प्रखंड के चुन्नी पंचायत में 1350रुपये वाला डीएपी 1600-1700 रुपये बोरी लेने को विवश हैं किसान*

खाद के निर्धारित मूल्य से अधिक कीमतों पर खाद मिलने से किसान परेशान,खाद बिक्रेता है “मालामाल”

कुन्दन कुमार/समाज जागरण, छातापुर, सुपौल

जिले के छातापुर प्रखंड अन्तर्गत रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है ।परंतु आम किसान रबी फसल की बुआई को लेकर परेशान है, क्योंकि बढ़ती महंगाई के बीच उनके लिए खाद व बीज आसानी से उपलब्ध हो पाना कठिन साबित हो रहा है।रबी फसल की बुआई के लिए किसानों को डीएपी ,पोटाश, व यूरिया जैसे उर्वरकों की आवश्यकता होती है। क्योंकि प्रखंड के ज़्यादातर किसान कृषि कार्य से ही अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं । लिहाजा प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों इन उर्वरकों की डिमांड काफी ज्यादा है लिहाजा मौके का फायदा उठाने से प्रखंड के खाद विक्रेता भी बाज नहीं आ रहे।उनके द्वारा खाद की कीमतों को बढ़ा- चढ़ा कर मनचाहे दामों पर बेचा जा रहा है। व्यापारियों की मनमानी तथा प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के बीच किसान हलकान हैं। वे खाद के लिए दर-दर भटक रहे हैं तथा व्यापारियों से मनमाने दामों में खाद खरीदने को विवश हैं ।
ताज़ा हालात प्रखंड के चुन्नी पंचायत का है जहां खाद दुकानदारों द्वारा 1350 रुपये प्रति बोरी निर्धारित कीमत पर बिकने वाले डीएपी के बदले किसानों से 1600 – 1700 रुपए व 266 रुपये प्रति बोरी निर्धारित कीमत के बोरी की यूरिया की कीमत 350-450 रुपये तक वसूला जा रहा है। खाद दुकानदारों के इस मनमाने रवैए की वजह से किसानों का आर्थिक दोहन हो रहा है। लेकिन विभागीय अधिकारी किसानों की इस समस्या से अनभिज्ञ बने हुए हैं। संवाददाता द्वारा खाद लेकर लौट रहे एक किसान अबोध शर्मा जो की दो बोरी डीएपी व एक बोरी यूरिया लेकर लौट रहे थे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हम सभी किसान खाद की महंगाई से परेशान है ।सरकार द्वारा डी ए पी की कीमत 1350 रुपए निर्धारित है बाबजूद पंचायत के दुकानदार से एक बोरी डीएपी 1650 रुपये में खरीदना पड़ता है। वहीं एक यूरिया के लिए 350 रुपये चुकाना पड़ता है।उन्होंने बताया की जब इसका विरोध करते है तो फटकारते हुए बोलता है कि लेना है तो लो वरना जाओ।यह बात भी सामने आई की विभाग को शिकायत करने पर पटना से किसानों को फोन कर इंक्वायरी की जाती है परंतु किन किसानों से इंक्वायरी की जायेगी इसका निर्धारण संबंधित खाद विक्रेता व स्थानीय कृषि विभाग के पदाधिकारी तय करते हैं।दुकानदार के अपने फेवर के लोगों का नाम इनक्वायर के लिए भेजा जाता है जिसे क्या बोलना है वह पट्टी पहले ही पढ़ा दी जाती है। लिहाजा इंक्वायरी का कोई मतलब नहीं रह जाता।
जिससे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक और जहां व्यापारी मनमाने दामों पर खाद बेच रहे तो दूसरी ओर किसान लुटने को मजबूर है
वहीं व्यापारियों पर प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
वही मिश्री यादव और झखारगंज निवासी उमेश सिंह ने बताया कि यूरिया तो मिलता नही फिलहाल डीएपी लेकर जा रहा हूं लेकिन इसके लिए भी 1650 रुपये चुकाना पड़ा है।
बताया कि चुन्नी में पंचायत में कुल पांच दुकान है। लेकिन सभी दुकानदार कंपीटीशन के चक्कर में किसानों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है। अगर एक दुकानदार 1600 रुपये में डीएपी बेचता है तो दूसरा 1650 रुपये में बेचने लगता जिसके चलते कभी कभी 1700 रुपये तक मे डीएपी खरीदना पड़ जाता है।इस बाबत पूछे जाने पर किसान कोडिनेटर कृत्यानंद कुमार महात्मन ने बताया कि शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी।