*दो दोषियों को 20-20 वर्ष की कठोर कैद*



– 62 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर एक-एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
* अर्थदंड की धनराशि में से 50 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी
* जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी
* साढ़े तीन वर्ष पूर्व 13 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म का मामला

ब्यूरो चीफ़/ दैनिक समाज जागरण।

सोनभद्र। साढ़े तीन वर्ष पूर्व 13 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दो दोषियों को 20-20 वर्ष की कठोर कैद एवं 62 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक-एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 50 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक रायपुर थाना क्षेत्र  के एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने 31 जनवरी 2022 को रायपुर थाने में दी तहरीर मे अवगत कराया था कि उसकी 13 वर्षीय नाबालिक बेटी को 30 जनवरी 2022 को दोपहर 2 बजे सुशीला पत्नी राम परिखा निवासी  सहपुरवा (पड़री), थाना रायपुर जिला सोनभद्र ने साजिश के तहत खेत पर बने अपने मकान में भेज दिया। जहां पर पहले से ही मकान में मौजूद रामेश्वर यादव पुत्र रामजग यादव निवासी ग्राम पड़री, थाना रायपुर, जिला सोनभद्र ने मुंह बंद करके जबरन बेटी के साथ दुष्कर्म किया। उस समय घर पर पति-पत्नी नहीं थे। शाम करीब 6 बजे घर आया तो बेटी ने सारी बात बताया। इस तहरीर पर पुलिस ने  एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने  पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, 10 गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दुष्कर्म के दोषी रामेश्वर यादव को 20 वर्ष की कठोर कैद एवं 21 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं दुष्कर्म में सहयोग करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी सुशीला को 20 वर्ष की कठोर कैद व 41 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। जबकि अर्थदंड की धनराशि में से 50 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगा। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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