साइबर ठगी: सतर्कता ही बचाव का रास्ता – राजीव सिंह

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में वाराणसी के सिगरा-भेलूपुर इलाका बना साइबर ठगी का हॉट स्पॉट

वाराणसी।

डीएवी पीजी कॉलेज में आइक्यूएसी के अंतर्गत संचालित यूजीडीसीए, कंप्यूटर सेंटर के तत्वावधान में शनिवार को साइबर सुरक्षा पर एक दिवसीय परिचर्चा (कार्यशाला) का आयोजन हुआ। इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वाराणसी साइबर थाने के प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि साइबर ठग लालच और अनभिज्ञता का फायदा उठाकर लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। इन ठगों से डरने की बजाय हमें जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि किसी भी साइबर अपराध की सूचना सरकार द्वारा जारी टोल फ्री नंबर 1930 पर तुरंत दी जानी चाहिए। पिछले एक साल में साइबर अपराधियों से 5.5 करोड़ रुपये वसूलकर 100 से अधिक ठगों को सलाखों के पीछे भेजा गया है।

राजीव कुमार सिंह ने कहा, “साइबर ठगों से बचने के लिए सतर्कता जरूरी है। यदि हम सभी जागरूक होंगे तो इन ठगों का सामना किया जा सकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और लोगों को अधिक सचेत रहकर इनसे बचने की आवश्यकता है।

कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के साइबर विशेषज्ञ एएसआई श्यामलाल गुप्ता ने साइबर ठगी के 300 से अधिक प्रकारों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वाराणसी का सिगरा से भेलूपुर तक का इलाका साइबर ठगी का हॉट स्पॉट बन चुका है। प्रतिदिन इस क्षेत्र में 8 से 10 साइबर ठगी के मामले दर्ज हो रहे हैं, और इनमें से कई मामलों को पुलिस शीघ्र निस्तारित कर रही है। एएसआई श्यामलाल गुप्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस कभी भी ऑनलाइन पूछताछ नहीं करती है, इसलिए पुलिस के नाम से आने वाली कॉल से डरने की आवश्यकता नहीं है।

विशिष्ट वक्ता के रूप में बीएचयू के लॉ विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मयंक प्रताप ने साइबर सुरक्षा की महत्वता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत साइबर हमलों में दुनिया में तीसरे स्थान पर है, और ऐसे में हमें और अधिक जागरूक रहने की आवश्यकता है। डॉ. मयंक ने यह भी बताया कि साइबर अपराधों से बचने के लिए लोगों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन साझा करने से बचना चाहिए और मजबूत पासवर्ड का उपयोग करना चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने कहा कि भारत डिजिटल अपराधियों के लिए एक बड़ा बाजार बन चुका है। उन्होंने बताया कि लोग जल्दी पैसा कमाने की होड़ में इन अपराधियों के जाल में फंस जाते हैं। उन्होंने लोगों को सतर्क रहने और अपनी जानकारी ऑनलाइन साझा करने से पहले दो बार सोचना जरूरी बताया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य प्रो. मिश्रीलाल ने साइबर अपराध को विज्ञान और तकनीक के दुरुपयोग का विकृत रूप बताया। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध से संबंधित जागरूकता सभी वर्गों के लिए जरूरी है, क्योंकि यह समाज के हर हिस्से को प्रभावित कर सकता है।

इस कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के मंत्री/प्रबंधक अजीत कुमार सिंह यादव ने अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान किए। इस अवसर पर कार्यशाला का संयोजन पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. शान्तनु सौरभ ने किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन नजम उज्ज जमाल ने किया।

कार्यशाला में महाविद्यालय के उपाचार्य प्रो. राहुल, प्रो. संगीता जैन, प्रो. सत्यगोपाल, प्रो. संजय साह, विभाग के कावेरी शर्मा, संध्या श्रीवास्तव, रोजीना बानो सहित अन्य प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों और आम जनता को साइबर अपराधों के प्रति जागरूक करना था, ताकि वे इन अपराधों से बच सकें और साइबर सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बना सकें।

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