मोबाइल का अधिक उपयोग बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है प्रभु दयाल कुशवाहा सचिव झारखंड प्राइवेट स्कूल संगठन हजारीबाग

मोबाइल की लत लगने की वजह से बच्चे पढ़ाई, खेलने, परिवार के साथ बातचीत करने जैसी गतिविधियों से दूर हो रहे हैं । अकसर बच्चों के अभिभावक स्कूल में शिकायत लेकर पहुंचते हैं कि हमारा बच्चा मोबाइल के लिए जिद करता है और लेकर ही रहता है । घंटों मोबाइल में कुछ न कुछ देखते रहता है । ऐसा मध्यम वर्गीय परिवारों में ज्यादा देखने को मिलता है परिवार के लोग अपनी व्यस्तता खासकर माताएं बच्चों को फोन दे कर अपना काम निपटाने में लग जाती हैं। मोबाइल ले लेने पर, छीन लेने पर बच्चा आक्रोशित हो जाता है । झुंझलाने लगता है,उसका जिद्दीपन बढ़ जाता है ।
मोबाइल देखने से आंखों पर असर पड़ने लगता है , बच्चा जिद्दी और आक्रामक हो जाता है, सर दर्द होने लगती है ।

आईए जानते हैं बच्चों को मोबाइल से दूर रखने का कुछ तरकीब। बच्चों के लिए खोजें कोई फेवरेट एक्टिविटी बच्चों को मोबाइल से अलग करने का अच्छा तरकीब है कि उन्हें खेलकूद ,किताबें पढ़ना ,पार्क वगैरह में खेलने भेजना, सामूहिक रूप से बच्चे जहां खेलते हैं वहां खेलने के लिए प्रेरित करना। खाली समय में बच्चों की इच्छा अनुसार डांस सीखना, आउटडोर गेम साइकिल चलाना जैसे अन्य गतिविधियों में लगाना चाहिए ताकि उसका समय इन कामों में व्यतीत हो ।

बच्चों को छोटी-मोटी जिम्मेवारियां दे सकते हैं
बच्चों के साथ समय बिताने के साथ-साथ घर के छोटे-मोटे कामों की जिम्मेवारियां भी दें जैसे पौधों में पानी देना, अपना सामान खिलौने, गेंद आदि खुद से रखना निकालना । अपना अलमारी साफ करना । डेकोरेट करना आदि । इससे बच्चे फोन से दूर रहेंगे ।
भरसक कोशिश हो कि बच्चों के सामने मोबाइल न चलावे
माता-पिता बड़े भाई बहन कोई जरूरी काम करने के अलावा उनके सामने रिल देखना, फेसबुक चलाना बंद करें, बच्चों को फोन पकड़ा कर शांत कराने की प्रवृत्ति बंद होने से बेहतर हो सकता है ।
निष्कर्ष
मोबाइल आज के समय में सभी के लिए जरूर बन गई है । ऐसे में नुकसान से बचते हुए बच्चों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाना अच्छी बात नहीं है । जरूरत और उम्र के अनुसार उनको भी मोबाइल फोन दें परंतु निगरानी रखें कि बच्चे क्या देख रहे हैं। मोबाइल बच्चों के लिए नुकसान देह है पर फायदेमंद भी अपनी व्यस्तता के हिसाब से बच्चों को मोबाइल देखकर बर्री न हो जाए ।