दिल्ली डीटीसी बसों मे सरेआम महिला से छेड़खानी, देखते रहे हम ।

समाज जागरण डेस्क

दिल्ली: कितनी शर्म की बात है कि दिल्ली के डीटीसी बस मे सरेआम एक महिला के साथ छेड़खानी की जाती है और विरोध करने पर महिला के साथ मार-पीट की जाती है। इससे भी बड़ी बात है कि अपने आपको शहीद भगत सिंह, चन्द्रशेखर, सुभाषचनंद बोस के औलाद कहने वाले लोग चुप चाप सब कुछ देखते रहते है कायरो की तरह। राजनीतिक पार्टियों का क्या इंंडिया गठबंधन 293 के चक्कर मे लगी है तो बीजेपी 400 पार। यह समस्या आपकी अपनी है आपको स्वयं ही निपटने होंगे. लेकिन आप निपटेंगे कैसे ? आपके साथ मे कोई क्यो खड़ा होगा जब आप किसी के साथ मे खड़े नही होते। आपको अपने से मतलब है तो दूसरों को भी अपने से ही मतलब है। दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी तो इसलिए भी नही बनती है कि आपको दिल्ली मे सबकुछ फ्रि मे चाहिए । बिजली फ्रि, पानी फ्रि , बस यात्रा फ्री तो छेड़खानी झपटमारी को भी आप फ्रि के गिफ्त बाउचर समझिये। हर चीज आपको फ्रि चाहिए और हर बात के लिए सरकार को दोषी ठहराना ठीक तो नही होगा। वोट देने से पहले आप यह देखने है कि कौन पार्टी आपको सबसे ज्यादा फ्रि दे रहा है। सब कुछ फ्रि मे चाहिए तो बस मे चलने वाली मार्शल के लिए वेतन कहाँ से आयेगा. बस के ड्राइवर को देने के लिए तन्ख्वाह के पैसे कहाँ से आयेंगे । बस की मैंटेनेंस कैसे होगा। बस की मैटेंनेंस नही होगा तो बस कम हो जायेगी और आपको बस मे लटक कर जाना होगा। यह कहना कि बस मे भीड़ बहुत है और इसमे छेड़खानी, झपटमारी और चैन स्नेचिंग की घटना हो रहा है तो स्वंय सोचिये कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?

twitter पर वायरल विडियों के अनुसार एक आदमी के महिला के साथ छेड़खानी करता है, महिला के विरोध करने पर महिला को मारता-पीटता है। लेकिन लोग तमाशाई बना रहता है। वायरल विडियों कितना सच है या कितन झूठ समाज जागरण इसका पुष्टि नही करता है। लेकिन जो दिख रहा है वह स्थिति बाकई मे भयावह है उन आम लड़कियों महिलाओं के लिए जो डीटीसी को सुरक्षित समझकर इसमे यात्रा करना पसंद करती है।

बस मे चल रहे लोग तो बेचारे है, उनसे ज्यादा उम्मीद रखना ठीक नही है। कुछ लोग तो ऐसे वैसो से मुंह नही लगाना चाहते है तो कुछ लोग इसलिए भी कुछ नही बोलते ही कही ब्वाय फ्रैंड गर्ल फ्रैंड का लफड़ा तो नही है। या फिर इन्स्टाग्राम रील बनाने के बीमारी से पीड़ित दो कपल, जो कि अपने पापुलेरिटी के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। कानून तो बिल्कुल अंधा ही है सुना दिल्ली कानून के तो कान भी नही है सुनता भी नही है। अन्यथा आए दिन दिल्ली के डीटीस बस हो या दिल्ली के मेट्रो मे हो रहे झपटमारी, चैन स्नेचिंग या फिर रील बनाने के लिए हो रहे अश्लील हरकतो के बावजूद कोई सख्त कदम क्यो नही उठाये जाते है। उनको भी अच्छा लगता हो शायद मुफ्त मे ही यात्री मुजरा देखने को मिल जाता है और डीटीसी और मेट्रो की एडवरटाइजमेंट हो जात है । लाखों करोड़ो की बचत हो तो फिर सख्त कदम क्यो उचित कदम उठाए जाने चाहिए। रील बनाने वालों से लेकर उचक्के बदमाशों को सम्मानित करे ताकि इनको प्रोत्साहन मिले।

नमस्कार मै रमन कुमार आप देख रहे थे समाज जागरण।