गायत्री तपोभूमि के सामने जयसिंह पुरा में सन 1888 में बनाई गई धर्मशाला और मंदिर प्राचीन तो है ही, इसके साथ साथ कुछ अलग हटके भी है जैसे सभी मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण प्रायः सभी मंदिरों में श्री राधा रानी के साथ हैं परन्तु इस धर्मशाला के मंदिर में अपनी मां यशोदा रानी के साथ में हैं। प्राचीन समय में इसमें संस्कृत विद्यालय भी चला करता था पक्षियों को दाना, गरीबों को भोजन, गौसेवा आदि सेवाएं अनवरत रूप से चलती थीं। एक डॉ साहब जो आज सरस्वती अस्पताल चलाते हैं इन्होंने मन्दिर की जगह किराए से ली और फर्जीवाड़ा करके किरायेदार से कैसे बन गए? सवाल ये उठता है कि एक किरायेदार मालिक कैसे बन सकता है? और वो लोग कौन है जिन्होंने डॉ का साथ दिया? जबकि मथुरा जिले के पदेन जिलाध्यक्ष ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। निश्चित रूप से फर्जीवाड़ा करने वाले बाहुबली और धनबली होंगे।एक साल पहले भी मैंने ये मुद्दा उठाया था कि भूमाफियाओं की नजर अब मंदिरों पर है। मंदिर पर कब्जा करने वाला धमकियां देने से भी बाज नहीं आता। मैं शासन प्रशासन से मांग करता हूं कि मन्दिर और धर्मशाला की भूमि को कब्जामुक्त कराई जाए और कब्जा करने तथा धोखाधड़ी करने वाले पर मुकदमा भी चलाया जाए।
