कानपुर के अनेक कथित पत्रकारों के खिलाफ कई पीड़ितों ने दर्ज कराई है अवैध उगाही और जमीन पर कब्जे की रिपोर्ट
- फरार आरोपियों पर घोषित 50 हजार का इनाम तलाश में जारी छापे
सुनील बाजपेई
कानपुर। यहां एक हजार करोड़ से भी अधिक की वेशकीमती जमीन पर कब्जे की कोशिश के आरोपी पुलिस की जांच में शातिर माफिया अपराधी साबित हुए प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित के खिलाफ नजूल की बेशकीमती जमीन कब्जाने में शामिल रहे आरोपियों पर अलग-अलग थानों में जमीनी विवाद, एससीएसटी एक्ट, रंगदारी और खाली जमीन पर अपना बोर्ड लगाने के मामले दर्ज हैं। इन सभी मुकदमों में 27 नामजद और 40 अज्ञात लोग हैं। वहीं पत्रकारिता की आढ़ में जबरन कब्जों और उगाही रंगदारी के दर्ज अन्य मुकदमों में पुलिस अबतक अवनीश समेत 5 लोगों को गिरफ्तार कर सकी है। जबकि 50 हजार का इनाम घोषित कर अन्य की तलाश में छापे मारे जा रहे हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक पत्रकारिता की आड़ में हर तरह का अपराध करने और करवाने, जमीनों ,भूखंडों और मकानों पर जबरन कब्जा करने और रंगदारी वसूल करने के फलस्वरुप अकूत धन संपदा के मालिक बने शातिर अवनीश ने रिमांड के दौरान पुलिस द्वारा की गई गहन पूछताछ में अनेक लोगों के भी नाम कबूले हैं। अब कमिश्नरेट पुलिस का शिकंजा इन सफेदपोशों पर भी कस रहा है, यही वजह है कि अधिक से अधिक धन उगाही में सफलता के लिए एक दूसरे को संरक्षण और हर तरह के अपराध को भी अंजाम दे चुके यह सभी पत्रकार रूपी ब्लैक मेलर ,ठग शातिर दिमाग अपराधियों, सफेदपोश नेताओं और अपनी भी कमाई के लिए अवनीश का साथ देने वाले कतिपय भ्रष्ट अधिकारियों का खनन माफिया के रूप में चर्चित एक विधायक की अगुवाई वाला गठजोड़ अंदरूनी तौर पर मोर्चा खोलकर भारत ही नहीं बल्कि विश्व पत्रकारिता के इतिहास में पहली बार अवनीश दीक्षित जैसे शातिर दिमाग गिरोह का भंडाफोड़ करने वाले अदम्य साहसी कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार को हटवाने की हर संभव कोशिश में लगातार जुटा हुआ हैं , लेकिन उसका यह प्रयास तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक यूपी की कमान देश के सर्वाधिक लोकप्रिय और सर्वोत्तम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथ में है।
याद रहे कि भारत ही नहीं बल्कि विश्व पत्रकारिता के इतिहास में यह पहला मामला है ,जब यहां के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार की बेहद ईमानदारी से पूर्ण कर्तव्य के प्रति प्रगाढ़ निष्ठा द्वारा पत्रकारिता, राजनीति और वकालत की आढ़ में हर तरह के अपराध करने और करवाने, जमीनों , मकानों और भूखंडों पर जबरन कब्जे ,ब्लैकमेलिंग तथा उगाही आदि हथकंडों से लाखों करोड़ों की नामी – बेनामी – चल ,अचल – संपत्ति अर्जित करने वाले अवनीश दीक्षित जैसे इस तरह के शातिरतम गिरोह का भंडाफोड़ करके पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे की छवि और ज्यादा धूमिल होने से बचाने जैसा सराहना की सीमा तोड़ने वाला ऐसा सर्वोत्तम कार्य किया गया है, जिसकी सराहना और समर्थन नहीं करने वाला देश और समाज के हित में निडर ,निष्पक्ष और ईमानदार पत्रकरिता का समर्थक और हितेषी नहीं माना जा सकता।