*अखबार की दुनिया* पत्रकारिता ,पत्रकार की भूमिका व पैनी लेखन शैली ही देती है समाज को दिशा।

*पत्रकारिता क्या है*- ऐसी सूचनाओं का संकलन एवम सम्पादन कर आम पाठको तक पहुंचना,जिनमे अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो तथा जो अधिक से अधिक लोगों को प्रभावित करती हो पत्रकारिता कहलाती है।
*पत्रकरिता का मुख्य उद्देश्य*- पत्रकारिता एक ऐसा माध्यम है जो ‘समाज मे संवाद कायम तो रखता ही है साथ ही समाज को जागृत करना व मनोरंज करना भी इसका उद्देश्य है।’ आज समाज जिस अवस्था मे है पत्रकारिता की सक्रियता का ही परिणाम है। पत्रकारिता समाज के विभिन्न गतिविधियों का दर्पण है। सोशल मीडिया के युग में इस दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। तमाम संसाधन व माध्यम लोगों को त्वरित सेवाएं प्रदान कर रही है। चंद मिनटों में देश-विदेश की खबरों को सुलभ करा रही हैं।

*हिंदी पत्रकारिता के जनक*-  वर्ष 1819 में भारतीय भाषा मे पहला समाचार पत्र प्रकाशित हुआ ।वह बंगाली भाषा का पत्र-“संवाद कौमुदी”(बुद्धि का चांद)था। उसके प्रकाशक ‘राजाराम मोहन राय’ थे।
        हिंदी भाषा मे”उदन्त मार्तंड” के नाम से पहला समाचार पत्र 30 मई ,1826 को पण्डित जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र शुरू किया। इसलिए इस दिवस को “हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
*पत्रकारिता का स्वरूप*-
NEWS   PAPER-
———————-
N-North -उत्तर
E-East.   -पूरब
W-West. -पश्चिम
S-South. -दक्षिण

*P- Past – बिता हुआ काल
A – And.  -और
P -Prasent -वर्तमान
E – Event.   -घटना
R. -Reporting- सूचना एकत्र करना
*अर्थ*– चारों दिशाओं में बीते और वर्तमान की घटनाओं की सूचना/जानकारी उपलब्ध कराने के माध्यम को न्यूज पेपर कहते हैं।
यदि सिर्फ  NEWS  को जाने तो इसे इस प्रकार से भी जाना जा सकता है।
N- News worthness- विशेष मूल्य वाला।
E -Emphasis – विशेष कार्य
W- 5W- 1 H  -क्या, कहाँ ,कब ,क्यों ,कौन और कैसे से सूचनाओं को जानना।
S -Source of informetion -सूचनाओं का माध्यम।

“इसी के साथ *PRESS* को भी जान लेते हैं।
P- Public
R -Relation in
E -Education and
S – Social
S -Sarvices
यानि प्रेस का सही मतलब “पब्लिक रिलेशन इन एजुकेशन एन्ड सोशल (सामाजिक) सर्विसेज (सेवा)।
*PRESS* को और अर्थों में जानें-
P- पुट द बिफोर- समाचार को समाज के सामने लाना।
R- रिस्पांसिबल -समाज के प्रति जिम्मेदार
E- एजुकेटेड ,अर्थात समाज को शिक्षित करना।
S -सर्विलांस -अर्थात खबर की निगरानी करना।
S -सर्व – अर्थात समाज की सेवा करना।

*समाचार पत्र के अंग*-
1-समाचार 2-सम्पादकीय
3-फोटो     4-फीचर  5-लेख
6-साक्षात्कार  7-कार्टून  8-ग्राफिक्स  9-विज्ञापन
10-पत्र    11-मौसम  12-बाजार भाव ।
*समाचार के अंग*-
1-मेंन हेडिंग   2-सब हेडिंग
3- बाई लाइन   4-समाचार स्रोत
5-इंट्रो    6-व्यौरा

*मास्ट हेड*- अखबार के *नाम*  को अखबारी भाषा में मास्ट हेड कहते हैं।

*प्रिंट लाइन*-अखबार के सम्पादक,संस्थापक सहित मुद्रण प्रकाशन के पते,मोबाइल, फोन ,फैक्स, मेल, वाट्स एप , आरएनआई नम्बर व डाक सहित सभी जानकारी उल्लिखित होती है।

*5W-1 H का ढांचा*- 
खोजी पत्रकारिता में उपयोग की जाने वाली एक रणनीति है। सम्पूर्ण व सटीक जानकारी प्राप्त करने का माध्यम है। यह एक पत्रकार का सबसे बड़ा टूल्स है। वगैर इसको जाने व व्यवहार में प्रयोग न करने वाले सच्चे पत्रकार हो ही नहीं सकते। इसकी जरूरत समाचार संकलन से लेकर समाचार लेखन तक होती है। यदि यह कहा जाय तो पत्रकारिता में पत्रकार की प्रथम पढ़ाई का शुरुआत है।
*उदाहरणार्थ*
*क्या*- घटना क्या है।
*कहाँ*- घटना कहाँ हुआ है
*कब/जब*- घटना का समय क्या था।
*क्यों*- घटना क्यों हुई।
*कौन*- घटना कौन किया।
*कैसे*- घटना कैसे हुई।
इस सूत्र/माध्यम से घटना से जुड़ी विस्तृत जानकारी मिल जाती है जिससे खबर बनाने में पूरी जानकारी आ जाती है। बार -बार किसी घटना के तथ्य को जानने के लिए परेशान नहीं होना पड़ता।
            आज के नए पत्रकार जो 5W-1H को नहीं जानते और अमल नही करते तो एक खबर के लिए कई बार टेलीफोन कर जानकारी लेने में समय गवां देते हैं। घटना स्थल पर पहुंचकर इस सूत्र के जरिये जानकारी एक ही बार मे कर लेनी चाहिए। दुर्घटना के मामले में बहुत ही जल्दी से पुलिस सक्रिय होती है और यातायात को सुगम बनाने के लिए  सभी तरह के स्थितियों को हटा बढ़ा देती है और मौके पर भी नहीं रहती ,अधिकारी भी चले गए होते हैं।स्थलीय पत्रकारिता में सूत्र को बराबर अमल में हर पत्रकार लाये अन्यथा वह आज के खबर पेस्टिंग मर्ज का शिकार हो जाएगा। उसकी बुद्धि कुंठित हो जाएगी,क्योंकि वह अपने बुद्धि का प्रयोग नहीं करता। सदैव खबर के लिए बैसाखी को खोजता है।जिसके चलते खबर की सच्चाई तो खत्म हो ही जाती है वह पत्रकार पीत पत्रकारिता के जाल में फंसता जाता है और झूठ पर झूठ अपने सम्पादक/उपसंपादक बोलता है।एक दिन अखबार का सम्पादक उसे हटा देता है। उसकी पहचान जुड़ी अखबार व समाज से समाप्त हो जाती है।

