहीं होता है,ऐसी अनेकों उदाहरण भरें पड़े है और यह आरोप जनक्रंदन की आवाज है ।

सीओ कुटूम्बा के मनमानी का दंश, सत्ता पक्ष के नेता एवं कार्यकर्ताओं, सोशल एक्टिविस्ट तथा स्थानीय मीडिया को भी झेलना पड़ता है ।

सीओ कुटूम्बा द्वारा संरक्षित लोग अनेकों तरह के जुल्म पीड़ित पक्ष पर ढ़ाहते आ रहे हैं जिससे अछूता सत्ता पक्ष के नेता, सोशल एक्टिविस्ट एवं स्थानीय पत्रकार भी नहीं है । दायित्व की अनुपालन की जगह सीओ कुटुम्बा अभय कुमार गलत लोगों की ठाकुर साहब एवं उनके बचाव में लगे हुए हैं ।
सबसे दिलचस्प बात तो यह है की जिस मामले में चढ़ावे की राशि सीओ को नहीं मिलता है उस मामले का निष्पादन सीओ द्वारा नहीं होता है, इसका ज्वलंत उदाहरण अंचल कार्यालय कुटुम्बा में वरीय पदाधिकारी के वर्षो से लंबित अनेकों आदेश का अनुपालन / निष्पादन नहीं होना है।

सीओ कुटूम्बा द्वारा पीड़ित पक्षों, सोशल एक्टिविस्ट एवं पत्रकारों को बरगलाना तथा वरीय पदाधिकारी के आदेश की अनुपालन की जगह जुल्म की इजाजत विपक्षियों को देना, यह साबित करता है कि सीओ कुटूम्बा कानून का रक्षक नहीं, असामाजिक तत्वों के संरक्षक हैं तथा इनके संरक्षण में सरेआम कुटुम्बा प्रखंड अंतर्गत भूमि विवाद को लेकर जनमानस को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है तथा सरकारी राजस्व को देने के लिए भी दाखिल खारिज में रिश्वत राशि देने पड़ते हैं। सीओ कुटुम्बा के कर्तव्य हीनता एवं गैर जिम्मेदाराना हरकत के कारण पीड़ित पक्ष के साथ कभी भी बड़ी घटना का अंजाम दिया जा सकता है।

उपरोक्त उल्लेखित तथ्यों के संदर्भ में मीडिया द्वारा सीओ कुटुंबा से आरोप की प्राप्ति से 06 घंटा के अंदर अपना पक्ष / प्रतिउत्तर समाचार का प्रकाशन हेतू रखने के लिए आग्रह किया गया था किन्तू कई दिनों तक सीओ कुटूम्बा आरोपों का प्रतिउत्तर/ जवाब देना मुनासिब नहीं समझे। उपरोक्त संबंध में प्रखंड प्रमुख कुटूम्बा जितेंद्र कुमार से पक्ष जानने का भी प्रयास किया गया, लेकिन प्रमुख नें चुप्पी साध लिया और अपना दामन बचाते हुए नजर आए।