अमेठी के डॉ. रमाकांत क्षितिज को महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला

समाज जागरण
अभिषेक तिवारी
अमेठी

अमेठी. पूरे हरिराम तिवारी के पुरवा, हारीपुर, अमेठी के डॉ. रमाकांत क्षितिज को वर्ष 2023 का महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी का पुरस्कार फ़िल्म अभिनेता मनोज जोशी के हाथों रंगशारदा बांद्रा मुंबई में अकादमी द्वारा आयोजित भव्य कार्यक्रम में फ़िल्म अभिनेता और रामराज्य के लेखक आशुतोष राणा, भजन सम्राट अनूप जलोटा एवं प्रसिद्ध लेखिका चित्रा मुदगल और अन्य साहित्यकारों के साथ दिया गया.
डॉ.रमाकांत क्षितिज को यह पुरस्कार उनके कहानी संग्रह ‘ जीवन संघर्ष ‘ के लिए मुंशी प्रेमचंद के नाम से साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला. कल्याण पूर्व में होली होराइजन स्कूल के संस्थापक एवं प्रिंसिपल डॉ.रमाकांत क्षितिज पिछले लगभग तीस वर्षो से लेखन कर रहे हैं. अमेठी उत्तरप्रदेश के मूल निवासी डॉ. क्षितिज ने अब तक ‘ मुंबई में एक और समंदर ‘( 26 जुलाई
2005 की मुंबई की बाढ़ पर आधारित ) ‘ दर्पण की मुस्कान ‘ ( लघु कथा संग्रह ) ‘जीवन संघर्ष ‘ ( कहानी संग्रह ) ‘अब्दुल बिस्मिल्लाह का कथा साहित्य ‘ ( समीक्षा ) ‘काश ! आठवीं संतान लड़की होती ‘ ( काव्य संग्रह ) ‘अइसन हमार गांव रहा ‘ (अवधी काव्य संग्रह ) ‘ मुझे कुछ कहना है ‘ (अवधी – हिन्दी काव्य संग्रह ) ‘अब्दुल बिस्मिल्लाह का उपन्यास साहित्य ‘ ( समीक्षा ) ‘तरी ही पुन्हा जगावे ‘ ( कहानी संग्रह का मराठी अनुवाद ) ‘ माई सेल्फ गोबर प्रसाद ‘ ( लघु कथा ) ‘ अपना अपना क्षितिज ‘ ( संस्मरण ) आदि पुस्तकें हैं.इसके अलावा डॉ. क्षितिज मराठी और अवधी भाषा के लिए ‘ अवधी – मराठी कला अकादमी ‘ के द्वारा अनेक आयोजन करते रहते हैं. आप के उल्लेखनीय कार्यों में श्मशान भूमि में ‘ जीवन संघर्ष ‘ पुस्तक का विमोचन.आप का मानना है कि भौतिक जीवन का समापन श्मशान भूमि तो होती ही है.साथ ही गरुण पुराण के अनुसार श्मशान भूमि पर पर स्वतः ज्ञान सभी को हो जाता है. अर्थात मां सरस्वती वहाँ रहती हैं. तो किसी पुस्तक विमोचन के लिए इससे सुन्दर जगह और क्या हो सकती है. संगम प्रयागराज में नाव पर ‘ ‘काश ! आठवीं संतान लड़की होती ‘ का विमोचन. डॉ. क्षितिज कहते है संगम पर गंगा जमुना सरस्वती का संगम है. जहाँ सरस्वती हैं,वह पुस्तक के विमोचन के लिए योग्य स्थान है. जुहू मुंबई समंदर में ‘ मुझे कुछ कहना है ‘ क़िताब का विमोचन. सारी सृष्टि की संरचना ही किसी समय समुद्र मंथन से हुई है.’ मुझे कुछ कहना है ‘ पुस्तक का लोकार्पण मनगढं प्रतापगढ़ में करना धार्मिक स्थलों के प्रति उनके श्रद्धाभाव को दर्शाता है. डॉ. क्षितिज ने अपने पुत्र के विवाह की पत्रिका को पुस्तक की शक्ल में प्रकाशित किया. इसमें उनके गांव के हर जाति के घरों के मुखिया को निमंत्रक बनाया गया. जो कि बहुत ही सराहनीय और प्रेरणादायी कार्य के साथ, अपने आप में अनोखा कार्य था . अपने अस्सी की उम्र पार कर चुके पिता श्रीभगवान तिवारी एवं माता भानुमती तिवारी का पुनर्विवाह कुछ वर्ष पूर्व करवाकर समाज में माता पिता के प्रति सम्मान का अच्छा संदेश दिया था . ‘ अइसन हमार गांव रहा ‘ अवधी काव्य संग्रह का अपने पैतृक गांव पूरे हरिराम तिवारी का पुरवा गांव देहात अमेठी में अपनी मां के हाथों विमोचन करवाकर एक अच्छी पहल की थी . अवधी के प्रति आप का लगाव मुंबई से लेकर अमेठी तक चर्चा का विषय बना रहता है. लगभग अपने हर आयोजन का निमंत्रण पत्र आप अवधी में ही लिखते एवं छपवाते हैं. वरिष्ठ नागरिकों के लिए ‘ बुजुर्ग सम्मान समारोह ‘ का आयोजन. कल्याण मुंबई अमेठी कुल मिलाकर 24 बुजुर्ग सम्मान समारोह के साथ महिलाओ के लिए ‘ महिला सम्मान समारोह ‘ मुंबई कल्याण अमेठी कुल मिलाकर 24 महिला सम्मान समारोह का आयोजन कर चुके हैं. इसी के साथ नशा से मुक्ति के लिए सामूहिक ‘ नशा मुक्ति शपथ ‘ कल्याण, अमेठी और सोलापुर में कर चुके हैं . सामूहिक दीपोत्सव का आयोजन
कल्याण और अमेठी में कई बार आयोजित कर चुके हैं . डॉ. रमाकांत क्षितिज को इस पुरस्कार से सम्मानित होने पर जहाँ मुंबई कल्याण के हिन्दी प्रेमियों में ख़ुशी है. वहीं अमेठी उत्तर प्रदेश के हिन्दी प्रेमियों में भी ख़ुशी की लहर है. अपनी इस उपलब्धि का श्रेय डॉ. रमाकांत क्षितिज ने अपने इष्ट कान्हा को दिया है. डॉ. क्षितिज कहते हैं सब कान्हा ही करते हैं, कुछ कार्यों के लिए उन्हें माध्यम बनाते हैं, यह कान्हा की कृपा है. ‘ जीवन संघर्ष ‘ पुस्तक भी उन्हीं कार्यों में से एक है. इसी के साथ डॉ. क्षितिज ने हिन्दी अकादमी,महाराष्ट्र सरकार,अपने परिवार के साथ साथ कल्याण मुंबई महाराष्ट्र और अमेठी उत्तर प्रदेश के मित्रों, शुभ चिंतकों के साथ साथ अपने आलोचकों के प्रति आभार व्यक्त किया है.