खुशी हर पल एडवांस शिविर का 14वां दिन,सहन करना शक्ति है, कायरता नहींः शशिप्रभा



*राजयोग के द्वारा अष्ट शक्तियों की प्राप्ति*

*विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति से स्थिरता व शांति आती है -शशिप्रभा*

*परखने की शक्ति से बड़े धोखे से हम बच सकते हैं-शशिप्रभा*

*परमात्मा से संबध जोड़कर लिया गया निर्णय सही होता है-ब्रह्माकुमारी शशिप्रभा*

समाज जागरण ब्यूरो विवेक देशमुख

बिलासपुर। ब्रह्माकुमारीज टिकरापारा , प्रभु दर्शन भवन के हार्मनी हॉल में खुशी हर पल राजयोग अनुभूति शिविर एडवांस कोर्स का 14 वां दिन सेवाकेंद्र संचालिका मंजू दीदी के सानिध्य में चल रहे शिविर को राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी शशिप्रभा ने संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा से संबंध स्थापित करके आत्मा समझ उस परमात्मा को जब हम याद करते हैं इस विधि के द्वारा हमें अष्ट शक्तियों की प्राप्ति होती है यह शक्तियां हमें अत्यंत सहजता से जीवन व्यतीत करने व सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने में हमें मदद करती हैं जिस प्रकार मां दुर्गा को अष्टभुजी कहा जाता हैं,जब पिता परमात्मा से सच्चे दिल से संबंध जोड़ते हैं तो यही अष्ट शक्तियां हम मनुष्य आत्माओं के अंदर भी प्रवाहित होती हैं
ब्रह्माकुमारी शशिप्रभा नें अष्ट शक्तियों का वर्णन करते हुए आगे कहा कि राजयोग के अभ्यास से सहनशक्ति बढ़ती है सहन करना वास्तव में कायरता नहीं है “सहता वही है जिसमें जान होती है अकड़े रहना मुर्दों की पहचान होती है” जिस प्रकार एक फलदार वृक्ष को जब बच्चे पत्थर मारते हैं तो वह फल ही प्रदान करता है, जो वृक्ष फलों से लदा होता है वह हमेशा झुका होता हैl जैसे मां बच्चे का कितना कुछ बचपन में सहन करती है लेकिन वह कभी नहीं कहती कि मैंने तुम्हारे लिए इतना सहन किया,क्योंकि उसके हृदय में प्रेम होता है प्रेम से यदि हम कोई बात को सह भी लेते हैं तो हमें सहन करना नहीं लगता बल्कि उससे हमारे अंदर प्रेम की शक्ति कि वृद्धि होती है इसी तरह परिवार में अगर हमारे कुछ सहन कर लेने से परिवार बिखरने से बच जाता है तो क्यों ना हमें सहन कर लेना चाहिएl

दूसरी शक्ति हमारे जीवन में सामानें की शक्ति आती है जिस प्रकार सागर में अनेक नदियां समा जाती है, इसी प्रकार सबके जीवन में अनेक परिस्थितियां रूपी लहरें हैं लेकिन अंतर्मन में बातों को समा देना चाहिए तब हमारा हृदय शांत होगा और हम जीवन की परिस्थितियों का सामना अच्छी तरह से कर लेंगेl
अगली शक्ति जो हमें ध्यान से प्राप्त होता है वह है परखने की शक्ति जिससे हम जीवन में बड़े परिस्थितियों में भी धोखा खाने से बच जाते हैं,
निर्णय करने की शक्ति भी हमें प्राप्त होती है कई बार हमारे जीवन का अहम फैसला और हम दूसरों से पूछते हैं,बताइए हम क्या करें और कोई अगर हमें सलाह देता है उसमें हम सफल हुए तो अच्छी बात है लेकिन असफल होने पर हम उसे दोष देते हैं,लेकिन यदि हमने किसी से सलाह मांगा इसका मतलब हम अपने आप को निर्णय लेने में सक्षम अनुभव नहीं कर रहे थे lऐसी परिस्थिति में राजयोग के द्वारा हमारे अंदर धीरे-धीरे निर्णय करने की शक्ति भी बढ़ती जाती है और यदि फिर भी समझ में ना आए तो परमात्मा को याद करके उन्हें साक्षी रखकर किसी भी बात के लिए निर्णय लिया जा सकता है समय बीतने पर, जब रिजल्ट निकलता है तो वह रिजल्ट सकारात्मक होता है हम सफल होते हैं और इस तरह से परमात्मा से प्यार और गहरा होने लगता है
l राजयोग मेडिटेशन से विस्तार को सार में लाने की शक्ति भी प्राप्त होती है आज हम देखें मानव अपने अनेक कर्तव्यों का निर्वहन करते,अनेक रोल प्ले करते, कई बार उलझता जाता है ऐसे में यदि हम बीच-बीच में कुछ क्षण परमात्मा की याद में बिताए अपने आप को बिल्कुल पूरी तरह से समेट कर मैं आत्मा शांत स्वरूप हूँ अनुभव करें तो हमारे जीवन के आधा से ज्यादा समस्याओं का समाधान हम स्वयं कर लेते हैं और राजयोग में हमें वह शक्ति प्राप्त होती है l
इसीप्रकार सहयोग शक्ति,समेटने की शक्ति, सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है, जब कोई परिस्थिति आता है अचानक,तो व्यक्ति टूट जाता है उदास हो जाता है और कई बार डिप्रेशन का शिकार हो जाता है लेकिन जब हम राजयोग का अभ्यास कर रहे होते हैं तो विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को हम संभाल कर,अपने कर्तव्यों का उचित निर्वहन कर सकते हैं l