लघुता में भी पूर्णता का बोध कराती है एकांकी: कवि मिथिलेश

फोटो:_ आनलाइन कार्यक्रम मगहिया दालान

गुड्डू कुमार, संवाददाता, दैनिक समाज जागरण
वारिसलीगंज (नवादा):-देश देशांतर मगहिया दालान के 96 वां ऑनलाइन एकांकी कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराते हुए सारथी पत्रिका के संपादक मगध जी मिथिलेश ने कहा कि एकांकी लघुता में पूर्णता का बोध करवाती है। इसकी तुलना कहानी से की जाती है। कहानी जहां एक छोटी घटना का विस्तार है।वही एकांकी एक अंश का मुकम्मल चित्रण है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जमुई के डॉक्टर मिथिलेश ने कहा कि नाटक एक रंगकर्म है। इसमें अभिनय की महत्ता है। एकांकी रंगमंच पर अभिनीत की जाती है। नुक्कड़ नाटक एकांकी का ही आधुनिक स्वरूप है। मंच संचालन कृष्ण कुमार भट्ठा ने किया।कार्यक्रम के संयोजक प्रेमी अनीलनन्द थे।एकांकी पाठ का आरंभ डॉ दिलीप कुमार ने बादा शीर्षक एकांकी से किया।समीक्षा करते हुए गुरुग्राम के डॉक्टर सरोज कुमार त्रिपाठी ने कहा कि एकांकी सामाजिक यथार्थ के धरातल पर सांप्रदायिकता की समस्या का विवेक पूर्ण समाधान है। गौतम कुमार सरगम ने पाठा का मांस शीर्षक कहानी सुनाई, जिसकी समीक्षा उमाशंकर सिंह सुमन की। समीक्षक ने कहा कि एकांकी संवेदना संवेदना को झकझोरने में सफल रही।