भारतीय संस्कृति की रक्षा में गुरूकुलों का विशेष योगदान- कुमारी सैलजा



हिसार (राजेश सलूजा): कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि हमारी संस्कृति, संस्कृत एवं गुरूकुलों के बिना अधूरी है। आधुनिक भारत में गुरूकुल परंपरा ज्यादा जरूरी है। वर्तमान समय में जहां समाज में कुरीतियां बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में गुरूकुल निर्माणशाला रूप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। कुमारी सैलजा गुरूकुल आर्यनगर के वार्षिक महोत्सव के अंतिम दिन बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रही थी।

कांग्रेस नेत्री कुमारी सैलजा ने गुरूकुल पद्वति पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हम सभी को गुरुकुलों के विकास एवं समवर्धन के लिए प्रयास करना चाहिए। सैलजा ने कहा कि मेरे पिता स्वर्गीय चौधरी दलबीर सिंह भी एक आर्य समाजी थे। उनका आर्य समाज से बहुत ज्यादा लगाव था। उन्होंने कहा कि गुरूकुल में उनके नाम से बनाए गए छात्रावास उन्हें हमेशा गुरूकुल की ओर आकर्षित करता रहा है। यह गुरूकुल मेरे लिए एक स्मरणीय संस्थान बन गया है। इस दौरान उन्होंने अपनी माता कलावती व पिता चौधरी दलबीर सिंह के नाम पर गुरूकुल में बनाए गए छात्रावास के विस्तार का लोकार्पण भी किया। इसके लिए सेठ रामरीछपाल व सेठ जगदीश प्रसाद आर्य गुरेरा ने ग्यारह लाख का सहयोग दिया था। गुरूकुल के मंत्री एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने अभिनंदन पत्र पढ़कर मुख्यातिथि कुमारी शैलजा व विशिष्ट अतिथि गणों का सम्मान किया। वहीं उनके प्रधान स्वामी सुमेधानंद सरस्वती सांसद सीकर, कार्यकारी प्रधान रामकुमार आर्य, गुरुकुल के मंत्री लाल बहादुर खोवाल, आचार्य रामस्वरूप शास्त्री व मानसिंह पाठक सहित गुरूकुल कार्यकारिणी ने आए अतिथियों को शॉल, स्मृति चिह्न व साहित्य भेंट करके सम्मानित किया। इस अवसर पर सीकर से सांसद एवं गुरूकुल के अध्यक्ष स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, गुरूकुल के संरक्षक सेठ जगदीश गुरेरा, पूर्व सांसद चरणजीत सिंह रोड़, पूर्व विधायक बलवान सिंह, डॉ अजय चौधरी, गोपीराम चाटीवाल, मंगतराम लालवास, रणदीप लोहचब, आचार्य पंडित रामस्वरूप शास्त्री, रामकुमार आर्य, मानसिंह पाठक, भूपेंद्र गंगवा, राकेश तंवर, रामनिवास राड़ा, शैलेश वर्मा, दिलबाग हुड्डा, निहाल सिंह डांगी, कर्नल ओमप्रकाश, तेलुराम जांगड़ा, जगतपाल शास्त्री, गीता सिहाग, शकुंतला सिंहमार, विजय कपूर, विरेंद्र सेलवाल, डॉ मनदीप पूनिया, अश्विनी शर्मा, स्नेहलता निंबल व संतोष जून सहित गुरूकुल प्रबन्धक समिति के सदस्य तथा अनेक धर्म प्रेमी सज्जन उपस्थित रहे।