▪️ यहां की अनछुई खूबसूरती देश-विदेश के पर्यटकों को कर रहा है आकर्षित
बिभूति भूषण भद्र दैनिक समाज जागरण झाड़ग्राम जिला संवाददाता
नए वर्ष के आगमन के साथ ही झाड़ग्राम जिला व आसपास के पर्यटन स्थलों पर सैलानियों का जमावड़ा लगना प्रारंभ हो गया है। घने जंगल हरे – भरे गांव पहाड़ी नदियां और झरने बरबस लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में शुमार यह जिला अपने साल के जंगलों हाथियों, प्राचीन मंदिरों और शाही महलों के लिए जाना जाता है। यह जिला उत्तर में कांसावती नदी और दक्षिण में स्वर्णरेखा नदी के बीच है। झाडग्राम में सैलानियों के घूमने के लिए कई सारी जगह हैं। पूरे साल भर विभिन्न राज्यों से लोग बड़े तादाद में यहां घूमने आते हैं। शांत एवं निर्मल सैरगाह के लिए प्रसिद्ध झाड़ग्राम पर्यटन अधिकांश रूप में ऐसे पर्यटक पर निर्भर करता है, जो शुद्ध पवित्र स्थान की खोज में होते हैं। अपनी प्राकृतिक सुंदरता एवं शांत वातावरण के अलावा धार्मिक स्थानों के लिए भी प्रसिद्ध है। मैत्रीपूर्ण जनजातीय आबादी से घिरे प्रकृति की गोद में कुछ दिन बीतने के लिए एक आदर्श स्थान है। शहर में कुछ ऐतिहासिक मंदिर और महल हैं, जो यहां के तत्कालीन राजत्व और स्थानीय लोगों का मिश्रण को दर्शाता है। पर्यटन विकास की असीम संभावनाओं के मद्देनजर राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा पर्यटन स्थलों को सजाने व संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। आये दिन पर्यटन क्षेत्र के विकास हेतु नए-नए कार्य किये जा रहे हैं। झाड़ग्राम जिला टूरिज्म के हिसाब से बेहद समृद्ध है। यहां के पर्यटन स्थलों में मूलभूत सुविधाओं के अतिरिक्त सुरक्षा का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा चौक चौराहा पर पुलिस बल तैनात कर मार्ग निर्देशिका हेतु बोर्ड लगाए गए हैं। जिससे नवांगतुक पर्यटकों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े। झाड़ग्राम की सैर के लिए ठंड का मौसम सबसे उत्तम होता है। झाड़ग्राम जिले में प्रदूषण मुक्त वातावरण में प्रकृति की अनछुई खूबसूरती देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। अरण्य सुंदरी झाड़ग्राम का चिल्कीगढ़ नमक अति रमणीय स्थान है। सुविधाओं के विस्तार के साथ-साथ थोड़ी प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। पर्यटकों को ठहरने के लिए यहां अनेक होटल, लॉज, होमस्टे व फार्म स्टे हैं। यहां सड़क व रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
जिले के चंद चर्चित पर्यटन स्थलों की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत है
चिल्कीगढ़ कनक दुर्गा मंदिर : यह झाड़ग्राम शहर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर है। सदियों पुराना यह मंदिर डुलूंग नदी के किनारे जंगल में स्थित है। यहां पंछियों बंदरों तथा वृक्षों की कई दुर्लभ प्रजातियां देखी जा सकती है। लगभग 650 साल पुराना मंदिर का हाल ही में जीर्णोद्धार द्वारा किया गया है।
झाड़ग्राम राजबाड़ी: मल्लादेव शाही परिवार का वर्तमान निवास है। ग्राउंड फ्लोर के लगभग 15 कमरों को हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है। यह राजबाड़ी 1931 ई° में निर्मित एक भव्य भौतिक संरचना है। इस महल को राजा नरसिंह मल्लादेव बहादुर के शासनकाल के दौरान कलकत्ता इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा डिज़ाइन किया गया था। पैलेस गेस्ट हाउस झाड़ग्राम राज पैलेस का एक हिस्सा है। यहां अपनी स्थापना से ही कई गणमान्य व्यक्तियों का मेजबान रहा है।
जंगलमहल प्राणी उद्यान : वर्ष 1980 में स्थापित इस उद्यान को पहले झाड़ग्राम चिड़ियाघर के नाम से जाना जाता था 2005 को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा लघु श्रेणी चिड़ियाघर के रूप में मान्यता दी गई थी। यहां जगह परिवार के साथ सप्ताहांत के लिए उत्तम स्थान है।
सावित्री मंदिर: लगभग 360 साल पुराना सावित्री मंदिर संभवत शहर का सबसे पुरानी संरचना है। देवी की पत्थर की मूर्ति की पूजा कई सदियों से की जा रही है। देवी सावित्री झाड़ग्राम मल्लादेव राजवंश की कुलदेवी है।
इको पर्यटन केंद्र और जनजातीय संग्रहालय: यह राज्य सरकार द्वारा समृद्ध आदिवासी कला और संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करके बनाया गया एक संग्रहालय है।
रामेश्वर मंदिर: भगवान शिव के इस प्राचीन मंदिर में साल भर दर्शनार्थियों का भीड़ रहता है। श्रावण माह के दौरान हजारों तीर्थयात्री भगवान शिव की पूजा करने के लिए यहां एकत्रित होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी के आसपास नयाग्राम के राजा चंद्रकेतु ने करवाया था। यहां मंदिर पारंपरिक उड़िया शैली की वास्तुकला में बनाया गया है।
गोपीबल्लभपुर : श्री राधा गोविंद मंदिर का निर्माण 1400 ई° में हुआ था। वैष्णवों के लिए मंदिर को गुप्त वृंदावन के नाम से जाना जाता है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ बलराम और सुभद्रा की मूर्तियों के साथ-साथ श्री राधा गोविंद एवं राधा रानी की मूर्तियां हैं।