पटना/डा. रूद्र किंकर वर्मा।
गुरू – शिष्य परंपरा मेंं विश्व मेंं सबसे ज्यादा अपने गुरू की सेवा करने वाले बीसवीं सदी के महान संत प्रात: स्मरणीय अनंत श्री विभूषित परमाराध्य सदगुरू महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के मस्तिष्क स्वरूप व उनके उत्तराधिकारी रहे महर्षि संतसेवी जी महाराज अपने गुरूदेव के गूढ़ ज्ञान को विश्वव्यापी बनाने मेंं उनकी अप्रतीम योगदान सर्वविदित है । त्रय लोक पावन परम पूज्य गुरुदेव महर्षि मेंंहीं परमहंस जी महाराज के प्रिय शिष्य रहे महर्षि संतसेवी जी का महा परिनिर्वाण दिवस इसी 4 जून को देश-विदेश मेंं संतमतावलंबियों द्वारा मनाई जाती है । सिध्द पीठ कुप्पाघाट आश्रम , सबौर आश्रम, अवतरण डीह गमहरिया सहित सभी सत्संग आश्रमों मेंं इस मौके पर पंच वक्त का ध्यानाभ्यास, स्तुति विनती,पुष्पांजलि, अपराह्न कालीन सत्र में वक्ताओं द्वारा उनके व्यक्तित्व कृतित्व , जीवन दर्शन ,गुरु महिमा आदि पर प्रकाश डाला जायेगा। इनके महाप्रयाण पर इनके उत्तराधिकारी गुरुस्नेही स्वामी आशुतोष जी महाराज नें मुखाग्नि दी थी । पुण्य तिथि को लेकर तैयारियां जोरों पर है।