पंडित एस. एन. शुक्ला विश्वविद्यालय19 जून को वर्ल्ड सिकल सेल डे मनाया गया

पंडित एस. एन. शुक्ला विश्वविद्यालय19 जून को वर्ल्ड सिकल सेल डे मनाया गया जिसमें विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों की एक योजना बनाई गई वर्ष में एनएसएस के सहयोग से विभिन्न योजनाओं पर काम करने और गांव-गांव पहुंचकर ग्रामीण परिवेश में रह रहे व्यक्तियों को इस गंभीर बीमारी के बारे में बताना और उन्हें जागरूक करना मुख्य उद्देश्य रखा गया | विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो हर साल करीब 3 लाख से अधिक बच्चे हीमोग्लोबिन रोग के गंभीर रूपों के साथ पैदा होते हैं, जिसमें थैलेसीमिया और सिकल सेल बीमारी शामिल है। उक्त संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर राम शंकर जी ने कहा की इन बीमारियों की जानकारी देना और ग्रामीण परिवेशों में रह रहे व्यक्तियों को जागरूक करना हमारे छात्रों और जो हमारे कैंपस में ग्रुप से उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए सिकल सेल कोशिकाएं आसानी से टूट जाती हैं और मर जाती हैं आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाएं लगभग 120 दिनों तक जीवित रहती हैं उसके बाद उन्हें बदलने की आवश्यकता होती लेकिन सीक्वेंस सेल कोशिकाएं आमतौर पर 10 से 20 दिनों में मर जाती है जिससे लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है इसे एनीमिया के रूप में जाना जाता है पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं के बिना शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती इससे थकान होती है इस तरह का यह गंभीर रोग प्राथमिकता के साथ एक जन जागरण को चाहता है और इसे आसानी से जागरूक करके दूर किया जा सकता है| राष्ट्रीय सेवा योजना शहडोल इकाई द्वारा “विश्व सिकल सेल अनीमिया दिवस” के अवसर पर इस साल के लक्ष्य निर्धारित किए गए। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ साथ शहरी क्षेत्रों में भी सिकल सेल एनीमिया के विरुद्ध युद्ध की रूप रेखा विश्वविद्यालय कुलसचिव डॉ आशीष तिवारी के मार्गदर्शन में बनाई गई।जिसके अंतर्गत स्वयंसेवकों द्वारा पहले चरण में जागरूकता का कार्य किया जायेगा तथा दूसरे चरण में जांच शिविर का आयोजन किया जाएगा।जागरूकता की श्रृंखला में मोहनराम तलाब के निकट स्थित बस्तियों के बच्चों एवं उनके अभिभावकों को सिकल सेल एनीमिया के विषय में जानकारी दी गई। वरिष्ठ दलनायक श्रुति तिवारी, शैली निगम, सुचिता तिवारी, अनामिका सिंह, हर्ष तिवारी, उत्तरा विश्वकर्मा, प्रीति विश्वकर्मा, शाहीन खान आदि स्वयंसेवक उपस्थित रहे|