बिजनौर : थैलेसीमिया की रोकथाम को अस्पताल में शुरू हुई जांचदैनिक समाज जागरण

ब्यूरो शमीम अहमद

बिजनौर। जिले में थैलेसीमिया से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसे जागरूकता का अभाव कहें या फिर स्वास्थ्य विभाग के पास संसाधनों की कमी। मगर अब थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए मेडिकल अस्पताल में जांच शुरू हो गई है। जांच के लिए सभी रीजेंट आ गए हैं। अब गर्भवती महिलाओं की जांच कर बच्चे में थैलेसीमिया का पता लगाया जा सकेगा।
जिले में बढ़ रही थैलेसीमिया के मरीजों की संख्या चौंकाने वाली है। मेडिकल अस्पताल के रक्त कोष में थैलेसीमिया के 70 बच्चे पंजीकृत हैं। जिन्हें हर महीने एक यूनिट रक्त की जरूरत पड़ती है। इसी वजह से अब थैलेसीमिया की जांच शुरू कर गई है। शासन ने मेडिकल अस्पताल को थैलेसीमिया की जांच के लिए करीब 43 लाख रुपये बजट जारी कर दिया है। अभी तक जिले में थैलेसीमिया जांच की कोई व्यवस्था नहीं थी। अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की जांच कर बच्चे के थैलेसीमिया से ग्रसित होने का पता चल जाएगा। जांच में परिणाम पॉजिटिव आने पर परिजनों को गर्भपात की सलाह दी जाएगी।

अस्पताल में होगी थैलेसीमिया की एचबीए 2 जांच

अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि थैलेसीमिया बीमारी का पता लगाने के लिए गर्भवती महिलाओं की एचबीए 2 जांच की जाएगी। महिला का एचबीए 2 जांच में 3.5 रहना चाहिए। एचबीए 2 इससे अधिक होने पर गर्भ में पल में रहे बच्चे को थैलेसीमिया बीमारी होने की पुष्टि होती है। अगर थैलेसीमिया है तो इसे रोकने के लिए परिजनों को सलाह दी जाएगी।

थैलेसीमिया की रोकथाम के लिए ली जाएगी परिवार की हिस्ट्री
अगर एचबीए 2 जांच में थैलेसीमिया की पुष्टि होती है तो महिला और पुरुष दोनों की जांच की जाएगी। इन दोनों में से जिसमें भी थैलेसीमिया पाया जाता है, उसके माता-पिता की जांच की जाएगी। अगर लड़की पॉजिटिव आती है तो उसकी दूसरी बहनों, भाइयों की भी जांच होगी। परिवार हिस्ट्री लेकर और उनकी जांच कर थैलेसीमिया बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकेगा।

थैलेसीमिया ग्रसित परिजनों की होगी काउंसलिंग

जांच के साथ-साथ अस्पताल में थैलेसीमिया ग्रसित माता-पिता की काउंसलिंग भी की जाएगी। काउंसलिंग के दौरान चिकित्सक उन्हें बच्चे नहीं करने की सलाह देंगे। क्योंकि अगर वह बच्चे को जन्म देते हैं तो वह बच्चा भी थैलेसीमिया से ग्रसित होगा। जिसके चलते उसे हर महीने रक्त चढ़ेगा और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी।

ऐसे होती है थैलेसीमिया बीमारी-
चिकित्सक डॉ. आरएस वर्मा का कहना है कि थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है। बच्चे को यह बीमारी अपने माता-पिता से मिलती है। यह रोग होने से हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है। हीमोग्लोबिन में अल्फा और बीटा प्रोटीन का उत्पादन नहीं होता है। जिसकी वजह से रक्त नहीं बनता है। इसलिए बच्चे को समय-समय पर रक्त चढ़ता है।

अस्पताल में थैलेसीमिया जांच शुरू कर दी गई है। महिला अस्पताल को पत्र लिखकर थैलेसीमिया ग्रसित संदिग्ध मरीजों को भेजने के लिए कहा गया है। जांच के बाद थैलेसीमिया रोग को बढ़ने से रोका जा सकेगा। – डॉ. मनोज सेन, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, बिजनौर