भारतीय डाक: स्पीड पोस्ट 3 नही बल्कि 13 दिन लगाती है उपभोक्ता तक सामान पहुँचाने मे ।

समाज जागरण डेस्क

भारतीय डाक जहाँ एक तरफ देश और समाज की रीढ़ माने जाते है वही दूसरी तरफ यह भी मान लेने मे हर्ज नही है कि डाक विभाग की व्यवस्था चरमरा गयी है। चिट्टी न कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गए, खैर वहाँ तक तो कोई नही पहुँच सकता है। लेकिन चिट्टी आई है आई है वतन से चिट्टी आई है यह काम भी अब डाक विभाग से मोबाइल और इलेक्ट्रानिक ई-मेल ने छिन लिया है। यहाँ यह कहना भी ठिक होगा कि लगभग अनौपचारिक पत्र व्यवहार समाप्त होने के बाद भी डाक विभाग औपचारिक पत्र को भी समय से पहुँचाने मे नाकामायाब हो रहा है।

एक तरफ जहाँ देश मे छोटे-छोटे कोरियर कंपनी उपभोक्ता को 3 दिन से लेकर 7 दिन मे सर्विस दे रहा है वही दूसरी तरफ भारतीय डाक के स्पीड पोस्ट 3 दिन के वादा करके 13 दिन मे भी ग्राहक को उसके गणतंव्य तक सामान पहुँचाने मे असफल है। जबकि भारतीय डाक के पास देश भर मे अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है और लाखों के संख्या मे कर्मचारी भी। सरकारी रेलवे से भरपूर मदद मिलने के बावजूद लोगों तक समय से सामान या चिट्टी का नही पहुँचना सरकारी विभाग के लापरवाही को दर्शाता है।

क्या भारतीय डाक भी भारतीय दूर संचार निगम लिमिटेड की तरह होने वाली है। जब चिट्टी न कोई संदेश है उसके बाद भी ग्राहकों को समय से सामान पहुँचाने मे असमर्थ। जैसे बीएसएनएल के पास मे सारी सुविधा मौजदू होने के बाद भी ग्राहकों तक अपना नेटवर्क पहुँचाने मे असमर्थ है। लेकिन उसी टॉवर का इस्तेमाल कर जीओ, एयरटेल और दूसरे निजी कंपनियाँ चांदी काट रही है। हालत यहाँ तक है कि बीएसएनएल मे काम करने वाले सरकारी कर्मचारी भी बीएसएनएल पर अपना विश्वास नही जताते हुए प्राइवेट कंपनी के सिम इस्तेमाल करते है। उनको पता है कि टॉवर नही आते है।

एक डाक जो नोएडा से 8 मार्च को निकलता है वह 15 मार्च तक बिहार के रोहतास जिले मे ग्राहक तक नही पहुँचता है। यह मात्र एक उदाहरण है। ऐसे सैकड़ो उदाहरण मौजूद है। यहाँ यह कहना भी सही रहेगा कि भारतीय डाक विभाग के द्वारा कोई भी डाक 3 दिन मे स्पीड पोस्ट के माध्यम ग्राहक तक नही पहुँचता। अगर कोई पहुँचता होगा तो उसको एक उदाहरण मान लेना चाहिए।

क्या प्राइवेट कोरियर कंपनी या फिर आनलाइन मार्केटिंग प्लेटफार्म की तरह से भारतीय डाक भी काम करे यह संभव नही है? आनलाईन कंपनियाँ सामान खरीदते समय मे जो डिलिवरी समय दिखाता है उससे पहले ही ग्राहक के दरवाजे तक पहुँचाकर ग्राहक के विश्वास को जीत लिया है वही भारतीय डाक विभाग 3 दिन के अपने वादे को 13 दिन मे पूरा करता है। क्या भविष्य मे उम्मीद करना चाहिए कि स्पीड पोस्ट भी प्राइवेट कोरियर के तरह ही भारतीय जनता को समय से डिलीवरी पहुँचाकर विश्वास हासिल करेगा।

भारतीय डाक को भी ग्राहक के सामने एक प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी देनी चाहिए कि साल दर साल कितने स्पीड पोस्ट 3 दिनों मे गंतव्य स्थान तक पहुँचाये गए है।