मुंबई के मुंम्बा देवी मंदिर के बाद सिंहपुर में है माँ और पुत्र की अद्भुत प्रतिमा


ऐतिहासिक मंदिर से सैकड़ो गांव की आस्था, सांस्कृतिक कार्यक्रमो की रहेगी धूम

विजय तिवारी
दैनिक समाज जागरण


इंट्रो- शारदीय नवरात्र की तैयारी में पूरा देश लगा हुआ है, देवी मंदिरों ने साज-सज्जा के साथ ही विविध धार्मिक आयोजनों की तैयारी में भक्त जुट गए है। शहडोल के सिंहपुर गांव स्तिथ काली माता के प्राचीन मंदिर में भी नवरात्र तैयारियां की जा रही है।

शहडोल। पांडवकालीन सिंहपुर काली मंदिर में भगवान गणेश और माँ काली एक साथ गर्भगृह में विराजमान है, बताया जाता है कि माँ और पुत्र का यह संयोग मुम्बई के मुंम्बा देवी के बाद सिर्फ शहडोल के सिंहपुर मंदिर में है। जहा भगवान गणेश और माँ काली एक साथ विराजित है।

एक साथ विराजित माँ और पुत्र

मुख्य मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश और माँ काली की प्रगिमा विराजित है, माँ काली की गर्दन टेढ़ी है, जीभ बाहर निकला हुआ है, जिसे जानकार बताते है कि माँ काफी गुस्से की मुद्रा में है। इसके साथ भगवान गणेश नटराज आसन यानी नृत्य मुद्रा में है, अष्टभुजी भगवान गणेश की स्थापना पांडव काल मे किये जाने का प्रमाण मिलता है।

पांडवकालीन पचमठा मंदिर

सिंहपुर का काली मंदिर परिसर करीब 24 एकड़ में फैला हुआ है, जो लोगो के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है, परिसर में कई मंदिरों का समूह है। मंदिर परिसर में पांडवो द्वारा निर्मित एक पचमठा मंदिर भी है, कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने इस मंदिर का निर्माण महज एक रात में किया था और मंदिर के अंदर पांच स्थानों में शिवलिंग की स्थापना की गई थी।

कई मंदिरों का समूह

परिसर में पचमठा मंदिर के अलावा श्रीराम जानकी मंदिर, शिव मंदिर के अलावा सिंहपुर गांव के ही रहने वाले स्व. रमेश प्रसाद शर्मा ने अपने मूर्तिकला से कई मूर्तियों का निर्माण किया था। जिसमे में विशालकाय हनुमान जी की मूर्ति, महाकवि तुलसीदास, भगवान परशूराम, गरुण महाराज, शिव पार्वती की मूर्ति का निर्माण किया। जो आज लोगो के लिए आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।

विविध कार्यक्रमो का आयोजन

आयोजक अनिल द्विवेदी और यादवेंद्र पांडेय ने बताया कि मंदिर में शारदीय नवरात्र के मौके पर नौ दिनों तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाएगा। जिसको लेकर क्षेत्रीय लोगो में खासा उत्साह है, उन्होंने ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन से देवी जागरण, छत्तीसगढ़ लोक संस्कृति पर आधारित लोकगीत, महिलाओं द्वारा महाआरती, आदिवासी परम्परा पर आधारित शैला नृत्य के साथ इस नवरात्र गरबा महोत्सव का भी आयोजन किया जा रहा है। जिसकी तैयारी कराई जा रही है, आखिर में भव्य दशहरा महोत्सव भी मनाया जाएगा, जिसके लिए रावण के पुतले का भी निर्माण चल रहा है।

सतत चल रहा निर्माण

मंदिर समिति की ओर से जानकारी देते हुए डॉ. आदित्य द्विवेदी ने बताया कि मंदिर के विकास और देखभाल पहले स्थानीय लोग आपसी सहयोग से किया करते थे, लेकिन जब से मंदिर में समिति का गठन हुआ तब से सहयोग में इजाफा होने के साथ ही मंदिर में निरंतर विकाश कार्य चल रहे है। मंदिर परिसर की बाउंड्री, दोनो छोर पर गेट, फर्स, मंदिर में वर्ष में 2 बार रंगरोगन सहित कई बदलाव आये है। समिति का कहना है कि आने वाले 10 वर्षों में मंदिर को एक भव्य धाम के रूप में विकसित करने की योजना है।

*इनका कहना है……..….*

– नवरात्र के अवसर पर विविध कार्यक्रमो का आयोजन किया जाएगा, साथ ही नवरात्र को भव्य तरीके से मनाने की योजना बनाई गई है, क्षेत्रीय लोगो की आस्था को ध्यान में रखकर कार्यक्रमो का चयन किया गया है।
– अनिल द्विवेदी, आयोजक

– मंदिर में जब से समिति का गठन हुआ है, तब से लगातार निर्माण कार्य जारी है, आपसी सहयोग से मंदिर और परिसर का कायाकल्प किया जा रहा है, आगामी 10 वर्षो में यह मंदिर एक धाम के रूप में विकसित होगा।
– डॉ. आदित्य द्विवेदी,
सदस्य मंदिर समिति