*पत्रकारिता क्षेत्र की कुछ सहायक जानकारियां*–

*मेन हेडिंग*- (मुख्य शीर्षक) किसी भी घटना के बारे में पहली जिज्ञासा उठती है कि क्या हुआ?यहीं समाचार का हेडिंग है।
*बाई लाइन*-समाचार लिखने वाले अथवा प्रस्तुत करने वाले संवाददाता के नाम को बाई लाइन  कहते हैं। समाचारो के साथ संवाददाता का नाम भी लिखा होता है।
*डेट लाइन*- जिस स्थान से खबर लिखी जाती है उस स्थान को पत्रकारिता में डेट लाइन कहते हैं।
*कैप्शन*- फोटो के नीचे दी गई सूचना अथवा परिचय को अखबार की भाषा मे “कैप्शन”कहते हैं।
*इंट्रो*- इंट्रोडक्शन(परिचय) का संक्षिप्त रूप है। जो समाचार लंबे या मध्यम आकार के होते हैं उनमें शुरू में एक पैराग्राफ दिया जाता है जिसमे संक्षेप में पूरे समाचार की मुख्य सूचनाएं रहती हैं। इंट्रो को पढ़कर पूरे समाचार की मुख्य जानकारियां एक बार मे प्राप्त की जा सकती है।
*ब्यौरा*- इंट्रो के बाद समाचार विस्तार से दिया जाता है। इसे ही समाचार या घटना का व्योरा कहते हैं। जिसमे 5W-1H से सम्बंधित सभी जानकारियां दी जाती है।
*सम्पादकीय*- समाचारों पर आधारित सम्पादक की टिप्पणी को सम्पादकीय कहते हैं। सम्पादकीय में समाचारों अथवा घटनाओं पर सम्पादक को अपने विचार प्रकट करने की पूरी छूट होती है।
*फोटो*- अखबार में छपने वाला फोटो अपने आप मे एक समाचार होता है। फोटो खबर के एंगिल पर साफ होनी जरूरी है। सेल्फी फोटो अखबार नही लेती।
*फीचर*- अखबारों में समाचार छपते हैं, इससे केवल क्या हुआ केवल जानकारी मिलती है।
      उदाहरण के लिए कल्पना चावला अंतरिक्ष मे उड़ान भरी तो अखबारों में एक भारतीय महिला ने अंतरिक्ष की परिक्रमा की। लेकिन कल्पना चावला कौन है,साहस कैसे जुटा पाई, बहादुरी से प्रभावित बातों की सरल और मनोरंजक शैली में बताए जाए तो वह फीचर होता है। 5W-1H सहित जानकारी फीचर है।
*साक्षात्कार*(इंटरब्यू) साक्षात्कार यानि किसी व्यक्ति से बातचीत इसे अंग्रेजी में इंटरव्यू कहा जाता है। साक्षात्कार से सूचनाओं की प्रामाणिकता पुष्ट होती है। साक्षात्कार मुख्यतः आमने -सामने बैठकर बातचीत के माध्यम से किसी विषय पर जानकारी प्राप्त करने को कहते हैं।
*लेख*- अखबारों में प्रायः दो प्रकार के लेख प्रकाशित होते हैं- संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले वाले दूसरे फीचर वाले पन्नो पर प्रकाशित होते हैं। सम्पादकीय पृष्ठ पर अनिवार्यतः समाचार अथवा घटनाक्रम पर आधारित हो  लेकिन फीचर वाले पन्नों पर प्रकाशित होने वाले लेख किसी भी क्षेत्र राजनीति,समाज,साहित्य,खेल,  फैशन,व्यापार,पर्यटन आदि।
*व्यंग चित्र*-अखबारों में दो प्रकार के व्यंग चित्र छपते हैं। एक समाचारों पर आधारित और दूसरे  शुद्ध मनोरंजन के लिए। समाचारों पर आधारित व्यंग चित्र सिंगल बॉक्स एक घेरे में वहीं मनोरंजन वाले कई बॉक्स  के भी होते हैं।
*विज्ञापन*- अखबार विज्ञापन के माध्यम से लोगों तक सूचनाएं पहुंचाता है और लाभ का चक्रीय  क्रम बनता है। विज्ञापन अखबारों की आय का प्रमुख साधन होते हैं। हमें खबरों के साथ अपने अखबार को आर्थिक रूप से मजबूत बनाये रखने की दिशा में भी प्रयास करना चाहिए।
*समाचार के प्रकार*-
राजनीतिक समाचार सामाजिक, व्यापार,अर्थ जगत समाचार, खेल जगत समाचार, विविध समाचार-(साहित्य ,संस्कृति, विज्ञान ,पर्यावरण समाचार एवम अन्य। ये सभी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय व स्थानीय स्तर के होते हैं।
*खबर लेखन के अंग*-
शीर्षक ,इंट्रो व बॉडी ।
शीर्षक को हेडिंग व प्रथम पैरा इंट्रो व सम्पूर्ण विवरण बॉडी में लिखे जाते हैं। खबर में किसी अधिकारी का वर्जन (बक्तव्य) अंतिम में अधिकतर लिखे जाते हैं।
*क्रॉसर*- खबर के मध्य व फोटो लगे स्थान सहित बीच में भी खबर के हाई लाइट की संक्षिप्त बिंदु को एक निर्धारित जगह और अक्षर पॉइंट के साथ दर्शाया जाता है।
       पत्रकार पूरे जीवन काल तक सीखता है और नए तथ्यों,आकारों,बदलाव के साथ कुछ नए खोज के जरिये बराबर अपने अखबार को ऊंचाइयां देने व दिलाने का प्रयास करता है।
      क्रमशः—–
    *(के0 एल0 पथिक के कलम से)*।