हर एक के प्रति प्रेम और सहयोग की भावना रखें बच्चे – ब्रह्माकुमारी श्यामा बहन

उड़ान शिविर के चौथे दिन आंतरिक व बाह्य स्वच्छता के बारे में बताया गया

ट्रेन दुर्घटना में मृतकों की आत्मा की शान्ति के लिए ध्यान कराया गया…

दोपहर का भोजन राजा की तरह अर्थात अधिक मात्रा में और रात्रि का भोजन भिखारी की तरह कम करें – डॉ लव श्रीवास्तव

समाज जागरण ब्यूरो चीफ विवेक देशमुख

बिलासपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी टिकरापारा सेवा केंद्र में हार्मनी हॉल में चल रहे उड़ान बाल संस्कार शिविर के चौथे दिन सत्र की शुरुआत में ओम ध्वनि व ध्यान का अभ्यास कराने के पश्चात स्वच्छता के महत्व के बारे में बताते हुए ब्रम्हाकुमारी श्यामा बहन ने कहा कि स्वच्छता मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं बाह्य स्वछता व आंतरिक स्वच्छता। बाह्य स्वच्छता अर्थात स्वयं के शरीर को स्वच्छ रखना, स्वच्छ कपड़े पहनना, घर की हर एक वस्तु सुव्यवस्थित रखना अपने आसपास के वातावरण को भी स्वच्छ बनाए रखें क्योंकि अस्वच्छता से ही अनेक प्रकार की बीमारियां होती है। आंतरिक स्वच्छता अर्थात मन हमारा निर्मल हो साफ हो किसी के प्रति ईर्ष्या, घृणा, द्वेष जैसी किसी भी प्रकार की बुराइयां हमारे मन में ना हो, हर एक के प्रति प्रेम और सहयोग की भावना हो।

मेहनत का फल मीठा होता है…
ब्रह्मा कुमारी नीता बहन ने एक कहानी के माध्यम से बताया कि मनुष्य को हमेशा परिश्रम करते रहना चाहिए क्योंकि परिश्रम का फल बहुत मीठा होता है और सफलता निश्चित होती है।

धैर्यता सफलता दिलाती है….
गौरी बहन ने धैर्यता की सीख देने वाली कहानी बताकर उसका प्रैक्टिकल प्रयोग कराया। भले ही होशियार न हो लेकिन धैर्यता के गुण से बड़ों- छोटों सभी की दुआएँ मिलती है जो स्वतः ही हमें सफलता दिलाकर आगे बढ़ाती है।गौरी बहन ने बच्चों को ‘समय का ये कहना है’ कविता के माध्यम से समय का महत्व बताया और कल हुए ट्रेन दुर्घटना में मृतकों की आत्मा की शान्ति के लिए बच्चों को ध्यान कराया।

आज अतिथेय उदबोधन के लिए डॉ लव श्रीवास्तव के साथ पतंजलि के जिला प्रभारी डॉ के के श्रीवास्तव ने कहा कि सभी दोपहर का भोजन राजा की तरह अच्छे से व रात्रि का भोजन भिखारी की तरह अर्थात् बहुत कम करें। दिनभर में शाम 5 बजे से पहले तक पर्याप्त पानी पियें और जितना हो सके गुनगुना पानी लें और सिप सिप करके पियें। भोजन हमेशा शुद्ध और शाकाहारी करें। बच्चे मैग्गी मोमोस आदि न खाएं तो अच्छा है यदि खाना ही है तो महीने में बस एक बार खाएं।चाय नहीं पीयें।
उन्होंने प्राणायाम का परिचय भी दिया और बच्चों से कुछ सवाल पूछे, सही उत्तर देने वालों को प्राइज भी दिया।

बच्चों ने जल बचाओ, पर्यावरण और नशामुक्ति पर स्पीच तैयार क़र सुनाया। अंत में सभी बच्चों को प्रसाद दिया गया।