पटना में भगवान को भी ठंढ से बचने के लिए पहनाया गया गर्म कपड़े

समाज जागरण पटना जिला संवाददाता:- वेद प्रकाश

पटना/ राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में सर्दी का प्रकोप चरम पर है। कड़ाके की ठंड और पछुआ हवाओं ने आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में भगवान को ठंड से बचाने के लिए भी विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। मसौढ़ी के प्रसिद्ध श्रीराम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर में भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और मां दुर्गा को गर्म कपड़े पहनाए गए हैं। साथ ही, उन्हें नया कंबल ओढ़ाकर ठंड से राहत देने की कोशिश की जा रही है। ठाकुरबाड़ी मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि यह अनोखी परंपरा पिछले 30 सालों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार ठंड से इंसानों को परेशानी होती है, उसी प्रकार भगवान की प्रतिमा, जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापित किया गया है, का भी ख्याल रखना जरूरी है। पुजारी ने बताया कि भगवान राम और उनके परिजनों को गर्म कपड़े पहनाकर कंबल ओढ़ाया गया है ताकि उन्हें ठंड से बचाया जा सके। इस परंपरा की शुरुआत मंदिर के पूर्व पुजारी दामोदर पांडे ने की थी। पुजारी दामोदर पांडे भगवान को ठंड से बचाने के लिए उनके पास बोरसी जलाकर रखते थे। आज उनके बेटे इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। मंदिर में सर्दियों के दौरान भगवान को गर्माहट देने के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं। भगवान को गर्म कपड़े पहनाने और कंबल ओढ़ाने की इस परंपरा को देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भक्त इसे भगवान के प्रति भक्ति और सेवा का प्रतीक मानते हैं। पुजारी ने बताया कि यह परंपरा न केवल भगवान के प्रति श्रद्धा दिखाती है, बल्कि भक्तों को भी यह सिखाती है कि ठंड में दूसरों का ख्याल रखना चाहिए। इस परंपरा का न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी है। पुजारी का मानना है कि भगवान की सेवा करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उनकी मूर्तियों को भी इंसानों की तरह देखभाल की जरूरत होती है। ठंड में भगवान को गर्म कपड़े पहनाने की यह परंपरा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाती है कि हमारी परंपराएं जीवन के हर पहलू में सेवा और समर्पण को महत्व देती हैं। पटना के श्रीराम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर की यह परंपरा सर्दियों में भगवान के प्रति भक्तों की गहरी आस्था और प्रेम का अद्भुत उदाहरण है। यह परंपरा हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपने आसपास के लोगों और समाज के कमजोर वर्गों का भी ख्याल रखना चाहिए। सर्दी के इस मौसम में भगवान को गर्म कपड़े और कंबल पहनाने की यह परंपरा सेवा और समर्पण का सुंदर संदेश देती है।

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