राष्ट्रीय दलित पिछड़े वर्गों को भी न्यायालयों में मिले उचित प्रतिनिधित्व : डॉ सुरेंद्र सेलवाल


हरियाणा/ हिसार (राजेश सलूजा) भारतीय दलित साहित्य अकादमी का 39 वा राष्ट्रीय सम्मेलन पंचशील आश्रम झड़ोदा गांव बुराड़ी बाई पास निरंकारी समागम ग्राउंड के सामने आउटर रिंग रोड दिल्ली में 10,11दिसंबर 2023 को आयोजित किया गया।इस द्विदिवसीय सम्मेलन में देश विदेश से सभी भाषाओं के द्लित्तोत्थान में जुटे दलित साहित्यकार पत्रकार लेखक संपादक आदि ने भाग लिया और द्लितोत्थान सम्बन्धी विषयों पर विचार विमर्श किया।
सम्मेलन में पहला दिन सम्मान दिवस के रूप में मनाया गया। इस दिन दलितोत्थान के क्षेत्र में विशिष्ट कार्यों के लिए साहित्यकारों कलाकारों शिक्षकों और समाज सेवियों को बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले,वीरांगना सावित्री बाई फुले,भगवान बुद्ध के नाम से स्थापित राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही सामाजिक समता के विशेष कार्यों के लिए महर्षि वाल्मीकि, गुरु रविदास, सदगुरु कबीर दास,गुरु घासीदास, गुरु तिरुवल्ल्वर , ई वी रामास्वामी,पेरियार,संत नामदेव आदि के नामों पर स्थापित राष्ट्रीय अवार्ड से विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले महानुभावों को सम्मानित किया गया। दुसरा दिन 11दिसंबर अधिकार दिवस के रूप में मनाया गया।
इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ सत्यनारायण जटिया पूर्व केंद्रीय मंत्री सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार,पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री संघप्रिय गौतम,श्री रमेशचंद्र रत्न एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट पूर्व चेयरमैन पी एस सी कमेटी रेलवे बोर्ड, रेलवे मंत्रालय भारत सरकार,श्री नारायण केसरी पूर्व सांसद (राज्य सभा)पहुंचे। अध्यक्षता अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सोहनपाल सुमनाक्षर ने की ओर सम्मेलन में आगंतुकों का स्वागत किया।अकादमी को मजबूती प्रदान करने वाले महानुभावों का आभार प्रकट किया।उन्होंने बताया कि 6 अगस्त 1985 को नई दिल्ली के कानस्टीच्यूसन कल्ब के एक कमरे में 100 दलित लेखकों के बीच भारत के उप प्रधानमंत्री बावू जगजीवन राम ने बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के अधूरे कार्यों को पूरा करने ओर उनके समता समरसता तथा मानवता के संदेश को दलितों के हर घर व हर जन तक पहुंचाने के लिए जिस भारतीय दलित साहित्य अकादमी की स्थापना को थी ओर संचालन की बागडोर संस्थापक अध्यक्ष डॉ सोहनपाल सुमनाक्षर को सौंपी थी वह बिना रुकावट ,बिना सरकारी अनुदान, बिना वित्तीय सहायता के 39 सालो से जारी सालों की यात्रा को विस्तार से रखा।
सम्मेलन का मंच संचालन अकादमी के महासचिव डॉ सुरेंद्र सेलवाल ने किया और बताया कि सम्मेलन में दलितों की समस्याओं, भेदभाव, उत्पीड़न, अन्याय,अत्याचार,अपमान, असमानता आदि पर खुलकर विचार विमर्श किया। सम्मेलन में दलितों के संवैधानिक मौलिक अधिकार,शासन प्रशासन व सत्ता तथा सम्पदा में बराबर की हिस्सेदारी प्राप्ति के लिए दलित धर्म संसद, दलित इतिहास,दलित महिला सम्मेलन, दलित पत्रकार लेखक सम्मेलन आयोजित किए जाने पर विचार विमर्श किया। मंच संचालन करते हुए अकादमी के। राष्ट्रीय सचिव डॉ सुरेन्द्र सेलवाल ने विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करवाते हुए न्यायपालिका में दलित व पिछड़ों के उचित प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया और प्रस्ताव रखा कि बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के दर्शन अनुरूप दलितों आदिवासियों को सामाजिक न्याय एवं अधिकार की प्राप्ति के लिए भारतीय संसद द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए भारतीय न्यायिक आयोग का गठन किया जाए। न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियां भारतीय संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तरह भारतीय न्यायिक आयोग द्वारा की जानी चाहिए ताकि दलित पिछड़े वर्गों को न्यायालयों में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। डॉ सेलवाल ने बताया कि अनुसूचित जातियों जनजातियों व पिछड़े वर्गों को न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियों में संवैधानिक तरीके से उचित प्रतिनिधित्व 22प्रतिशत व BC का 27प्रतिशत प्रतिनित्व कोलेजियम सिस्टम से कभी भी नही मिल सकता। कोलेजियम सिस्टम की वजह से ही वर्तमान में कुछ घरानों से ही न्यायाधीशों की नियुक्तियों का परचलन बढ़ा है । कॉलेजियम से दलितों आदिवासियों को उचित प्रतिनिधित्व कभी भी नहीं मिल सकता इसलिए अब इसे बदल दिया जाना चाहिए।
डॉ सेलवाल ने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति द्रोप्ती मुर्मू जी ने भी अपनी बात भारतीय न्यायिक आयोग गठित करने के पक्ष में रखी है।हम महामहिम राष्ट्रपति के इस सामाजिक न्याय सुरक्षा के पक्ष में विचारों का तहदिल से स्वागत करते हैं । वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व दलित पिछड़े वर्गों से चुन कर बैठे सांसदों विधायकों से उम्मीद जताई है कि आप अपने आपको अपने समाज के प्रतिनिधि के रूप में साबित कर पाएंगे। करोड़ो भारतीय दलित पिछड़े वर्गों के लोग भारत सरकार द्वारा तुरंत राष्ट्रपति के सुझाव पर अमल करने की उम्मीद करते है। अकादमी के राष्ट्रीय सचिव डॉ सुरेन्द्र सेलवाल ने मंच पर बैठे मुख्य अतिथि डा सत्यनारायण जटिया को भारतीय न्यायिक आयोग गठित करने बारे एक हस्तलिखित अनुरोध पत्र भी डॉ सोहनपाल की अध्यक्षता में मौके पर ही दिया।गौरतलब है कि डॉ सेलवाल भारत में न्यायिक आयोग गठित करने को लेकर देशभर के दलितों आदिवासियों के संगठनों द्वारा एस सी एस टी एक्ट को लेकर 2 अप्रैल 2018 बुलाए गए भारत बंद से ही उकलाना क्षेत्र से जुड़े दलितों के 40 संगठनों से मिलकर यह अभियान चलाये हुए है।
सम्मेलन में विभीन्न प्रदेशों के प्रतिनिधियों द्वारा अपनी अपनी भाषा में व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। इस सम्मेलन में अनेकों नेताओ,प्रोफेसर,शिक्षको, समाजसेवियों,साहित्यकार,लेखक संपादक आदि ने संबोधित किया।उकलाना एक्सप्रेस के संपादक प्रवीन कुमार सैन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सोहनपाल सुमनाक्षर व मुख्य अतिथि डा सत्यनारायण जटिया को उकलाना एक्सप्रेस की प्रतियां सौंपी व भविष्य के लिए आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो डा कालीचरण स्नेही, पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष लखनऊ यूनिवर्सिटी, श्री युवराज बी के राष्ट्रीय महामंत्री नेपाल दलित साहित्य अकादमी, श्री उत्तम कुमार परियार माननीय सदस्य राजपरिषद नेपाल, अकादमी के राष्ट्रीय महामंत्री जय सुमनाक्षर , डॉ जितेंद्र मन्नू ,संगठन मंत्री साउथ इंडिया स्टेट्स कमेटी बी डी एस ए,श्री सुभाष कानड़े नेशनल को ऑर्डिनेटर बी डी एस ए, तीर्थ तोंगरिया अध्यक्ष पंजाब प्रदेश, महामंडलेश्वर स्वामी आत्माराम उपाध्याय राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष, डा लालती देवी उत्तर प्रदेश, खातून फातिमा,उड़ीसा, राज सिंह राज दिल्ली राजेंद्र आदि सहित सभी भाषाओं और प्रदेशों के हजारों प्रतिनिधियों की गरिमापूर्ण उपस्थिती रही।