ईद-उल-अजहा आज,”अल्लाह आपको खुशियां अता करें”जनाब फिरोज आलम नदवी ने बकरीद पर दी बधाई

बकरीद का त्योहार आपस में भाईचारा और एकता का देता है पैगाम: फिरोज आलम

शंकरपुर/डा. रूद्र किंकर वर्मा।

ईद उल-अज़हा यानी बकरीद का त्योहार 17 जून, सोमवार के दिन मनाया जाएगा। इसे बकरा ईद के नाम से भी जाना जाता है. यह कुर्बानी का त्योहार है. इस दिन बकरे की कुर्बीनी दी जाती है ।
फैसल एजुकेशनल सोसायटी शंकरपुर के चेयरमैन जनाब फिरोज आलम नदवी ने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, इस साल भारत में ईद उल-अज़हा यानी बकरीद का त्योहार 17 जून, सोमवार के दिन मनाया जाएगा. इस्लाम धर्म में इस दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा होती है. दुनियाभर के मुसलमानों द्वारा पैगंबर इब्राहिम के बलिदान को याद करते हुए इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है.
इब्राहिम अलैहि सलाह की सुन्नतों को किया जाए याद
फैसल एजुकेशनल सोसायटी शंकरपुर के चेयरमैन जनाब फिरोज आलम नदवी ने कहा कि त्याग और बलिदान कि त्योहार बकरीद 17 जून को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा और खुदा की राह जानवरों की कुबार्नी कर सैयदना इब्राहिम अलैहि सलाह की सुन्नतों को याद किया जाएगा। बकरीद का त्योहार बहुत अजमत और लोगों की भलाई का संदेश देता है। मुसलमानों को चाहिए कि बकरीद के दिन सुबह-सवेरे उठकर अपने मोहल्ले की मस्जिदों में फजर की नमाज अदा करे। ईदगाह या मस्जिद जाने से पहले गुसुल कर लें, अच्छा कपड़ा पहनें, खुशबु लगाएं और जिस्म की पाकी के साथ-साथ दिल और जुबान को भी पाक व साफ रखें। उन्होंने कहा कि ईद-उल-अजहा की नमाज के लिए जाते समय अल्लाह की बड़ाई और उसकी अजमत के कलेमात पढ़ते जाए और घर वापस आने पर जानवरों की कुबार्नी कर हजरत इब्राहिम अलैहि सलाह की सुन्नतों को याद किया जाए। जनाब फिरोज आलम ने अपने संदेश में कहा कि त्योहार के अवसर किसी दूसरे धर्म के मानने वालों की किसी प्रकार का कष्ट न हो इसका खास ध्यान रखा जाय। कुबार्नी के बचे अवशेषों को इधर-उधर न फेंके बल्कि चिन्हित स्थानों पर ही इसे डम्प किया जाए ।उन्होंने देश वासियों को बकरीद की बधाई देते हुए कहा कि “अल्लाह आपको खुशियां अता करें”।