नेपाल में विश्व सनातन विश्वविद्यालय की नींव
पी.आई.यू. ट्रस्ट द्वारा आयोजित महोत्सव में भारतीय और नेपाली संस्कृति, साहित्य और कला का अद्वितीय संगम
काठमांडू, नेपाल से लौटकर डा. रूद्र किंकर वर्मा।
भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय पशुपतिनाथ महोत्सव का आयोजन काठमांडू में पशुपतिनाथ व्यू होटल के भव्य सभागार में हुआ, जो भारतीय और नेपाली संस्कृति, साहित्य और कला का अद्वितीय संगम साबित हुआ। इस महोत्सव में दोनों देशों के प्रमुख साहित्यकारों, शिक्षाविदों, कलाकारों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया, और इसे पी.आई.यू. ट्रस्ट के तत्वावधान में सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।
इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन नेपाल के सम्मानित धार्मिक स्थल पशुपतिनाथ मंदिर के पूर्व कार्यकारी निदेशक रमेश उत्प्रेती और प्रेम हरि डूंगाना ने किया। महोत्सव में शिव शक्ति गुरु माँ, डॉ. सुरेश सिंह शौर्य प्रियदर्शी (संस्थापक, पी.आई.यू. ट्रस्ट), और कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. राम रतन श्रीवास ‘राधे राधे’ (ब्रांड एंबेसडर, भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय पशुपतिनाथ महोत्सव) ने अपने विचार साझा किए। इस मौके पर नेपाल के प्रमुख राजनेताओं और अधिकारियों ने भी महोत्सव की ऐतिहासिकता और महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की शुरुआत बड़े श्रद्धा भाव से माँ सरस्वती और भगवान शिव की स्तुति से हुई। इस अवसर पर डॉ. राम रतन श्रीवास ‘राधे राधे’ ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा, “यह महोत्सव दोनों देशों के सांस्कृतिक और शैक्षिक रिश्तों को एक नया दिशा देगा। इसके माध्यम से हम विश्व सनातन विश्वविद्यालय का निर्माण करेंगे, जो न केवल शिक्षा का मंदिर होगा, बल्कि यह सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक सहयोग को भी मजबूत करेगा।”
महोत्सव के दौरान विभिन्न काव्य संग्रहों का विमोचन किया गया, जिनमें “श्री राम भारतवर्ष खंड काव्य-1”, “ग्लोबल साहित्य मंजरी भाग-2” और “रसिक काव्य सरोवर” शामिल थे। भारत से आए प्रतिष्ठित साहित्यकारों में डॉ. अलका चतुर्वेदी (लखनऊ), दिनेश श्रीवास्तव (उत्तर प्रदेश), श्वेता शरण (बिहार), राजन कुमार (बिहार) और अन्य प्रमुख हस्तियों ने अपनी उपस्थिति से महोत्सव की शोभा बढ़ाई।
इस भव्य आयोजन में डॉ. श्वेता शरण को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए विशेष सम्मान प्राप्त हुआ। उन्हें ग्लोबल साहित्य सम्मान से नवाजा गया। डॉ. श्वेता शरण ने अपने संबोधन में इस पहल को प्रेरणादायक बताते हुए कहा, “यह महोत्सव हमारे सांस्कृतिक और साहित्यिक रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मैं आभारी हूं कि मुझे इस आयोजन का हिस्सा बनने का अवसर मिला।”
महोत्सव में कला और संगीत का भी विशेष स्थान था। सपना बनर्जी की गज़ल और सरिता मिश्रा के तबला वादन ने वातावरण को शिवमय बना दिया, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उनके संगीत और कला ने महोत्सव को एक अद्वितीय और दिव्य रूप प्रदान किया। इस अवसर पर सभी साहित्यकारों और कलाकारों को नेपाली टोपी, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह जैसे पुरस्कार प्रदान किए गए।
विनय शर्मा “दीप” (अंतर्राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, पी.आई.यू. ट्रस्ट) ने महोत्सव के सफल आयोजन पर प्रकाश डालते हुए कहा, “पी.आई.यू. ट्रस्ट पहले भी कई साहित्य महोत्सवों का आयोजन कर चुका है, जैसे श्रीराम अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव (अयोध्या), नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव (पार्लियामेंट क्लब), और युवा महिला संसद समारोह (नई दिल्ली), और इस महोत्सव ने निश्चित रूप से नए मानक स्थापित किए हैं।”
इस ऐतिहासिक आयोजन में कनाडा से डॉ. रवि घायल ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा, “यह महोत्सव न केवल साहित्य के क्षेत्र में, बल्कि दोनों देशों के सांस्कृतिक और शैक्षिक रिश्तों में भी एक नया अध्याय जोड़ेगा।”
समापन के अवसर पर डॉ. राम रतन श्रीवास ‘राधे राधे’ ने महोत्सव के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला और सभी साहित्यकारों, कला प्रेमियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस महोत्सव को भारतीय और नेपाली समाज के बीच संवाद और सहयोग का एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
सम्मानित साहित्यकारों में शामिल प्रमुख नाम
डॉ. अलका चतुर्वेदी,दिनेश श्रीवास्तव ,डा.श्वेता शरण,राजन कुमार ,राधा शर्मा,जोयस राउनियर, हुकुम सिंह देश प्रेमी आदि शामिल हैं।
इस महोत्सव ने यह साबित कर दिया कि साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग की कोई सीमा नहीं है। पी.आई.यू. ट्रस्ट द्वारा आयोजित यह भव्य महोत्सव दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक रिश्तों को एक नया आयाम देने के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनेगा।