कहाँ है पर्यावरण विभाग,
यहां फैल रहा प्रदूषण…गंदे पानी की वजह हरे भरे लाखों के पौधे हो रहे नष्ट
समाज जागरण संवाददाता विवेक देशमुख, सीता टंडन
अकलतरा। अकलतरा के रसिक बिहारी राइस मिल का गंदा पानी इंदिरा वन उद्यान द्वारा लगाये पौधो को सीच रहा है । मिली जानकारी के अनुसार अकलतरा के जांजगीर चांपा मोड़ पर स्थापित रसिक बिहारी राइस मिल से निकलने वाला गंदा पानी वन विभाग द्वारा लगाये लाखो के कीमती पौधो को नष्ट कर रहा है और इस पर न तो वन विभाग का ध्यान जा रहा है और न ही रसिक बिहारी राइस मिल के मालिक ध्यान दे रहे है । विदित हो कि पिछले वर्ष यह खबर अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित की गयी थी उसके बाद रसिक बिहारी राइस मिल ने कुछ हद तक पानी की निकासी का प्रबंध किया था लेकिन कुछ दिनो बाद ही “ढाक के वही तीन पात ” कहते हुए मिल का पानी पौधो पर ही छोड़ते रहे और लाखो का पौधा नष्ट होता रहा । यह भी ज्ञात हो कि अकलतरा के प्रखर और तेज- तर्रार विधायक सौरभ सिंह जो विधानसभा में अपनी बात पूरे दमखम से ठोक कर रखने के लिए जाने जाते है , उन्होंने इस समस्या को प्रमुखता से विधानसभा में उठाया था और विधानसभा में.यह सवाल उठने के बाद रसिक बिहारी राइस मिल द्वारा कुछ दिनो तक पानी निकासी के प्रबंधन का नाटक रचा गया लेकिन पर्यावरण विभाग और वनविभाग की अनदेखी और प्रशासन के वरदहस्त ने रसिक बिहारी राइसमिल को मनमानी करने की खुली छूट होने के कारण फिर वही रवैया चलता रहा अन्यथा क्या कारण है कि रसिक बिहारी राइस मिल खुलेआम मुख्य सड़क के किनारे गंदा पानी वन विभाग द्वारा लगाये पौधो में छोड़े और वन विभाग और पर्यावरण विभाग आंख मे गांधारी की तरह पटटी बांधकर कुछ न दिखाई देने का ढोंग करे ।
जनप्रतिनिधियों की आंखों पर भी पट्टी
अकलतरा नगर नामचीन और कद्दावर नेताओं का हमेशा से गढ़ रहा है लेकिन इन नेताओं ने भी नगर की ओर से आंखें फेर ली है अन्यथा क्या उन्हें रसिक बिहारी राइस मिल से निकलने वाले पानी से नगर में दूर्गंध और बरसात के दिनो में भूसे की ढेरी सड़क के दोनो ओर नही दिखाई देती हैं जबकि हर नेता और जनप्रतिनिधि की “काशी” जिला जांजगीर का दौरा हर समय अवश्य जाता है और जांजगीर जाने की राह में रसिक बिहारी राइस मिल से निकले भूसे के सडांध मारते ढेरन चाहते हुए भी दिखाई जरूर देते है और अगर अकलतरा के जिम्मेदार नागरिकों और नेताओं को राइसमिल से निकला गंदा पानी और भूसे के लगे ढेर सड़क के किनारे नही दिखते है और उससे निकलने वाली दूर्गंध अगर नाक में रुमाल रखने पर मजबूर नही करती हैं तो इसका मतलब यह है कि नेताओं के नाक के कीड़े मर गये है और आंखों पर स्वार्थ के मोतियाबिंद छाये है ।
शासन द्वारा निर्धारित मानक की उड़ रही है धज्जियां
शासन द्वारा जब भी किसी राइस मिल के खोलने की अनुमति दी जाती हैं उसके सामने कुछ नियम एवं शर्तें अवश्य रखी जाती हैं जिनमे प्रमुख रूप से पर्यावरण प्रदूषण को कम से कम करना और राइस मिल से निकलने वाले अपशिष्ट चाहे वह ठोस हो या तरल उसका प्रबंधन सही तरीके से करना होता है ।आज धान के भूसे से बिजली बनाकर अपशिष्ट प्रबंधन एक बेहतरीन उपाय है । मिल से निकलने वाले पानी को साफ करके उसका भी उपयोग कई कामो में किया जा सकता है या सोख्ते गडढा बनाकर यह पानी भूमि में पुनः डालकर भूमि का जलस्तर बढ़ाया जा सकता है लेकिन यह उपाय ऐसे राइस मिलर्स को उबाऊ और खर्चीले लगते है और पौधों पर गंदा पानी छोड़ा जाना सरल लगता है क्योंकि हमारी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान केवल आम जनता के लिए चलाया है ऐसे राइस मिलरों और क्रशर मालिकों पर नही ।
क्या कहता है पर्यावरण विभाग
पर्यावरणविदो का कहना है कि आज उद्योगो के कारण जंगल तेजी से कट रहे है जिसके कारण.वैश्विक तापमान अर्थात ग्लोबल वार्मिग बढ़ गया है । अपने ही देश में आज लगभग पांच करोड़ पेड़ लगाए जाने की जरूरत है । पर्यावरणविदो का यह भी कहना है कि प्रति व्यक्ति लगभग 14 पेड़ होने चाहिए लेकिन हमारे देश में स्थिति बिल्कुल विपरीत है । यहां एक पेड़ पर लगभग 25 से 28 व्यक्ति निर्भर है । ऐसे में किसी भी के लगाये पौधो को नष्ट किया जाना हत्या के समान अपराध माना जाना चाहिए ।