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण के मुताबिक ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि संसार का संचालन एक मात्र ईश्वर की ही तरह अजर , अमर, अविनाशी अक्षर से शब्द और शब्द से वाक्य रूप लिखने,पढ़ने,बोलने और कहने के रूप में हो रहा है। यानी कुछ कहा -बोला या लिखा – पढ़ा ना जाये। मात्र कुछ समय के लिए केवल मौन ही धारण कर लिया जाए तो भी किसी भी पद के माध्यम से संचालित होने वाली संसार की कोई भी व्यवस्था संपादित ही नहीं हो पाएगी। इसका मतलब ईश्वर अपनी ही तरह अजर ,अमर,अविनाशी अक्षर से शब्द और शब्द से वाक्य रूप यानी लिखने, पढ़ने, बोलने और कहने के रूप ही संसार का संचालन कर रहा है और संसार संचालक इन्हीं मुख्य माध्यमों में पत्रकारिता जैसा वह महाशब्द भी शामिल है ,जो पूरे संसार की हर तरह की व्यवस्थाओं और कार्यों को भी प्रभावित करता है। यही नहीं हर किसी के जीवन उसकी हर तरह उपलब्धियों तथा कृत्यों को भी सूचित आदि करने के रूप में भी जो हर तरह से प्रभावित करती है। उसे भी संसार में पत्रकारिता के नाम से ही जाना जाता है। इस हिसाब से लिखने ,पढ़ने और बोलने वाले रूपों में पूरे विश्व को प्रभावित करने वाला ईश्वर का सबसे महत्वपूर्ण रूप पत्रकारिता ही है, क्योंकि अगर ‘ईश्वर’ शब्द का संधि विच्छेद ‘ई’+श्वर के हिसाब से किया जाये तो ‘ई’ मतलब ‘यह’ और “श्वर” यानी वह स्वांस जो संसार में हमारे जीवित रहने का कारण है। मतलब इस ईश्वर, अल्लाह या गॉड का निराकार रुप स्वांस ही संसार में हर किसी के होने ,करने और बनने का आधार है। लिखने के रूप में यही “ईश्वर” साकार भी है और नहीं लिखने के रूप में निराकार भी। संसार के किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी भाषा में लिखने के रूप में “ईश्वर” साकार इसलिए क्योंकि लिखे शब्द या वाक्य रूप में वह (ईश्वर) दिखाई पड़ता हैं और निराकार भी इसलिए क्योंकि पढ़ने और बोलने के रुप में वह (ईश्वर) सुनाई तो पडता है , लेकिन दिखाई नहीं पड़ता। मतलब लिखने के रूप में दिखाई पड़ने वाला शब्द ही ईश्वर का साकार रूप। और बोलने तथा पढ़ने के रूप में नहीं दिखाई पड़ने वाला शब्द ही ईश्वर का निराकार रूप। ….और यही ईश्वर जब सस्पेंड , बर्खास्त, गिरफ्तार, आजीवन कारावास , फांसी, रिहा, बरी, दोषी, निर्दोष या फिर जीवन और मौत से जुड़ा सुरक्षा जैसे शब्दों के रूप में साकार होता है तो संसार में किए जाने वाले अच्छे और बुरे कर्मों के अनुरूप सुख दुख ही नहीं जीवन और असमय मौत का भी कारण बन जाया करता है। इसी के साथ “ईश्वर” अपने वर्णित रूप शंख, चक्र और गदा लेकर नहीं बल्कि देश, काल, स्थान और परिस्थितियों के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अथवा कानपुर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार जैसों के भी रूप में आता है। केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व से उस (ईश्वर) का इसी रूप में नाता है और तभी समय आने पर अवनीश जैसा हर शातिर कर्मों का फल भी पाता है। फिलहाल जो भागा है ,उस पर भी कानून का शिकंजा भारी है और उसकी भी तलाश जारी है।